पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हठ योग के लिए धूनी रमाये एक हजार
साधुओं के साथ सत्तालोलुप कंप्यूटर बाबा से भी ले लिया आशीर्वाद !
पंकज मुकाती
इंदौर। दिग्विजय सिंह। ये नाम हमेशा भीड़ से अलग लगा । राजनेताओं के ढोंग, धोखे के बीच मैं उन्हें एक सच्चे नेता के तौर पर देखता रहा। वे वोट बैंक, राजनीतिक लाभ से परे जो सच होता वे कहते रहे हैं। चाहे वो किसी धर्म विशेष का आतंकवाद हो, या अपने ही धर्म के खिलाफ आवाज उठाने का मामल। दिग्विजय यानी दिग्विजय। पर मंगलवार को भोपाल में आपने जो कुछ किया उसने आपके दिग्विजय होने का अहसास तोड़ दिया। आपको करीब से जानने वाले और आपके विरोधी भी इस बात को स्वीकारते हैं कि आपमें एक अलग तरह का ओज है। अब आप भी भीड़ का हिस्सा बनते दिख रहे हैं। मुझे अच्छे से याद है आपने कई अवसर पर कहा धर्म और उसके प्रति आस्था प्रदर्शन के लिए नहीं है। मेरा धर्म, मेरी आस्था मेरी अपनी है। उसके दिखावे में बीजेपी का भरोसा है मेरा नहीं। आपकी इस बात का लोग सम्मान करते हैं। पर आपने कम्प्यूटर बाबा के साथ हठ योग किया। वो भी बीजेपी की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ चुनाव जीतने के लिए।
भोपाल से चुनाव आपके लिए बड़ी चुनौती है। आपका मुकाबला किससे है ? एक साध्वी से जो सत्ता के लिए संघर्ष कर रही है। साध्वी, संत, साधू सब के बारे में ये कहा जाता है कि संसार त्याग चुके होते हैं। माया-मोह, अभिमान, पाप पुण्य, खोना-पाना से परे। पर ये साध्वी बदला लेना चाहती है। दुश्मनी निभाने को बेताब है। सत्ता की चाह में रमी हुई है। ये पूरी तरह से छवि के विरुद्ध एक क्षद्म आचरण है। पर अब आप भी छवि के विरुद्ध उसी क्षद्म आचरण पर खड़े हो गए हैं। आपकी सच्चाई और साधुत्व का भ्रम दोनों अब एक ही हैं। भरी दोपहर में हठ योग। एक हजार साधुओं ने भोपाल के सैफिया कॉलेज में धूनी रमाई। आप की जीत के लिए। आप भी सपत्नीक पहंचे आशीर्वाद लेने। नामदेव शास्त्री उर्फ कम्प्यूटर बाबा ने कहा- धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो। दिग्विजय के साथ पूरा संत समाज जुड़ चुका है। अब उनकी जीत तय है। आखिर ये कंप्यूटर बाबा है क्या ? जिनसे आप आशीर्वाद ले रहे है। आशीर्वाद लेना गलत नहीं पर किससे ? आप किसी विद्वान, तपस्वी, पंडित, मनीषी से आशीर्वाद लेते तो अच्छा लगता। कंप्यूटर बाबा, जिन्हे खुद नहीं पता वे क्या चाहते हैं। कल तक वे शिवराज से पर्यावरण, माँ नर्मदा के नाम पर लॉग इन, लॉग आउट कर रहे थे। आज आपके साथ सत्ता के कदमताल कर रहे है। ऐसे संत जिनके पास खुद के लिए भी लक्ष्य और आशीर्वाद नहीं है। उनसे आप क्या हासिल करेंगे.
यक़ीनन, आप इस पर गौर करेंगे। आप भी जानते हैं, वोट के खातिर आपने ये गलत फैसला लिया है। जितनी जल्द हो सके ऐसे कंप्यूटर, पायलट और दूसरे बाबाओ से बाहर आइये। ये चुनावी हार-जीत छोड़िये। दिग्विजय हैं, वही बने रहिये।
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