संतों से भयभीत शिवराज ने रिश्वत में बांट दिया मंत्री का दर्जा

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मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने मंगलवार को आनन-फानन में पांच धार्मिक और आध्यात्मिक हिंदू गुरुओं को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया। इनमें से ज्यादातर संत वो हैं जिन्होनें शिवराज सिंह की नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान किए गए साढ 6 करोड पौधारोपण घोटाले की पोलखोल का बीडा उठाया था। संतों ने हाल ही में नर्मदा घोटाल रथ यात्रा का ऐलान किया था। सरकार ने इस घोटाला यात्रा से डर कर संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया। सियासी हल्के में घोटाला यात्रा रद्द करने के बदले संतो को नवाजा जाना विवादों में है। क्या वाकई शिवराज सरकार इतनी कमजोर और घोटाले से घिरी हुई है कि खुलासे की धमकी के बदले ऐसे पद लुटाने को मजबूर है.

सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव केके कतिया ने बुधवार को जारी आदेश मे कहा कि प्रदेश सरकार ने पांच विशिष्ट साधु-संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। इनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज, कम्प्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेन्द्र महंत शामिल हैं। आदेश के मुताबिक नर्मदा किनारे किए गए वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जनजागरुकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए विशेष समिति के पांच विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है। यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है।

गौरतलब है कि इन्ही बाबाओं के नेतृत्व में 28 मार्च को इंदौर में हुई संत समाज की बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रदेश के 45 जिलों में उन साढे 6 करोड पौधों की गिनती कराई जाएगी, जिन्हे पिछले साल 2 जुलाई को राज्य सरकार ने नर्मदा किनारे रोपित करने का दावा किया था और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। संतों ने इस सरकारी दावे को महाघोटाला करार देते हुए नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया था। बैठक में तय हुआ था कि 1 अप्रैल से 15 मई तक नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा का नेतृत्व कम्प्यूटर बाबा करेंगें। यात्रा के आयोजक पंडित योगेन्द्र महंत को बनाया गया था। यही नही इस घोटाले के विरोध में संतों ने यह भी ऐलान किया था कि राजधानी स्थित सचिवालय में धरना भी देगें।

आंदोलित संत समाज की चेतावनी के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों साधु-संतों से अपने आवास पर बैठक की थी। माना जा रहा है कि इसी बैठक में शिवराज सिंह ने चुनावी साल में संतों को मनाने के हर जतन किए। काफी देर तक चली इस बैठक में संतों को शिवराज सरकार ने कई तरह के प्रलोभन दिए। आखिरकार सभी संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने पर बात बनी और आनन-फानन में सरकार ने इन संतों को राज्यमंत्री का दर्जा देकर उन्हे मना लिया। कम्प्यूटर बाबा ने इससे पहले यूपी चुनाव के दौरान भी एक नौटंकी की थी। बाद में सरकार की तरफ से मनाने पर वे मान गए थे और अपने सुर बदल लिए थे।

राज्य मंत्री का दर्जा मिलने के बाद संतों ने नर्मदा घोटाला रथ यात्रा रद्द करने का ऐलान करते हुए इससे ठीक उलट नर्मदा किनारे किए गए वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता पर जन जागरुकता का राग अलापना शुरु कर दिया। संतों और सरकार के बीच कथित घोटाले को लेकर हुई इस सौदेबाजी की सारी कहानी पूरे राज्य में सुर्खियों में हैं।

कांग्रेस के तेज तर्रार राऊ विधायक जीतू पटवारी ने ट्वीटकर कहा कि ‘शिवराज जी आजकल खरीदने में लगे हैं..? कभी वोट खरीदते हैं, कभी लोकतंत्र के स्तंभ खरीदते हैं। कभी न्याय, गवाह, साक्ष्य खरीदते हैं…और अब साधु, संत, सन्यासी खरीद रहे हैं..? लोकतंत्र में लोभ और स्वार्थ प्रजातंत्र की मर्यादा निलाम करता है..? देखना, अक्सर खदीदने वाले ही बिकते हैं।’

मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष ने भी अपने ट्वीट में कहा कि शिवराज सरकार संत समाज को भी भ्रष्ट करना चाहती है। उन्होने संत समाज से अनुरोध किया है कि वो समाज को दिशा दिखाएं इस तरह की गंदी राजनीति में ना फंसे।

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