सतना सीट ग्राउंड रिपोर्ट .. विपक्ष के खाते का हो सकता है ‘श्रीगणेश’

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  • बीजेपी प्रत्याशी के खिलाफ नाराजगी और बसपा के त्रिपाठी ने सारे गणित बदले

पंकज मुकाती

भोपाल। पूरे मध्यप्रदेश में गिनी चुनी सीटों पर मुकाबला टक्कर का माना जा रहा है। बाकी सीटों पर बीजेपी को बढ़त मानी जा रही है। इन सबमें एक सीट और है जो सारे समीकरण को बदला सकती है। इसका परिणाम किसी भी तरफ जा सकता है। ये सीट है मध्यप्रदेश की सतना सीट। इस सीट पर कई मायनो में मुकाबला रोचक है।

बीजेपी के सांसद गणेश सिंह मैदान में हैं तो कांग्रेस से सिद्धार्थ कुशवाह। मामला इतना दिलचस्प है कि गणेश सिंह पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ से हार चुके हैं। एक बार मुकाबला दोनों के बीच है। भाजपा को सिर्फ और सिर्फ मोदी के चेहरे और गारंटी पर भरोसा है। यहाँ मुकाबला त्रिकोणीय है। यहाँ बसपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतार कर बीजेपी के गणित को और उलझा दिया है।

सांसद गणेश सिंह चार बार इस सीट से चुने जा चुके हैं। पर इस बार मामला थोड़ा अलग है। गणेश सिंह से जनता और बीजेपी कार्यकर्ता दोनों नाराज हैं। इसी नाराजगी के चलते वे विधानसभा चुनाव हार गए। गणेश सिंह प्रदेश के उन छह सांसदों में से एक हैं जिन्हे बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में उतारा था। गणेश सिंह को छोड़कर सभी चुनाव जीते। गणेश सिंह कड़े मुकाबले में हैं। गणेश सिंह की मुसीबत बीजेपी से अलग होकर विंध्य पार्टी बनाने वाले नारायण त्रिपाठी ने बढ़ा दी है।

नारायण त्रिपाठी इलाके में अच्छी पकड़ रखते हैं। ये अलग बात है कि वे विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। त्रिपाठी ने एक वीडियो जारी करके वोटरोंको और मजबूती से अपने ब्राह्मण होने का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मैं बड़ा आदमी नहीं हूँ, एक सामान्य पंडित परिवार में पैदा हुआ। पर सरकार से टकराने में पीछे नहीं रहता हूँ। मैहर को जिला बनाने की बात हो या यहाँ के विकास की मैंने हमेशा आवाज बुलंद की है। सिद्धार्थ कुशवाहा 2018 में विधायक चुने गए। फिर मेयर का चुनाव हारे। 2023 में विधायक बने और अब फिर सांसद का चुनाव लड़ने उतर गए।

जातीय समीकरण ने भी उलझाया

इस सीट का जातीय समीकरण पूरे चुनाव की कहानी तय करेगा। ये भी तय है कि सवर्ण जिसे वोट देंगे वही विजेता होगा। जातिवादी इस इलाके में उत्तरप्रदेशकी जातिवादी वोटिंग का भी असर है।

ऐसे में राजपूत वोट गणेश सिंह को मिलने की सम्भावना है तो कुशवाह वोट सिद्धार्थ को। ब्राह्मण वोटर इस सीट पर २२ फीसदी है और इसके स्वाभाविक दावेदार नारायण त्रिपाठी ही दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा त्रिपाठी के पास बसपा का वोट भी हैं।

मायावती की सभा ने माहौल बदला विस की
हार के बाद मोदी ने किया सभा से किनारा

इस इलाके में मायावती की सभा के बाद बसपा वोटर एकजुट हैं। बीजेपी भी समझ चुकी है कि इस सीट का गणित कुछ ठीक नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई सभा यहाँ नहीं हुई। 2023 के विधानसभा चुनाव में मोदी गणेश सिंह के लिए वोट मांगने आये थे, बावजूद इसके गणेश सिंह हार गए।

बीजेपी ने तोड़े ब्राह्मण नेता

बीजेपी ने ब्राह्मण वोटर्स में सेंधमारी के लिए 2019 में कांग्रेस की टिकट पर लड़े राजाराम त्रिपाठी को अपने पाले में कर लिया । त्रिपाठी की पहले से सिद्धार्थ कुशवाहा से अनबन चल रही है। कुशवाहा ने कांग्रेस विधायक रहते हुए पिछले लोकसभा चुनाव में त्रिपाठी का समर्थन नहीं किया था। पूर्व महापौर प्रत्याशी मनीष तिवारी भी दो दिन पहले भाजपा में आ गए।

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