मध्यप्रदेश के महिदपुर में सवर्णों ने श्मशान घाट पर दलित का शव जलाने से रोका परिवार के सदस्यों को अपशब्द कहे, जान से मारने की धमकी दी
दो दिन से थाने में रिपोर्ट के बावजूद दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं
इंदौर। मध्यप्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़ने के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। गुना में एक दलित परिवार की पिटाई सहित कई मामले पिछले तीन महीने में सामने आये। शुक्रवार को मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया। महिदपुर में एक दलित के अंतिम संस्कार को दबंगों ने रोक दिया।
सवर्णों ने सार्वजनिक श्मशान घाट पर दलित का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया। प्रदेश सरकार को इस मामले में अपनी बात सामने रखकर दोषियो पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
भीम आर्मी के विरोध के बावजूद अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। श्मशान घाट के कर्ताधर्ताओं ने दलित परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी भी दी और अपशब्दों के साथ कहा कि मुंह खोला तो परिणाम बुरा होगा। बुधवार को इस घटना की थाने में रिपोर्ट के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
करीब दो घंटे तक पूरे विवाद के बाद भी श्मशानघाट का संचालन करने वाली समिति के अध्यक्ष नहीं माने। ऐसे में अंतिम संस्कार शिप्रा नदी के तट पर करना पड़ा। यहमामला बुधवार शाम महिदपुर के सत्याघाट श्मशान पर हुआ। इस घाट का संचालन एक समिति करती है।
जमालपुरा टोड़ी के रहने वाले विमल परमार के पिता जगदीश परमार देवास में भर्ती थे। वहीं उनकी मौत हो गई थी। उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। अंतिम संस्कार के लिए परिजन उनका शव महिदपुर लाए थे।
इसे लेकर वह सत्या श्मशान घाट पहुंचे तो संचालक ने शव जलाने देने से इनकार कर दिया। थाना प्रभारी शंकरसिंह चौहान ने बताया कि मोहनलाल परमार ने शिकायत दर्ज कराई है कि श्मशान घाट का संचालन करने वाली समिति के अध्यक्ष प्रकाश दुबे ने अंतिम संस्कार कराने से यह कहते हुए मना कर दिया कि इस श्मशान घाट पर दलितों का अंतिम संस्कार नहीं करने देंगे।
आरोप है कि दुबे ने मोहनलाल परमार सहित विमल परमार को अपशब्द कहे और गाली-गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी। वहीं आरोपी दुबे का कहना है कि अंतिम संस्कार कराने से पहले अनुमति लेनी चाहिए थी, जो नहीं ली गई थी।
हरिजन का शव नहीं जलाने दूंगा
समाज के जीवनलाल, रतनलाल, मुकेश और अशोक ने दुबे से आग्रह किया कि हम महिदपुर के रहने वाले हैँ, आप हमें जानते हो, हमें अंतिम संस्कार करने दो। लेकिन दुबे बोला, तुम हरिजनों के शव नहीं जलाने दूंगा। तुम लोग यहां से नहीं गए तो तुम लोगों को जान से खत्म कर दूंगा। समस्या का हल न निकलते देख अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए शव को शिप्रा नदी किनारे ले जाया गया। वहीं अंतिम संस्कार किया गया।
प्रदर्शन के बाद थाने में दर्ज हुई रिपोर्ट
घटना से नाराज दलित परिवार के लोग भीम आर्मी के सदस्यों के साथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने गए। लेकिन पुलिस आनाकानी करती रही। इस पर भीम आर्मी ने थाने पर प्रदर्शन किया। करीब दो घंटे तक लोग थाने का घेराव करते रहे। इसके बाद पुलिस ने श्मशान घाट संचालक प्रकाश दुबे के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया। टीआई चौहान ने बताया कि इस मामले में अभी प्रकाश दुबे की गिरफ्तारी नहीं की गई है। गिरफ्तारी के बाद ही सही स्थिति पता चलेगी।
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