दुनिया भर में कोरोना वायरस संकट के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने सिगरेट पीने वालों के लिए विशेष चेतावनी जारी की है. संस्था ने कहा है कि जब तक कोरोना वायरस का प्रकोप बना हुआ है, तब तक सिगरेट पीने और तंबाकू का सेवन करने वालों को अपनी यह आदत छोड़ देनी चाहिए. डब्लूएचओ से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान करने वालों को कोरोना वायरस संक्रमण से ज्यादा खतरा है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो तंबाकू और धूम्रपान से श्वसन प्रणाली, सांस की नली और फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचता है. इससे टीबी, फेफड़ों के कैंसर सहित तमाम ऐसे रोग होते हैं जिनमें फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और सांस लेने में परेशानी होती है. चंडीगढ़ के फोर्टिस अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ हरमिंदर सिंह पन्नू एक समाचार पत्र से बातचीत में कहते हैं कि कोरोना वायरस (कोविड-19) मुख्य रूप से इंसान की श्वसन प्रणाली पर ही असर करता है. एक स्टेज आने पर कोरोना के मरीजों को सांस लेने में भी काफी परेशानी होती है. डॉ हरमिंदर के मुताबिक पहले से ही खराब श्वसन तंत्र पर जब कोई (जानलेवा) वायरस हमला करेगा तो स्थिति गंभीर होनी ही है.
कोरोना वायरस फेफड़ों के लिए कितना खतरनाक है इसका असर हाल में आयी एक रिपोर्ट से भी लगता है. हांगकांग में कोरोना संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पाया है कि हर तीन में से दो ठीक होने वाले रोगियों के फेफड़ों की कार्य क्षमता 20-30 फीसदी तक कम हो गयी.
चीन में हाल ही में हुए एक रिसर्च से भी यह पता चलता है कि जिन लोगों को तंबाकू, सिगरेट या अन्य किसी वजह के चलते सांस संबंधी परेशानियां हुई थीं, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण ज्यादा तेजी से खतरनाक स्थिति में पहुंच गया. यह रिसर्च करीब 56 हजार कोरोना संक्रमित लोगों पर किया गया था. इस अध्ययन में यह भी सामने आया कि सामान्य व्यक्ति की तुलना में ब्लड प्रेसर, टीबी, कैंसर और मधुमेह के रोगियों में कोरोना वायरस के लक्षण ज्यादा तेजी से फैले.
सिगरेट और तंबाकू को दिल की बीमारियों के प्रमुख कारणों में गिना जाता है. कुछ अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि कोरोना वायरस के जिन मरीजों को दिल की बीमारियां थीं, उनमें कोविड-19 के लक्षण तेजी से गंभीर स्थिति में पहुंच गए और मौत का खतरा बढ़ गया. हालांकि, अभी तक कोई ऐसा रिसर्च नहीं हुआ है जिससे हृदय रोग और कोरोना वायरस संक्रमण के बीच सटीक संबंध होने का पता लग सके. लेकिन, कई रिसर्च से यह बात साफ़ हो चुकी है कि कोरोना वायरस (कोविड-19 या सार्स कोव-2 वायरस) पिछले सालों में सामने आये ‘मार्स-कोव’ और ‘सार्स-कोव’ वायरसों की फैमिली का ही हिस्सा है. ‘मार्स-कोव’ और ‘सार्स-कोव’ के मामले में प्रमाणित हो चुका है कि ये दोनों वायरस दिल के मरीज को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. चूंकि तंबाकू और सिगरेट दिल की हालत खराब करते हैं इसलिए उनका सेवन करने वालों को कोरोना वायरस का खतरा भी ज्यादा है.
डब्लूएचओ से जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञ एक और बात बताते हैं. ये लोग कहते हैं कि धूम्रपान के दौरान लोगों की उंगलियां बार-बार उनके होठों के संपर्क में आती हैं. इससे भी संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है. हुक्के या चिलम के मामले में संक्रमित होने का डर और भी ज्यादा हो जाता है क्योंकि एक ही हुक्के या चिलम से कई लोग धूम्रपान करते हैं.
यहां पर एक बात और कही जा सकती है. पिछले कुछ दिनों से लॉकडाउन होने के चलते भारत और पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण काफी कम हो गया है. दिल्ली जैसे शहरों में इसे सबसे ज्यादा महसूस किया जा सकता है. प्रदूषण का संबंध भी श्वास और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों से होता है और कहा जाता है कि दिल्ली में रहने वाला हर व्यक्ति हर रोज कई सिगगेटों के बराबर प्रदूषण की मार झेलता है. इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि लॉकडाउन न केवल कौरोना वायरस के फैलाव को रोकने में मदद करता है बल्कि इससे संक्रमित होने पर उसकी गंभीरता को कम करने में भी मददगार साबित हो सकता है.
(आपदा के इस दौर में जनहित में प्रसिद्द वेबसाइट सत्याग्रह से साभार इस लेख को प्रकाशित कर रहे हैं )