कांग्रेस में आलाकमान कौन? क्या सारे फैसले आलाकमान की जानकारी में होते हैं? नहीं। हर नेता ने अपनी कांग्रेस बना ली है। वही आलाकमान बन बैठा है। कैसे ऐसी ही एक चौकड़ी ने आलाकमान की आँखों में धूल झोंककर विक्रांत भूरिया को कर दिया बेदखल। पढि़ए पूरा सच
पंकज मुकाती मो. नम्बर 7000274400
कांग्रेस में जब भी कोई फैसला नहीं होता। किसी का नाम कटता है, जुड़ता है, नए पद देने हो, न देने हो तब प्रेस कांफ्रेंस में एक पंक्ति का बयान मीडिया के सामने आता है। आलाकमान अंतिम फैसला करेगा, आलाकमान ने तय किया है। आखिर कांग्रेस में आलाकमान कौन? मल्लिकार्जुन खडग़े, सोनिया गांधी, राहुल गांधी। कांग्रेस वर्किंग कमिटी। राज्यों के अध्यक्ष, प्रभारी। इनमें से कौन आलाकमान है ? क्या सारे फैसले इस आलाकमान की निगाह में होते हैं ? क्या आलाकमान सब जानता है? शायद नहीं। कांग्रेस में सोनिया गाँधी के करीबी वाली पीढ़ी के गुजर जाने के बाद सबके अपने अपने आलाकमान हैं।
ये सवाल आज की कांग्रेस में पूछेंगे कि आलाकमान कौन ? कोई जवाब नहीं मिलेगा। मध्यप्रदेश से ही इसे समझते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मनमानी सब जानते हैं। उन्होंने वही किया जो उनको जंचा। प्रदेश में लोगों ने कांग्रेस का नाम ही कमलनाथ कांग्रेस कर दिया था। ऐसा ही हाल राजस्थान का रहा। वहां अशोक गहलोत खुद भी आलाकमान बने रहे।
पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लडऩे को कहा, उन्होंने मना कर दिया। राजस्थान में खुलेआम विधायकों की बगावत करवा कर फिर से सीएम बन गए। आलाकमान की विधायक चयन को भेजी गई पर्ची कूड़ेदान में फेंक दी गई। मध्यप्रदेश में कमलनाथ मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के पद पर कब्ज़ा करके एक व्यक्ति, एक पद को मुंह चिढ़ाते रहे।
अब कांग्रेस में युवा नेतृत्व आगे आया है। मध्यप्रदेश में जीतू पटवारी, राजस्थान में सचिन पायलट छत्तीसगढ़ में दीपक बैज। ऐसे ही कई और नाम। ये सब राहुल गांधी के करीबी। ये नई टीम को आलाकमान को कुछ मानती ही नहीं। आप यकीन करेंगे किसी राज्य के यूथ कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने का फैसला हो गया हो और कांग्रेस आलाकमान को इसकी खबर तक न हो। प्रदेश के प्रभारी को खुद मीडिया से ये जानकारी मिली। वे इसे फेक न्यूज़ बताते रहे।
ये हुआ मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया के साथ। उनको हटाने के लिए कांग्रेस की चौकड़ी ने जो खेल खेला वैसा आज तक नहीं हुआ होगा। शीर्ष नेतृत्व यानी कथित आलाकमान की आँखों में सीधे धूल इस चौकड़ी ने झोंक दी।
पॉलिटिक्सवाला के दिल्ली के नजदीकी सूत्रों ने जो बताया वो चौकाने वाला है। आइये, विक्रांत भूरिया को हटाने और उनके इस्तीफे की पूरी कहानी को सिलसिलेवार समझते हैं। विक्रांत भूरिया ने जिस दिन इस्तीफा दिया। उस दिन सुबह उनके पास दिल्ली से इसी चौकड़ी में शामिल एक नेता का फ़ोन आता है।
विक्रांत, आपको हटाकर नए अध्यक्ष की नियुक्ति का फैसला हो गया है। आप देख लीजिये। इस बात की पुष्टि के लिए जाहिर है विक्रांत ने अपने सूत्रों या दिल्ली के यूथ कांग्रेस से जुड़े लोगों को फ़ोन किया। चूँकि ये पूरा एक जाल था। विक्रांत ने जिसको फ़ोन लगाया उसने भी कहा कि हाँ, आप राहुल जी की सभा में ज्यादा नजर नहीं आ रहे इसलिए ये बात तो चल रही है।
अब विक्रांत ने यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी या उनके दफ्तर में किसी से बात की। विक्रांत ने कुछ वक्त माँगा और खुद ही इस्तीफा दे दिया। दो घंटे के भीतर ये सब हुआ। विक्रांत का इस्तीफा मिलने के दस मिनट के भीतर नए अध्यक्ष दर्शन सिंह की ताजपोशी हो गई। आलाकमान को बता दिया गया कि विक्रांत ने खुद इस्तीफा दे दिया।
विक्रांत को हटाने के लिए सफाई से बुने गए इस जाल का सच ये है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रभारी जितेंद्र सिंह तक को इस मामले में जानकारी नहीं दी गई। वे खुद मीडिया में आई खबरों के बाद बैठकों में ये कहते नजर आये कि ये फेक न्यूज़ है। मेरी जानकारी के बगैर बीच चुनाव में ऐसा फैसला कैसे होगा।
यानी कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी को इस मामले में कोई जानकारी नहीं रही, उनसे कोई सलाह मशविरा नहीं हुआ। इसके बाद शाम होते होते राहुल गांधी के ऑफिस से भी यही जवाब आया कि विक्रांत ने इस्तीफा दिया। पार्टी ने नहीं हटाया। यानी खुद राहुल गांधी को भी इसकी जानकारी नहीं थी। ये पूरा खेल यदि किसी की जानकारी में था तो वो थे प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, युथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी। इसके अलग अलग कारण है।
पटवारी और भूरिया के बीच कभी कोई सम्बन्ध नहीं रहे। उमंग सिंघार प्रदेश में किसी दूसरे आदिवासी नेता को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते। ये तो हुई प्रदेश की बात पर यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को ऐसा क्यों करना पड़ा। क्यों ऐसी साजिश रची गई।
दरअसल, राहुल गांधी की न्याय यात्रा के दौरान रतलाम में विक्रांत भूरिया ने जोरदार भाषण दिया। इससे राहुल बेहद प्रभावित हुए। वे मंच पर ही बोल गए-आपको तो नेशनल टीम में होना चाहिए। चूंकि श्रीनिवास बीवी का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। उनको अहसास हुआ कि कहीं विक्रांत राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में न आ जाए। वैसे भी राहुल गांधी लगातार आदिवासी नेतृत्व को आगे लाने पर काम कर रहे हैं। यानी एक चौकड़ी पूरे कथित आलाकमान पर भारी पड़ी।कांग्रेस के टूटते, बिखरते संगठन के पीछे ऐसी ही कई कहानियां हैं।
इसका एक बड़ा कारण है कॉग्रेस आलाकमान से बात करने में भी लम्बी कतार से गुजरना होता है। कांग्रेस में आलाकमान को भारत जोड़ो और न्याय यात्रा से पहले पार्टी जोड़ो, संगठन जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए। क्या आलाकमान फिर से लौटेगा या ऐसी ही चौकडिय़ाँ कांग्रेस को बर्बाद करती रहेंगी।
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