….इधर शिवराज मोदी को भगवान बता रहे थे उधर परेशान दम्पत्ति ने आर्थिक तंगी
से त्रस्त होकर जान दे दी
सांवेर में आर्थिक तंगी के चलते बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली, बुजुर्ग दंपत्ति ने जब जान दी उसी वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भगवान बताते हुए किसानों और ग्रामीणों की ज़िंदगी को सुखद बनाने वाला बता रहे थे। दंपत्ति की मौत ने सरकार के कोरोना संक्रमण के दौर में लोगों की सहायता के दावों को भी झूठ साबित कर दिया।
इंदौर। इंदौर के सांवेर विधानसभा में एक घटना ने प्रदेश को शर्मसार कर दिया। सरकार के तमाम झूठे दावों को भी सामने रख दिया। कोरोना काल में लगातार बेरोजगारी से परेशान एक बुजुर्ग दंपत्ति ने बुधवार को जहर खा लिया।
उनका बेटा भी पिछले छह माह से बेरोजगार है। दंपत्ति की आर्थिक हालत इतने ख़राब हो चुके थे कि चाय के लिए दूध खरीदने तक के पैसे उनके पास नहीं थे। सांवेर में जहां ये घटना हुई ये वही इलाका है जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास कर रहे हैं। भाजपा हजारों लोगो की कलश यात्रा निकाल रही है।
आखिर सरकारी तंत्र क्या सिर्फ कागज़ी घोषणा ही करेगा और लोग इस तरह से भूखमरी से मरेंगे। जबकि शिवराज सरकार ये दावा कर रही है कि प्रदेश में सबको खाद्यान्न और रोजगार दिया जा रहा है।
आखिर कौन लेगा ऐसे गरीबों की जिम्मेदारी ? कलश यात्रा से जरुरी है, ज़िंदा लोगों की ज़िंदगी को बचाकर पुण्य कर्म किये जाएँ।
मामला सांवेर विधानसभा क्षेत्र के पिवड़ाय गांव का है। इस इलाके में उपचुनाव होने हैं। रात दिन सरकारी अमला यहां ड्यूटी बजा रहा है। इलाके में गरीबी से तंग आकर बुजुर्ग दंपती ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
घर में आर्थिक तंगी इतनी थी कि उन्होंने चाय के लिए दूध तक खरीदना बंद कर दिया था। जहर खाने के बाद दोनों ने बेटी को फोन पर कहा कि खुश रहना, अब हम जा रहे हैं। 60 वर्षीय राधेश्याम कामदार और पत्नी शिवकन्या बेटे गोपाल के साथ रहते थे।
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इस घटना ने सरकारी तंत्र के दावों को खोलकर रख दिया। कोरोना संक्रमण के दौर में ऐसे कई परिवार ज़िदगी से संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को जब दंपत्ति का बेटा काम से बैंक गया हुआ था, उसी समय दोनों ने जहर खा लिया। इसके बाद खुड़ैल में ब्याही बेटी अलका को फोन लगाकर जानकारी दी।
उससे कहा- हम तो जा रहे हैं। अब तू खुश रहना। बेटी ने तत्काल आसपास के रिश्तेदारों को फोन लगाया। रिश्तेदार उन्हें एमवायएच ले गए। देर रात उनकी मौत हो गई। बुधवार को पीएम के बाद उन्हें एक साथ अंतिम विदाई दी गई। अंत्येष्टि में काफी लोग शामिल हुए।
शिवराज जी जनता की तरफ भी देखिये
गांववालों ने बताया कि राधेश्याम बचपन से दिव्यांग थे। उनके पास जमीन भी नहीं थी। घर का खर्च चलाने के लिए पति-पत्नी मजदूरी करते थे। लॉकडाउन में मजदूरी मिलना भी बंद हो गई। इससे वे काफी परेशान रहने लगे थे। बेटा गोपाल एक फैक्टरी में काम करता था। लॉकडाउन में उसे भी काम पर आने से मना कर दिया गया था। इससे घर की हालत और खराब हो गई। उसकी शादी भी नहीं हुई थी।