शिवराज के चेहरे और शाह की रणनीति से फिर खिला ‘कमल’

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शिवराज की ऊर्जा, मोदी का करिश्मा, शाह की रणनीति और वीडी शर्मा का प्रबंधन का एग्जिट पोल में दिखा असर

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भोपाल। मध्यप्रेदश का चुनाव परिणाम दो दिन दूर है। इस बार चुनाव शुरू हुआ था बदलाव की आहट के साथ। वोटिंग के साथ ही इसमे बड़ा बदलाव आया। भाजपा और शिवराज के प्रति लोगों का भरोसा मतदान के दौरान दिखा । एग्जिट पोल के नतीजों ने इसे और साफ़ कर दिया। एग्जिट पोल के नतीजों में भाजपा बहुमत से भी आगे दिख रही है।

इस बहुमत के पीछे लाड़ली बहना की सफलता और शिवराज सिंह चौहान की जनप्रिय छवि सबसे उपर रही। एक तरह से शिवराज के प्रति भावनात्मक लगाव और लाड़ली बहना ने कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका दिया। कांग्रेस की रणनीति कमजोर रही। रणनीतिकार और रणनीति सिर्फ कमलनाथ के इर्दगिर्द घूमती रही। जनता तक कोई सन्देश कांग्रेस नहीं पहुंचा सकीय।

भाजपा को मध्यप्रदेश में मिली इस बढ़त के पीछे चार बड़े कारण दिखाई दे रहे हैं। पहला-शिवराज सिंह चौहान की ऊर्जा, मोदी का करिश्मा, अमित शाह की रणनीति और वीडी शर्मा का प्रबंधन। इन चार स्तम्भों ने पूरे चुनाव को भाजपा की तरफ मोड़ दिया। वो सारे राजनीतिक विश्लेषक जिन्होंने चार महीने पहले ये तर्क दिया था कि भाजपा पिछड़ रही है, अब चुप्पी साधे हैं। कुछ इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सीधे जनता से जुड़ाव और लाड़ली बहना से मिले स्नेह के तौर पर बता रहे हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 64 साल की उम्र में भी उत्साह और उम्मीद लबरेज हैं। इसके विपरीत कांग्रेस के कमलनाथ थोड़े थके और निराश से दिखते हैं। मुख्यमंत्री के इन दो चेहरों के बीच भी जब जनता ने तुलना की तो शिवराज कहीं आगे नजर आये। शिवराज सिंह चौहान ने करीब 165 से ज्यादा रैलियों और
सभाओं में शिरकत की। लाड़ली बहनों के बीच वे एक स्नेहिल भैया की तरह दिखे। जबकि कांग्रेस के कमलनाथ जनता के साथ ऐसा कोई तार नहीं जोड़ पाए। वे सिर्फ और सिर्फ राजनेता दिखे। यही कारण है कि बड़ी संख्या में भांजिया और लाड़ली बहनों का झुकाव भाजपा के प्रति रहा। मशीनों से जो रिजल्ट आएगा वो भी भावनाओं के जरिये ही कैद हुआ है।

शिवराज सिंह चौहान चार बार के मुख्यमंत्री हैं। वे प्रदेश के एक एक चप्पे से वाकिफ हैं। प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा असर रहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केकरिश्मे का। जनता ने उनके रोड शो में जमकर भागीदारी की। वे जहाँ से भी गुजरे लोगों ने कहा-आएगी तो भाजपा ही। इंदोर में रोड शो के दौरान ऐसे नारे भी गूंजे – केंद्र में मोदीजी, प्रदेश में मोदीजी।

इस मुकाम पार्टी को पहुंचाने का श्रेय है केंद्रीय मंत्री अमित शाह की बारीक रणनीति का। शाह ने चुनावके हार महीने पहले से ही पूरा ताना-बाना खड़ा किया। वे सीधे एक एक कार्यकर्ता से मिले। नीचे तक अपनी मजबूत रणनीति का सन्देश पहुंचाया। शाहके प्रदेश के दौरे के बाद से ही कार्यकर्ताओं में एक स्वप्रेरणा जागी।

अमित शाह ने रणनीति के साथ शिवराज सरकार के कार्यों, उपलब्धियों को जनता का पहुंचाने का भी बड़ा रोड मैप तैयार किया। कांग्रेस जहाँ हंगामे औरसोशल मीडिया तक सीमित रहीं, वही शाह ने कार्यकर्ताओं को घर-घर तक पंहुचा दिया। ये घुसपैठ बेहद कारगर साबित होती दिख रही है।

इसके अलावाशाह ने एक लाइन का सन्देश देकर बागियों को भी किनारे किया। उन्होंने खुद बागियों को मनाया। जो भी बागी नहीं माने शाही ने दो टूक कहा इन पर ऊर्जा ‘नष्ट मत कीजिये। अपने काम पर लगिये। जनता के बीच जाइये। शाह के साथ पूरे वक्त प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा सक्रिय रहे। शाह की बताई रणनीति को पूरी तरह से अपने प्रबंधन के जरिये शर्मा ने नीचे तक पहुँचाया।

एक तरह से प्रदेश के सबसे जनप्रिय नेता अब भी शिवराज सिंह चौहान ही दिखाई दे रहे हैं।

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