इंदौर की राजनीति का कलंकित दौर….. गुलाम समझने वाले नेताओं को NOTA ही देगा जवाब

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस कठिन वक्त में भी एक अच्छा फैसला लिया कि कांग्रेस किसी निर्दलीय का समर्थन नहीं करेगी, कांग्रेस नोटा (यानी इनमे से से कोई प्रत्याशी नहीं ) के साथ जायेगी। सबसे स्वच्छ शहर के मतदाताओं के वोट के अधिकारको जिस तरह से लूटा है उसके खिलाफ जनता को भी NOTA के साथ जाना चाहिए ताकि लोकतंत्र और इंदौर का नामपूरी दुनिया में न्याय की आवाज उठाने के लिए नंबर एक पर रहे।आपके NOTA के बटन दबाने से न्याय की देवी अहिल्या माता का आशीर्वाद भी आपको मिलेगा,

पंकज मुकाती (editor Politicswala)

भोपाल। इंदौर देश का सबसे स्वच्छ शहर। अब राजनीतिक रूप से देश का सबसे कलंकित शहर बन गया। पूरे देश, दुनिया में इंदौर की पहचान लोकतंत्र की खरीदी के तौर पर हो रही। दो दिन पहले तक यदि आप गूगल पर इंदौर सर्च करेंगे तो सबसे स्वच्छ शहर के तौर पर इसका नाम आएगा।

अब इसमें सबसे ऊपर ट्रेंड कर रहा है- बीजेपी के दबाव में कांग्रेस के प्रत्याशी ने नामांकन वापस लिया। ये इंदौर और इंदौरवासियों के लिए शर्म की ही बात है। दुनिया भर में लोग पूछ रहे हैं-तुम्हारे इंदौर में ऐसे ख़रीदे जाते हैं प्रत्याशी।

 इंदौर में हुए इस राजनीतिक सौदेबाजी पर सबसे सही प्रतिक्रिया कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की रही। पटवारी ने बेहद संयमित ढंग से भविष्य की राजनीति, इंदौर के संस्कार और लोकतंत्र के तानाशाही में बदलने पर चिंता जताई है।

पटवारी  को निश्चित ही अपने सबसे भरोसेमंद प्रत्याशी के धोखे से झटका लगा है। पर इसमें अकेले पटवारी दोषी नहीं माने जा सकते। किसी भी प्रत्याशी के मन में बैठे चोर को दुनिया का कोई भी लीडर नहीं पकड़ सकता।

पटवारी आक्रामक नेता है, पर इस बार उन्होंने तर्कों से साथ बात रखी। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस किसी निर्दलीय को समर्थन के बजाय नोटा के लिए अभियान चलाएगी। ये एक दम सही फैसला है। कांग्रेस ने लम्बे  अरसे बाद एक सूझबूझ वाला फैसला लिया है।

आखिर क्यों मतदाता किसी ऐसे प्रत्याशी को चुने जिसको वो जानता ही नहीं। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को नोटा यानी इनमे से कोई भी नहीं का विकल्प चुनना चाहिए।

लोकतंत्र में हो रहे ऐसे खिलवाड़ को रोकने के लिए जनता को पटवारी की बात का समर्थन करना ही चाहिए। बड़ी संख्या में नोटा का बटन दबाकर इंदौर को ये साबित करना चाहिए कि वो हमेशा की तरह अपने लोकतांत्रिक संस्कारों से खिलवाड़ पसंद नहीं करता।

नोटा दबाकर इंदौर को ये साबित करने का भी मौका है कि इंदौर हर तरह के गंदगी के खिलाफ है। वो गलत और गद्दार नेताओं की सफाई करना भी जानता है।

इंदौरवासियों के राजनेताओं  से  कुछ सवाल हैं

-क्या इंदौर के मतदाताओं से उनके पसंद के मतदान का अधिकार छीन लेना गुनाह नहीं है ?
-क्या भाजपा ने मतदाताओं को अपमानित नहीं किया ?
-क्या अक्षय कांति बम जैसे लोकतंत्र के  माथे पर कलंक लगाने वाले को भाजपा में शामिल करवाना कलंक को गुलाल जैसा माथे पर लगाने का कृत्य नहीं है ?
-आखिर न्याय की देवी माता अहिल्या की नगरी के प्रताप को इससे झटका नहीं लगेगा  ?

मान लीजिये अक्षय ने कांग्रेस को धोखा दिया , पर इस धोखे को बीजेपी के मंत्री और विधायक को अपनी सरकारी गाड़ी में चढ़ाने की क्या मजबूरी थी ?

– इंदौर से आठ बार सांसद रही सुमित्रा महाजन ‘ताई’ की संस्कारी राजनीति को भाजपा ने अक्षय को भगवा ओढ़ाकर अपवित्र क्यों किया ?

– भाजपा को पिछले 35 सालों से हर चुनाव में भारी जीत दिलवाने वाले इंदौरी मतदाता पर भरोसा न करके भी बीजेपी ने जुर्म किया ?

– आखिर अक्षय कांति बम में 15 लाख की घडी के प्रदर्शन के अलावा ऐसा कौन सा गुण था कि पूरी भाजपा उसको लपकने को दौड़ पड़ी ?

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