मंदसौर में 6 किसानों की मौत के बात एक
बार फिर सरकार का ख़ुफ़िया तंत्र विफल
इंदौर। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की धार कम होती दिख रही है. सोमवार को एससी-एससी एक्ट में हुए बदलाव के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन ने इसे फिर साबित किया. 7 लोगों की हिंसा में मौत हुई. किसान आंदोलन के बाद दूसरी बार सरकार का ख़ुफ़िया तंत्र नाकाम रहा. इतने बड़े पैमाने पर फैली हिंसा को काबू करने में प्रशासन पूरी तरफ नाकाम रहा. सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि पूरी सरकार अफसरों के भरोसे चल रही है. अफसर शिवराज को गुमराह कर रहे हैं. ये दिख भी रहा है. मंदसौर के किसान आंदोलन में पुलिस फायरिंग में हुई किसानों की मौत के बाद अफसरों ने इसे अफ्रीम तस्करों की साज़िश बताकर किनारा कर लिया. सोमवार की हिंसा को भी वे निजी रंजिश बताकर रफा-दफा करने में लगे हैं. पर क्या निजी रंजिश में भी खुलेआम हत्या सरकार की नाकामी और जिम्मेदारी नहीं है. आखिर अफसर कब तक शिवराज को गुमराह करते रहेंगे. जिस तरह से नौकरशाही हावी है, आने वाला चुनाव बीजेपी के लिए मुशिकल भरा हो सकता है. क्या शिवराज सरकार का ख़ुफ़िया तंत्र पूरी तरह फेल हो गया है.
एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ वैसे तो देशभर में दलित संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। सोमवार को बुलाए गए भारत बंद के दौरान देशभर में कई जगह हिंसा की खबरें आ रही है लेकिन सबसे ज्यादा हिंसा मध्यप्रदेश के चंबल इलाके ग्वालियर, भिंड और मुरैना में हुई. । हिंसा के दौरान फायरिंग से ग्वालियर, भिंड और मुरैना में 7 की मौत हो गई। माना जा रहा है कि हिंसा के मामले में शिवराज की इंटेलिजेंस फेल हो गई। इंटेलिजेंस को इतने बडे पैमाने पर हिंसा की भनक तक नहीं लग सकी। ग्वालियर में पुलिस फायरिंग से मौत होना माना जा रहा है हांलाकि राज्य सरकार इसे आपसी फायरिंग मान रही है। मंदसौर गोली कांड के बाद शिवराज सरकार एक बार फिर इस मुद्दे पर घिरती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री बार-बार सोशल मीडिया के जरिए अपील कर रहे हैं कि सरकार एससी-एसटी के साथ है। रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर कर दी गई है।
भारत बंद के दौरान सुबह से ही मध्यप्रदेश के अलग-अलग इलाकों से उग्र प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। सबसे ज्यादा हिंसा की खबरें ग्वालियर, भिंड और मुरैना से मिल रही है। ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिलों में उपद्रव के दौरान सात लोगों की मौत हो गई। ग्वालियर में गोली लगने से मौत की खबर मिली है लेकिन गोली कहां से चली, किसने चलाई यह साफ नहीं हो सका है। इसे लेकर पुलिस मुख्यालय पर इंटेलिजेंस आईजी मकरंद देऊस्कर ने कहा कि फायरिंग आपस में हुई है। आईजी ने 4 मौतों की पुष्टी की है। आईजी के मुताबिक मौत का आंकडा बढ सकता है। पुलिस उपद्रव को रोकने के लिए कई जगह बल प्रयोग कर रही है। आईजी के मुताबिक ग्वालियर के 4 थाना क्षेत्रों के अलावा भिंड और मुरैना के कई इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। राज्य के सागर, बालाघाट और दतिया में धारा 144 लागू की गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोशल मीडिया के जरिए बार-बार अपील कर रही है कि सरकार एससी-एसटी के साथ है। भारत सरकार ने इसी बीच रिव्यू पिटीशन दायर भी कर दी है। मुख्यमंत्री ने अपनी अपील में यह भी कहा कि उनकी सरकार एससी-एसटी के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस घटना में शिवराज सरकार का इंटेलिजेंस पूरी तरह से फैल साबित हुआ है। शिवराज सरकार के लिए पहले किसान आंदोलन में 6 किसानों की पुलिस फायरिंग में मौत और फिर आज उपद्रव के दौरान 4 लोगों की मौत बडी चूक मानी जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार इन दिनों नौकरशाही के कंधों पर सवार होकर चल रही है। इस चूक का बडा खामियाजा सरकार को भुगतना पड सकता है।
करीब 30 सालों के बाद मंडल-कमंडल की राजनीति की तरह यह मुद्दा एक बार फिर उठा है। ग्वालियर में बजरंग दल और भीम सेना यानी भगवा और नीली झंडियों के आमने-सामने आने के बाद ही हिंसा भडकी है। दोनों गुटों के बीच जमकर पथराव हुआ। उग्र होते प्रदर्शन पर काबू पाने के लिए पुलिस को भी जमकर बल प्रयोग करना पडा। चश्मदीदों के मुताबिक गोली पुलिस ने चलाई थी जिसकी वजह से हालात गंभीर हो गए और दो लोगों को जान गंवाना पडी।
राजधानी भोपाल में शिवराज सरकार ने इस मसले पर आपात बैठक बुलाई और उपद्रवियों से सख्ती से निपटने की रणनीति तैयार की। ग्वालियर, भिंड और मुरैना के कई इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात किया जा रहा है हालांकि वहां अभी भी उपद्रव जारी है। इन इलाकों में इंटरनेट सेवाएं भी ठप्प कर दी गई है।
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