उपचुनाव की 27 सीटों में से 18 पर संकट
परेशान मुख्यमंत्री को कहना पड़ा-काम करो, नहीं तो सरकार चली जायेगी
उपचुनाव को लेकर हुई भाजपा की फीडबैक बैठक में कई बड़े नेता नहीं आये, करीब 18 सीटों पर प्रभारी अब तक गए ही नहीं, विधायक का काम करने से इंकार
इंदौर। उपचुनाव की 27 सीटों के फीडबैक बैठक ने भाजपा की पेशानी पर बल ला दिया है। भाजपा को अपने ही नेताओं से भितरघात दिख रहा है। कांग्रेस से भाजपा में लाये गए सिंधिया समर्थकों की सीट पर बगावत दिखाई दे रही है। सिंधिया समर्थकों की 18 सीटें ऐसी है, जिसपर भाजपाई कोई भी मदद को तैयार नहीं है।
रविवार को भाजपा विधायक, मंत्री व सांसदों की बैठक में ये खुलकर सामने आ गया। छह से ज्यादा मंत्री और करीब दस विधायक उन सीटों पर अब तक गए ही नहीं जहां के वे प्रभारी हैं। जिन सीटों पर प्रभारी जा रहे हैं, वहां भी वे बहुत गंभीर नहीं हैं। सिंधिया के ख़ास तुलसी सिलावट और गोविन्द सिंह राजपूत की सीट पर भी अंदरखाने यही हाल है।
मालवा निमाड़ की सीटों पर कोई सक्रियता नहीं है। 16 सीटों वाले चम्बल-ग्वालियर में सब कुछ ज्योतिरादित्य सिंधिया के भरोसे हैं। वहां प्रभात झा और जयभान सिंह पवैया के अलावा सिंधिया को लोकसभा चुनाव में परास्त करने वाले केपी सिंह यादव भी बहुत सक्रिय नहीं हैं। सिंधिया अपने ग्वालियर दौरे में बड़ी बगावत का सामना कर चुके हैं। बदनावर सीट पर राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव भी बहुत संकट में हैं।
उपचुनाव में सिंधिया समर्थकों की हार होते देख इस बैठक में भाजपा ने तीखे तेवर दिखाए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ये तक कहना पड़ा- सत्ता नहीं बचेगी तो आप सबका रुतबा भी नहीं रहेगा। काम करिये। भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने इसे गंभीरता से लिया। भगत ने बैठक में कई बड़े नेताओं की क्लास लगाई।
भगत ने मंत्री विजय शाह को कहा-‘ऊपर-ऊपर काम करने की प्रवृत्ति नहीं चलेगी। जो जवाबदारी दी गई है, उसे पूरा करें। इलाकों में जाएँ। उन्होंने कहा कि कई लोग सीटों पर नहीं गए। यह ठीक नहीं। सूत्रों के अनुसार बैठक में कई सीटों पर चिंता जाहिर की गई। अपनी ही पार्टी में सिंधिया समर्थकों की खिलाफत से निपटने का भाजपा को कोई रास्ता नहीं सुझ रहा। भाजपा ने यदि अपने विधायकों पर ज्यादा दबाव बनाया तो उनके टूटने का भी डर है।
विधायक ने भगत को दिया दो टूक जवाब
मैं इस सीट पर काम नहीं करूँगा
भगत ने सिरोंज से विधायक उमाकांत शर्मा से पूछताछ की। शर्मा ने कहा कि जो सीट उन्हें मिली है, वह उनके अनुकूल नहीं है। इसीलिए अभी तक नहीं गया। सूत्रों के अनुसार शर्मा ने ये भी कहा कि वे इस सीट पर काम नहीं कर पाएंगे। इस पर भगत ने दो टूक कहा कि किस सीट पर जाना या नहीं जाना, यह पार्टी तय करती है, आप नहीं। आज तो आपने कह दिया, आइंदा नहीं कहना।
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कई मंत्री-बड़े नेता नहीं पहुंचे
यह बैठक बहुत पहले से तय थी, बावजूद इसके कई मंत्री व बड़े नेता इसमें नहीं पहुंचे। करीब दस मंत्री जो शनिवार को सीएम निवास में हुई बैठक में भी नहीं थे, वे रविवार को भी नहीं पहुंचे। इनमें से तीन तो कोविड पॉजिटिव हैं। बड़े नेताओं में सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रहलाद पटेल समेत अन्य शामिल हैं। इससे ये साफ़ है कि सिंधिया समर्थकों के पक्ष में काम करने को लेकर भाजपा के नेता राज़ी नहीं हैं। भाजपा में इस तरह से कभी खुलेआम बैठक में बगावत भी नहीं होती रहे है।
शिवराज को कहना पड़ा-सक्रिय हो जाओ वरना सरकार चली जायेगी
भगत ने कहा कि चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले सभी लोग मंडल स्तर की बैठक कर लें। घर-घर झंडे लग जाएं। इस बीच मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सरकार है तो रुतबा बरकरार रहेगा। सरकार चली गई तो यह भी चला जाएगा। इसलिए सिर्फ लैटरपैड छपवाकर नामधारी बनने से अच्छा है कि चुनाव की जीत में जुट जाएं। मप्र की 27 सीटों के उपचुनाव मप्र का भविष्य और देश की दिशा तय कर सकते हैं।
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