शिव’राज’ के किसान का दर्द .. पूर्व मंत्री सेऋण स्वीकृति पत्र मिलने के दो साल बाद भी नहीं मिला लोन !

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हरीश मिश्र (वरिष्ठ पत्रकार )

यह सच है कि शिवराज सरकार में लाखों-करोड़ों रुपए योजनाओं के प्रचार-प्रसार, सम्मेलन में फूंक दिए जाते थे । लेकिन वास्तविक हकदार को उसका हक नहीं मिलता था।

नौ तपा की झुलसा देने वाली भीषण तपन, 45° तापमान, जिला अदालत परिसर, पीपल पेड़ के नीचे बैठे किसान, उसमें बैठा एक किसान कुछ बड़-बड़ा रहा है ,रो रहा और अपने बाल नोच रहा है। उसकी आवाज़ साफ़ सुनाई नहीं दे रही है, लेकिन वह बहुत दुःखी दिख रहा है।

हम न्याय के मंदिर में, काले कोट पहने बुद्धिजीवियों के परिसर में थे। हमसे रहा नहीं गया, अपनी कलम का धर्म निभाया। दुखी किसान को पानी पिलाया, फिर उसके पास बैठकर उसको विश्वास दिलाया अपनी बात बताओ…हो सकता है, हम कुछ मदद कर सकें, तुम्हारी बात सरकार , प्रशासन तक पहुंचा सकें।

दुःखी किसान ने रोते हुए अपना नाम मलखान सिंह, गांव छोला (दीवानगंज) बताया। फिर दर्द भरी दास्तां सुनाई, रोते हुए बोला…पशु से पंगा और बैंक से लोन कभी मत लेना….!

उसने बताया दो-तीन साल पहले रायसेन में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान सम्मेलन शिविर में आए थे। उस सम्मेलन में कृषि विभाग के अधिकारी हमारे गांव छोला से हमें लेकर गए थे।

उस शिविर में डॉक्टर शुक्ला जो पशु चिकित्सालय विभाग के अधिकारी हैं, मिले। उन्होंने हमें डेयरी योजना के विषय में समझाया। कहा तुम लोन ले लो, तुम्हें सब्सिडी भी मिलेगी और तुम्हारी आर्थिक स्थिति भी बदल जाएगी। उन्होंने हमें मिलने को कहा। हम उनसे मिले।

डॉ शुक्ला ने आचार्य विद्यासागर योजना में 10 लाख का ऋण आवेदन , सेंट्रल बैंक, सांची भेजा। बैंक से ऋण स्वीकृत होने के बाद पूर्व मंत्री डॉ प्रभु राम चौधरी ने हमें एक कार्यक्रम में ऋण स्वीकृति पत्र दिया। लेकिन लोन आज तक नहीं मिला।

डॉ शुक्ला कई बार हमारे गांव आए। हमें सांची बैंक लेकर गए। तब से आज तक छोला से रायसेन, रायसेन से सांची, सांची से छोला, छोला से रायसेन की दूरी नापते-नापते हमारी चप्पल घिस गईं, पांव में छाले पड़ गए, लेकिन लोन नहीं मिल रहा। हमारे पास थोड़ा बहुत जो कुछ था, वह भी उन साहब ने ले लिया। ( किसान ने  क्या दिया , इसकी पुष्टि हम नहीं करते ) ।

यह सच है कि शिवराज सरकार में लाखों-करोड़ों रुपए योजनाओं के प्रचार-प्रसार, सम्मेलन में फूंक दिए जाते थे । लेकिन वास्तविक हकदार को उसका हक नहीं मिलता था।

 जब किसान को प्रदेश के जिम्मेदार पूर्व मंत्री डॉ प्रभु राम चौधरी ने ऋण स्वीकृति पत्र दिया है तो बैंक आज तक ऋण क्यों नहीं दे रही ? बैंक अधिकारी सब्सिडी आने के बाद भी ऋण रोक कर क्यों रखे हैं ? सरकारी योजना में बाधा डालने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सरकार, प्रशासन क्या कार्यवाही करेगी ? क्या किसान के दर्द मिटाने का प्रशासन प्रयास करेगा ‌?

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