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भोपाल। दिग्विजय आज भी कांग्रेस के सबसे मजबूत नेता है। वे वचन के पक्के हैं। कमलनाथ तक के आस्था पर संदेह रहता है। पर दिग्विजय कांग्रेस को वो सिपाही हैं, जो हर हाल में पार्टी के आदेश का पालन करते हैं। अब वे पार्टी के आदेश पर राजगढ़ से चुनाव लड़ने को तैयार हैं। मैदान में मोर्चा भी संभाल लिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शनिवार को राजगढ़ के दौर पर निकल पड़े हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बयान परराजा ने कहै मैं तो नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार हूं। लेकिन पार्टी ने मुझे यहां से चुनाव लड़ने के लिए कहा है, इसलिए मैं यहां से चुनाव लड़ूंगा। राजगढ़ राघोगढ़ रियासत का गढ़ रहा है। खुद दिग्विजय और उनके भाई यहाँ से सांसद रह चुके हैं। दिग्विजय ने पिछली बार भोपाल को चुनकर गलती कीथी। इस बार राजगढ़ में आने से मामला टक्कर का हो गया है।
लोकसभा चुनाव के लिए राजगढ़ से लड़ने का ईशारा मिलते हे दिग्विजय की जिले में सक्रिय हो गए हैं। आज उन्होंने ब्यावरा के वल्लभा परिसर में कार्यकर्ताओं की बैठक ली। इस बैठक में दिग्विजय के बेटे पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के साथ ही राघोगढ़, चाचौड़ा, ब्यावरा और नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता शामिल हुए।
दिग्विजय सिंह के राजगढ़ से चुनाव लड़ने पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा था- चुनाव के लिए कोई 30 साल बाद वापस अपने घर में आ रहे हैं। वे पहले भोपाल से चुनाव लड़े थे। भोपाल से क्यों नहीं चुनाव लड़ रहे हैं? जहां आपकी सीट है। जहां आप 10 साल मुख्यमंत्री थे, वहां कौन आपको मना कर रहा है।
दिग्विजय सिंह शुक्रवार को छापीहेड़ा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंचे थे। यहां दिग्विजय उन्होंने कहा कि हमारे पास लड़ने वाले कई नेता थे, लेकिन पार्टी का आदेश मानना पड़ता है। पूर्व सीएम ने कहा कि अभी घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन मुझे बताया गया कि मुझे चुनाव लड़ना है।
उन्होंने कहा कि ये चुनाव दिग्विजय सिंह के बस का नहीं है। आप सबसे अलग-अलग बात करूंगा। आपसे सुझाव लूंगा कि कैसे-क्या करना चाहिए। अब मैं 77 साल का हो चुका हूं। यह चुनाव नौजवानों को लड़ना है। यहां चुनाव आपको लड़ना है।
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