कीर्ति राणा
मीडिया हाउस जब भरपूर कमाई के बाद भी अपने संस्थानों से जुड़े पत्रकारों की स्वास्थ्य बेहतरी के लिए गंभीरता नहीं दिखा रहे हों, दशकों तक एक ही संस्थान में सेवा के बाद रिटायर हुए कर्मियों के निधन का समाचार संक्षिप्त समाचार लायक भी न समझते हों ऐसे जमाने में मप्र में भोपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार (मूल रूप से उज्जैन के) डॉ सुरेश मेहरोत्रा ऐसे भी हैं जो अपनी बिरादरी की मुंहजबानी चिंता ही नहीं करते बल्कि साल के पहले सप्ताह में भोपाल के पत्रकार-मित्रों को बड़े प्यार से बुलाते हें और पत्रकारों की संस्था ‘सोसायटी फ़ॉर जर्नलिस्ट हेल्थ केयर’ के हाथों 5 लाख रुपए का चेक सौंप देते हैं।पत्रकार बिरादरी की चिंता का यह सिलसिला लगातार 7 साल से चल रहा है।यानी 35 लाख रु दे चुके हैं।
कुछ साल पहले उनका इकलौता पुत्र समीर जयपुर गया था निजी काम से, होटल में रुका था, अचानक हाथ पैरों में दर्द शुरु हुआ। पेन किलर दवाइयां बेअसर साबित हुईं और शरीर पर फफोले फैल गए।परिवार के ही एक अन्य सदस्य डॉ योगेश मेहरोत्रा हैं तो भोपाल के नंबर वन चिकित्सक लेकिन वे भी समीर का मर्ज समझ पाते इससे पहले ही वह चल बसा।
#बिच्छू डॉट कॉम के संपादक #अवधेश बजाज से चर्चा हुई तो कहने लगे मेहरोत्रा जी को इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि मदद के बदले कोई उनका हालचाल पूछना भी याद रखता है या नहीं।वो तो हर साल मदद करना भूलते नहीं।पत्रकार# महेश दीक्षित कहने लगे इस तरह मदद का भाव सबके मन में कहां आता है, कौन नहीं चाहेगा कि उनके जैसा पत्रकारों का मददगार निरोगी रहे।
जिस फ्रेंडस ऑफ जर्नलिस्ट सोसायटी को वे हर साल के पहले-दूसरे सप्ताह में बुलाकर चेक सौंपते हैं उसके संस्थापक सदस्यों में से एक #ब्रजेश राजपूत (@abp news) चर्चा में बताने लगे हमारा यह संगठन तो औपचारिक सा ही था। जब मेहरोत्रा सर से मदद का पहला चेक मिला तो इसका रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी समझा।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी सोसायटी की आर्थिक मदद की है।अब तक जितनी राशि एकत्र है उसके ब्याज से पत्रकार मित्रों को ईलाज के लिए या उनके आकस्मिक निधन पर परिजनों को मदद कर देते हैं। तक़रीबन पचास से ज़्यादा पत्रकारों और उनके परिजनों को आड़े वक़्त में सोसायटी मदद कर चुकी है। मेहरोत्रा सर हमारी संस्था को आने वाले सालों में पंद्रह लाख रुपये और देकर पचास लाख का लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं जिससे संस्था की जमा राशि इतनी हो जाए की पत्रकार मित्रों की दुःख तकलीफ़ में मदद करने की घड़ी में ज़्यादा सोचना ना पड़े और किसी और के आगे हाथ ना फैलाना ना पड़े, अभी इसके अध्यक्ष तो मनीष श्रीवास्तव है।
हमारी इस सोसायटी के सदस्य मित्रों की इस बात पर सहमति है कि फालतू के कार्यों में पैसा नहीं उड़ाया जाए।भोपाल की इस सोसायटी से प्रेरणा लेकर @indore press club के अध्यक्ष अरविंद तिवारी और महासचिव नवनीत शुक्ला ने भी पहल शुरु की है।एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार तपेंद्र सुगंधी ( @prabhat kiran ) के मन में भी ऐसा ही कुछ करने की छटपटाहट है और अपने स्तर पर पीड़ित पत्रकार परिवारों की मदद भी कराते रहते हैं।
#मेहरोत्रा जी ने कहा मैं जो भी पैसा देता हूं
बाकायदा टैक्स चुकाने के बाद देता हूं
क़रीब पचहत्तर साल की उम्र में रोज़ सुबह छह बजे से उठकर अपनी बहुचर्चित वेब पोर्टल #व्हिस्पर्स इन द कोरिडोर चलाने वाले डॉ मेहरोत्रा यदि हर साल 5 लाख रु की मदद कर रहे हैं तो कौन पत्रकार नहीं चाहेगा कि वे सौ साल तो जिएं ही।जब उन्हें हर साल किए जाने वाले इस नेक काम के लिए बधाई दी तो उनका कहना था किसी ने किया या नहीं। इससे मुझे मतलब नहीं, मैं जो कर सकता हूं कर रहा हूं।
कितने साल जिंदा रहूंगा, तय नहीं। मैं जो भी पैसा देता हूं बाकायदा टैक्स चुकाने के बाद देता हूं। 75 का तो हो गया हूं, पता नहीं और कितने साल जिऊंगा।कई बार जब हिम्मत हारने लगता हूं तो साथी मित्र कहते हैं यार खुशवंत सिंह तो 99 की उम्र तक कॉलम लिखते रहे, तुम तो अभी 75 के ही हुए हो। मैंने पूछ लिया आज की पीढ़ी के पत्रकारों के लिए क्या कहेंगे, मेहरोत्रा जी कहने लगें लिखने-पढ़ने से वास्ता रखें और जितने आप एक्टिव हैं उतने एक्टिव रहें।लोग आप को तब ही जान सकेंगे जब आप एक्टिव रहेंगे।
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