सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पांच एकड़ जमीन स्वीकारी, जमीन पर मस्जिद के अलावा लाइब्रेरी और हॉस्पिटल भी बनेगा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा अयोध्या में दी गयी पांच एकड़ जमीन को स्वीकार करते हुए उस पर मस्जिद के साथ-साथ ‘इंडो-इस्लामिक’ सेंटर, अस्पताल और लाइब्रेरी के निर्माण का फैसला किया है। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने अयोध्या में दी जा रही पांच एकड़ जमीन को स्वीकार किए जाने का फैसला सुनाया। इस जमीन पर बनने वाली मस्जिद का नाम बाबरी होगा या नहीं ये अभी स्पष्ट नहीं किया गया।
बोर्ड ने यह भी फैसला किया है कि वह उस जमीन पर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट भी गठित करेगा. उस जमीन पर मस्जिद के निर्माण के साथ-साथ एक ऐसा केंद्र भी स्थापित करेगा जो पिछली कई सदियों की ‘इंडो-इस्लामिक’ सभ्यता को प्रदर्शित करेगा.
फारूकी ने बताया कि इसके साथ ही भारतीय तथा इस्लामिक सभ्यता के अन्वेषण तथा अध्ययन के लिए एक केंद्र तथा एक चैरिटेबल अस्पताल एवं पब्लिक लाइब्रेरी तथा समाज के हर वर्ग की उपयोगिता की अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी की जाएगी. साथ ही इंडो-इस्लामिक केंद्र में रिसर्च और स्टडी दोनों ही सेंटर होंगे.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए संबंधित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और सरकार को मामले के मुख्य मुस्लिम पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था.
बीते पांच फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बताया था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की थी. इसी दिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दी जाने वाली पांच एकड़ जमीन आवंटित कर दी गई थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक के बाद प्रदेश के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मीडिया को बताया था कि अयोध्या मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर ग्राम धन्नीपुर, तहसील सोहावल रौनाही थाने के 200 मीटर के पीछे पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को देने के लिए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी.
लखनऊ-अयोध्या हाईवे पर अयोध्या से करीब 22 किलोमीटर पहले रौनाही में है. रौनाही मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, जो अयोध्या के मुख्य मंदिर क्षेत्र के दायरे में नहीं आता.