बसपा से गठबंधन न होने का बलाई समाज के बाहुल्य वाली इस सीट पर सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है कांग्रेस को, त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
इंदौर। मायावती के कांग्रेस से गठबंधन न करने के फैसले का असर मध्यप्रदेश की कई सीटों पर पड़ेगा। बहुजन समाजवादी प्रदेश की कई सीटों पर कांग्रेस का गणित गड़बड़ा सकती है। मालवा-निमाड़ की उज्जैन और देवास-शाजापुर सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी की नजर है। उज्जैन सीट पर बीएसपी कांग्रेस के बागियों से संपर्क में हैं। वही देवास-शाजापुर सीट पर बहुजन समाजवादी पार्टी ने बलाई समाज का प्रत्याशी मैदान में उतारने का मन बना लिया है। कांग्रेस यहाँ से इसी समाज के भजन गायक प्रहलाद सिंह टिपाणिया को मैदान में उतारने की तैयारी में है। बीजेपी यहां से उज्जैन सांसद चितामणि मालवीय के लिए गंभीर है। वही बहुजन समाजवादी पार्टी कबीर पंथी परिवार के एक कांग्रेसी परिवार को यहां से मैदान में उतारना चाहती है। परिवार का बलाई समाज में बड़ा दबदबा रहा है। अभी तक ये परिवार महेश्वर की राजनीति करता रहा। यदि बहुजन समाजवादी पार्टी अपने इस प्रयास में सफल हो जाती है, तो कांग्रेस-बीजेपी दोनों को बड़ा नुकसान होगा। बड़ा नुकसान हालांकि कांग्रेस का ही होगा।
देवास-शाजापुर लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल आठ विधानसभा सीट आती है। लगभग 12 लाख से ज्यादा मतदाताओं वाली इस सीट पर लगभग 40 फीसदी वोटर बलाई समाज के हैं। कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा जब 2009 में यहां से चुनाव बलाई समाज के समर्थन से ही जीते थे। प्रह्लाद सिंह टिपाणिया को लेकर समाज की राय बहुत ठीक नहीं है। समाज का मानना है कि टिपाणिया समाज के आयोजनों में भी गायन के लिए बड़ी रकम मांगते हैं। खुद सज्जन सिंह वर्मा टिपाणिया को लाने से नाराज बताये जा रहे हैं। वे अपने बेटे या किसी समर्थक के लिए टिकट चाहते हैं। यदि टिपाणिया को टिकट मिलता है तो बहुत संभव है वर्मा समर्थक उनसे दूरी बना ले ऐसे में पांच विधानसभा में कांग्रेस को मुश्किल आ सकती है। ऐसे में वर्मा समर्थक चाहेंगे कि बहुजन समाजवादी पार्टी प्रत्याशी फायदे में रहे।
बहुजन समाजवादी पार्टी यहां से कांग्रेस के सम्मानीय नेता रहे सीताराम साधो की बेटी को मैदान में उतारने का मन बना रही है। सूत्रों के अनुसार बहुजन समाजवादी पार्टी मुख्यायलय इसके लिए बैठक कर चुका है। सीताराम साधो कबीर पंथी रहे हैं। उनका पूरे बलाई समाज में विशेष सम्मान है। उनकी एक बेटी विजयलक्ष्मी साधो महेश्वर से कांग्रेस विधायक हैं, और कमलनाथ मंत्रिमंडल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं। दूसरी बेटी प्रमिला कुमार साधो विज्ञानं में स्तानक और पेशे से वकील हैं। वे सुप्रीम कोर्ट वकील हैं। समाज में उनकी सक्रियता बहुत हैं। वे बलाई समाज के विभिन्न सगठनों में बड़े पद पर हैं और सक्रीय हैं। समाज के वरिष्ठ और युवा भी उनके संपर्क में हैं। सुश्री साधो चुनाव तो लड़ना चाहती हैं, पर वे कांग्रेस को छोड़ने का मन नहीं बना पा रही हैं। उनका मानना है कि उनके पिता ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के साथ काम किया। पूरी ज़िंदगी मेरे पिता कांग्रेस से जुड़े रहे। ऐसे में अचानक से पार्टी छोड़ना भारी लगता है। मेरे पिता ने मुझे भीमराव आम्बेडकर की कई कहानियां सुनाई हैं, इसलिए में बहुजन समाज की चिताओं से वाकिफ हूँ।
सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले दिल्ली में प्रमिला साधो से बहुजन समाज पार्टी के कुछ नेताओं ने चर्चा भी की है। कांग्रेस के सामने बड़ी मुश्किल ये होगी कि साधो की बहन कमलनाथ सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में विजयलक्ष्मी को ही बलाई वोट साधने की जिम्मेदारी मिल सकती हैं। पर समाज में विजयलक्ष्मी का वैसे सीधा-सीधा समाज से कोई जमीनी संपर्क नहीं है।
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