मालवा की एक बड़ी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पर नाम वापसी का भारी दबाव

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प्रत्याशी ने अपने प्रचार को इसी दबाव के चलते बेहद ठंडा कर दिया है, उसके मुख्य चुनाव कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा हुआ है,अब ये अपने कारोबार को बचाये या कांग्रेस की साख, इंतज़ार करिये

पंकज मुकाती (editor, politicswala )

भोपाल। मध्यप्रदेश और पूरे देश में चुनाव साम, दाम, दंड, भेद के जरिये लड़ा जा रहा है। कम वोटिंग ने इसे और बढ़ा दिया है। मध्यप्रदेश के मालवा की सबसे बड़ी सीट पर उतरे कांग्रेस के एक युवा उम्मीदवार इस वक्त बेहद मुश्किल का सामना कर रहे हैं। उन पर विपक्ष का भारी दबाव है नाम वापसी के लिए। इस दबाव की जानकारी कांग्रेस के प्रदेश संगठन को भी है। इसी के चलते संगठन भी अपने ही प्रत्याशी को संदेह से देख रहा है। ये प्रत्याशी अल्पसंख्यक समुदाय से है ( अल्पसंख्यक का मतलब सिर्फ मुस्लिम नहीं होता )

इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन के दूसरे दिन पार्टी ने ताबड़तोड़ डमी प्रत्याशी से भी नामांकन दाखिल करवाया। आमतौर पर डमी प्रत्याशी डमी ही होता है। पर इस बार कांग्रेस ने डमी भी राजनीति का पटेल ही उतारा। कांग्रेस ये मानकर चल रही थी दबाव में उनका अधिकृत प्रत्याशी नामांकन गलत दाखिल कर सकता है।

ऐसे में दूसरा विकल्प रखना जरुरी है। डमी पटेल ने दूसरे दिन नामांकन दाखिल किया वो भी पूरी लीगल टीम के साथ। सूत्रों के मुताबिक डमी पटेल को पार्टी ने ये भी स्पष्ट किया था कि चुनाव आपको ही लड़ना है। इसी ख़ुशी में डमी पटेल घर से दही शक्कर खाकर, साफा लपेटकर तिलक लगाकर ही नामांकन दाखिल करने आये थे।

खैर, कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी का नामांकन बीजेपी की आपत्ति के बावजूद सही पाया गया। आपत्ति को निर्वाचन अधिकारी ने ख़ारिज कर दिया। कांग्रेस के इस कारोबारी युवा प्रत्याशी पर अभी बीजेपी की बेहद दबाव है, ऐसे में ये बात भी उठ रही है कि कहीं वो नामांकन वापस न ले ले। बीजेपी के बड़े नेता उनसे लगातार संपर्क में हैं। कांग्रेस भी डरी हुई है कि नाम वापसी न हो जाए। चूँकि अधिकृत प्रत्याशी का परचा पास हो गया है इसलिए डमी पटेल को परचा वैसे ही रद्द हो गया है.

हालांकि इस प्रत्याशी ने शुरुवात में जिस ढंग से प्रचार शुरू किया था वो अब ठंडा पड़ गया है। इसी दबाव का नतीजा है कि कांग्रेस प्रत्याशी के मुख्य चुनाव कार्यालय में तोते उड़ रहे हैं। कार्यालय किसी भी पार्षद के चुनाव कार्यालय जैसा भी नहीं है। चार रिश्तेदार इस कार्यालय को जैसे तैसे चला रहे हैं। इसके अलावा इस प्रत्याशी के भाषण में कहीं भी बीजेपी, बीजेपी के प्रत्याशी या मोदी की गारंटी पर कुछ सुनने को नहीं मिल रहा।

अब इस प्रत्याशी के सामने चुनौती है कि अपने कारोबार को बचाये या कांग्रेस की साख को। नामांकन वापस हो न हो पर चुनाव तो ये नहीं ही लड़ते दिख रहे हैं। 29 नाम वापसी की आखिरी तारीख है। इंतज़ार करिये।

ये प्रत्याशी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के बेहद करीबी हैं

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