निशा बांगरे ने छोड़ी कांग्रेस, वापस नौकरी पर लौटेंगी या बीजेपी में शामिल होगीं ?

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भोपाल। बाबा साहेब आम्बेडकर की जयंती पर कंग्रेस की एक दलित नेता इस्तीफा दे दिया। विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए डिप्टी कलेक्टर पद छोड़ने वाली निशा बांगरे ने कांग्रेस की सदसयता छोड़ दी। वे बोलीं कांग्रेस ने मुझे धोखा दिया। इस पार्टी में नारी सम्मान की कोई जगह नहीं है। ये धोखेबाज पार्टी है। माना जा रहा है कि वे अपनी नौकरी पर वापस लौट सकती है। दूसरी संभावना है कि वे भाजपा में शामिल हो जाए।

कांग्रेस ने निशा बांगरे को प्रदेश महामंत्री और मुख्य प्रवक्ता बनाया था। इससे पहले उन्होंने सरकारी नौकरी में वापस आने की इच्छा जताई थी। इसके लिए उन्होंने 3 महीने पहले मुख्य सचिव वीरा राणा को आवेदन भेजा था। अभी तक विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

निशा ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को दो पन्नों का पत्र भेजा।पात्र में पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त करने को कहा है।बांगरे ने कांग्रेस पर धोखा देने और षड्यंत्र कर चुनाव लड़ने से रोकने का आरोप भी लगाया है। बांगरे को कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लेकर आये थे। उनको विधानसभा चुनाव लड़वाने का आश्वासन दिया था। इसके बाद ही उन्होंने इस्तीफा दिया था।

दो पन्नों के पत्र में उन्होंने लिखा, ‘मैं समझती थी कि कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़कर समाज के शोषित, पीड़ित और वंचित लोगों का प्रतिनिधित्व करूंगी। बाबा साहब के सपनों को साकार कर सकूंगी। लेकिन पिछले 6 महीने से कांग्रेस की नीयत को करीब से आंकलन कर मैंने यह पाया कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे धोखा दिया।’

आरोप -योग्यता को ही अयोग्यता बना दिया

पूर्व डिप्टी कलेक्टर ने लिखा, ‘कांग्रेस में नारी सम्मान के लिए कोई स्थान नहीं है। जिसका ताजा उदाहरण लोकसभा चुनाव 2024 में मध्यप्रदेश में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व न मिलना भी है। मैं राजनीति में व्यापक स्तर पर कार्य करना चाहती थी लेकिन कांग्रेस ने मेरी योग्यता को ही अयोग्यता बना दिया। अतः मैं कांग्रेस पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त होना चाहती हूं। अपना पूरा जीवन बाबा साहब के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित करती रहूंगी।’

बांगरे छतरपुर जिले में बतौर डिप्टी कलेक्टर पोस्टेड थीं। छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम रहते उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। वे बैतूल जिले की आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं। इसी वजह से सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था। उनका इस्तीफा शासन की ओर से जब तक स्वीकार किया गया, तब तक कांग्रेस ने मनोज मालवे को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। ऐसे में वे चुनाव नहीं लड़ पाई थीं।

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