इंदौर। लोगों तक राहत पहुंचाई जा रही है और साथ ही सियासत भी हो रही है। वैसे तो ज्यादातर नेता गायब हैं, लेकिन कुछ हैं, जो मोर्चे पर हैं, उनमें जीतू पटवारी भी हैं। इंदौर के तकरीबन सभी इलाकों में उनकी तरफ से राहत पहुंचाई जा चुकी है। हजारों पैकेट बांट रहे हैं, लेकिन राहत के ट्रक जैसे ही सांवेर में घुसे, सियासी शोर-शराबा शुरू हो गया, क्योंकि वहां सिर्फ तुलसी सिलावट ही लोगों तक पहुंच रहे थे,पर सब तक वो भी पहुंच नहीं पाए हैं।
फिर भी कांग्रेस तो कहीं बची नहीं है, भाजपा के दूसरे नेता ज्यादा कुछ नही कर रहे हैं, लेकिन दिख सिलावट ही रहे थे। पटवारी ने पहले तो वीडियो के ज़रिए उन पर हमला बोला था और अब उनके इलाके में अपने राहत ट्रक पहुंचा कर एक बार फिर तुलसी सिलावट के सामने खुद को खड़ा कर दिया है। यहां अभी तक तीन बीस-पच्चीस हजार राहत पैकेट पहुंचा दिए गए हैं, जो अलग-अलग गांव में बांट रहे हैं
राऊ की टीम ही इसे पहुंचा रही है। सांवेर के भी कुछ कांग्रेसियों को काम पर लगा लिया गया है, लेकिन ढूंढा प्रेमचंद गुड्डू को भी जा रहा है, जिन्होंने ताल तो ठोक दी है, पर मदद में उनके हाथ पीछे हैं। जो भी हो, पटवारी ने जो पत्ता चला है, उसके मतलब समझे जा रहे हैं और जिस तरह से उनके खेमे के पार्षद रहे दिलीप सुरागे को आगे किया गया है, उसने भी उछल कूद करना शुरू कर दी है, क्योंकि जिस कोटे का चुनाव सांवेर में होता है,सुरागे वहीं से आते हैं और वही ताकत से सांवेर में डटे हुए हैं। क्या मतलब निकाला जाए पटवारी ने अपना उम्मीदवार तय कर लिया है और वो चाह रहे हैं तुलसी सिलावट के सामने दिलीप सुरागे को खड़ा किया जाए।
हालांकि फर्क बहुत है और जिस तरह का चुनाव सांवेर में होता है, उसमें सुरागे कहीं खड़े होते नहीं हैं, पर अभी तो वो राहत के साथ खड़े हैं और गांव गांव पहुंच रहे हैं, जिसके बाद उन सबके लिए मुसीबत है, जो सिलावट की जगह लेकर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की जुगत में लगे हैं।
इन सबके बीच सदाशिव यादव को भी वही देखा गया है और पटवारी की टीम के दूसरे नेता है, वो भी इस इलाके में भागदौड़ करने लगे हैं। जो भी हो पर तालाबंदी के बावजूद सियासत दिलचस्प हो गई है और यहां जो भी हो रहा है, उसमें उपचुनाव ढूंढे जा सकते हैं। यही वजह है पटवारी की राहत में राहत तो है, पर तुलसी सिलावट के लिए बेचैनी भी है।
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