तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के संसद में भाषण का पोस्टमार्टम
करने वाले मीडिया के झांसे, झूठ की सोशल कलई खुल गई,
-सुनील कुमार (संपादक, डेली छत्तीसगढ़)
दुनिया का मीडिया बड़े दिलचस्प दौर से गुजर रहा है। इंटरनेट की मेहरबानी से चोरी और नकल सांस लेने की तरह आसान काम हो गए हैं, और इससे जरा ही मुश्किल काम रह गया है ऐसी चोरी या नकल को पकडऩा। अभी तृणमूल कांग्रेस की नई सांसद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया, तो भाजपा-आरएसएस और देश के आज के माहौल को लेकर उन्होंने मोदी सरकार और उसकी समर्थक ताकतों पर ऐसा तगड़ा हमला बोला कि लोग याद करने लगे कि किसी नई-नई राजनेता का संसद में ऐसा दमदार पहला भाषण क्या उन्होंने पहले कभी सुना था? महुआ एक अंतरराष्ट्रीय बैंक में विदेश में काम करती थी, और वे हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की राजनीति में आकर चुनाव के रास्ते संसद पहुंची हैं, और उन्होंने संसद में कोई हथगोला फेंके बिना महज अपने भाषण से अपनी दमदार आमद दर्ज कराई है।
जाहिर है कि मीडिया का एक तबका जो कि मोदी, भाजपा, आक्रामक-हिन्दुत्व, उग्र राष्ट्रवाद की किसी भी किस्म की आलोचना पर कलम फेंककर त्रिशूल उठा लेने पर आमादा रहता है, वह तुरंत ही महुआ के भाषण के पोस्टमार्टम में जुट गया। इस सांसद ने अपने धारदार भाषण में किसी देश में फासीवाद के आने के शुरुआती संकेतों की एक फेहरिस्त गिनाई जिसे एक समाचार चैनल ने तुरंत ही चोरी साबित करने का दावा किया। उसने समाचार बुलेटिन में एक खास धमाकेदार अंदाज में गिनाया कि महुआ ने संकेतों की इस लिस्ट को एक अमरीकी ब्लॉगर के लिखे हुए में से सीधे ही चुरा लिया है। देश के कुछ और लेखक-स्तंभकार भी राष्ट्रवाद की दवात में कलम डुबाकर लिखते हैं, उनका भी मानो दिन निकल पड़ा, और उन्होंने भी इस तेज मिजाज सांसद की चोरी का भांडाफोड़ करने में बहती गंगा में अपने भी हाथ धो लिए।
लेकिन हिन्दुस्तान में इन दिनों कुछ ऐसी वेबसाईटें हैं जो कि चर्चित या विवादास्पद समाचारों को लेकर, उनकी तह तक जाकर यह भांडाफोड़ करती हैं कि उनमें कही गई बातें, दिखाई गई तस्वीरें, या पोस्ट किए गए वीडियो सच्चे हैं, या झूठे हैं। ऐसी ही एक वेबसाईट ने तुरंत सांसद महुआ मोइत्रा के भाषण की जांच की, और जीन्यूज के किए भांडाफोड़ को भी परखा, तो पता चला कि भाषण की लाईनें सचमुच ही इस अमरीकी ब्लॉग से ली गई हैं। लेकिन और जांच करने पर पता चला कि अमरीका में युद्ध की यादों के एक संग्रहालय में एक पोस्टर में ये लाईनें इसी तरह लिखी हुई हैं और उसी पोस्टर से बहुत से लेखक, बहुत से ब्लॉगर इन लाईनों का जिक्र करते हैं, और संसद के इस भाषण में महुआ ने आखिर में यह जिक्र भी किया था कि फासीवाद की शुरुआत के संकेतों की जो लिस्ट उन्होंने गिनाई है, वह अमरीकी युद्ध संग्रहालय में मौजूद है।
अब सवाल यह उठता है कि इस जिक्र के साथ अगर किसी सांसद ने ऐसे पोस्टर का जिक्र किया है जहां से उन्होंने इन लाईनों को लिया है, तो इसमें चोरी क्या है? संसद में दिया गया यह भाषण पूरे का पूरा खबरों में छाया हुआ था, उसका वीडियो चारों तरफ तैर रहा था, और यह मुमकिन नहीं है कि जीवंत प्रसारण वाला यह वीडियो दिल्ली में बैठे हुए एक संपन्न और सक्षम टीवी चैनल को हासिल नहीं था। इस वीडियो में भाषण के अंत में कही हुई बातों को पूरी तरह अनदेखा करके भाषण देने वाली हौसलामंद नौजवान सांसद पर चोरी का इल्जाम लगाना, और इस चोरी को पकडऩे को एक महान कामयाबी की तरह पेश करना बहुत ही शर्मनाक हरकत रही। लेकिन सोशल मीडिया की मेहरबानी से वह अमरीकी ब्लॉगर खुद होकर सामने आया जिसके ब्लॉग से लाईनों को चुराने का आरोप महुआ पर लगाया गया था, और उसने ऐसे दक्षिणपंथी लोगों को अमरीकी सड़क की जुबान में गालियां देते हुए लिखा कि ऐसे लोग दुनिया के हर देश में एक ही किस्म के रहते हैं।
आज मीडिया और सोशल मीडिया की अतिसक्रियता के ऐसे दौर में न तो किसी को चोरी की हिम्मत करनी चाहिए, और न ही ऐसी फर्जी टीवी रिपोर्ट बनाने की जो कि बनने से पहले ही झूठी साबित हो चुकी थी क्योंकि सांसद के भाषण में कही गई बातों के लिए यह जिक्र किया गया था कि ऐसे खतरों की लिस्ट युद्ध के संग्रहालय में टंगी हुई है। आज के वक्त में बदनीयत से किसी को बचाने की कोशिश किसी तरह कामयाब नहीं हो सकती, न बदनाम करने की कोशिश, न बचाने की कोशिश। लोगों को यह याद रखना चाहिए कि अपनी खुद की विश्वसनीयता को खोकर वे किसी और की विश्वसनीयता को बढ़ा नहीं सकते, और न ही ऐसी साजिशों से किसी की विश्वसनीयता को कम कर सकते। कमअक्ल, कमसमझ कुछ लोग कुछ देर के लिए झांसे में आ सकते हैं, लेकिन आज के वक्त में ऐसे झांसे की उम्र एक बुलबुले की उम्र से भी कम रहती है क्योंकि झूठ का भांडाफोड़ करने के लिए पूरी दुनिया एक दूसरे से इस कदर जुड़ गई है कि अनजाने लोग भी ऐसा भांडाफोड़ करने में मददगार हो जाते हैं।