गांधी-पटेल दोनों गुजराती फिर भी मोदी दांव पटेल पर क्यों लगाते हैं ?
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गांधी-पटेल दोनों गुजराती फिर भी मोदी दांव पटेल पर क्यों लगाते हैं ?

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल के सम्मान में स्टेचू ऑफ़ यूनिटी बनवाई। वे पटेल को देश का सबसे बड़ा नेता बताने का कोई मौका नहीं चूकते। पटेल की महानता पर कोई सवाल भी नहीं है। फिर भी मोदी पटेल पर बार-बार दांव क्यों लगाते हैं। उनका आशय यह रहता है कि पटेल के साथ कांग्रेस ने न्याय नहीं किया। आखिर पटेल और गाँधी दोनों गुजराती हैं। फिर भी मोदी क्यों पटेल के बिना गांधी को अधूरा बताते हैं, और पटेल से अँगरेज़ डरते थे, ऐसा वे लगातार कहते हैं। अपने ताज़ा ब्लॉग में भी मोदी ने यही किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग के जरिए देश को बताया कि महात्मा गांधी कांग्रेस को स्वतंत्रता के तत्काल बाद ही भंग करना चाहते थे. गांधी जी और 80 सत्याग्रहियों द्वारा द्वारा 1930 में आज ही के दिन शुरू की गई डांडी यात्रा की 89वीं वर्षगांठ के अवसर पर मोदी ने कहा कि कांग्रेस गांधी जी के सिद्धांतों के एकदम विपरीत है.गुजरात में साबरमती आश्रम से समुद्र तटीय गांव डांडी तक पैदल मार्च कर ‘मुट्ठी भर नमक से ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख देने वाले’ गांधी जी का अभिवादन करते हुए मोदी ने कहा, “यद्यपि डांडी मार्च अनैतिक नमक कानून के खिलाफ शुरू किया गया था, लेकिन इससे ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिल गईं और यह अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ाई का सबसे बड़ी प्रतीक बन गया.”

अपने ब्लॉग पर मोदी ने अपने पाठकों से पूछा, “क्या आपको पता है कि डांडी यात्रा की योजना बनाने में मुख्य भूमिका किसकी थी?”उन्होंने कहा, “वह महान सरदार पटेल थे जिन्होंने 390 किलोमीटर लंबी डांडी यात्रा के प्रत्येक मिनट की योजना बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी.”उन्होंने कहा, “गांधी जी ने अपने कई कार्यो के माध्यम से बताया कि वे असमानता और जातिगत भेदभाव पर विश्वास नहीं करते. दुखद है कि कांग्रेस ने समाज को बांटने में कभी संकोच नहीं किया.”

मोदी ने गांधी जी के विचारों और कांग्रेस की संस्कृति के विरोधाभासी बिंदुओं का उल्लेख करते हुए कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, “सबसे भयानक जातिगत दंगे और दलित-विरोधी नरसंहार कांग्रेस के शासन में हुए. प्रधानमंत्री ने कहा कि गांधी जी कांग्रेस की संस्कृति को बहुत अच्छे से समझते थे, “और इसीलिए वे कांग्रेस को भंग करना चाहते थे, विशेष रूप से 1947 के बाद.”

उन्होंने याद किया कि कैसे ब्रिटिश सरकार सरदार साहेब से डरी हुई थी कि डांडी यात्रा से कुछ समय पहले उसने सरदार पटेल को यह सोचकर गिरफ्तार कर लिया कि शायद गांधी जी इससे डर जाएंगे.उन्होंने कहा, “हालांकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ. उपनिवेशवाद से लड़ने का महान लक्ष्य सब पर भारी रहा.”

उन्होंने कहा, “गांधी जी ने हमें समाज के सबसे पिछड़े व्यक्ति की दुर्दशा के बारे में सोचना सिखाया और साथ ही यह सोचना सिखाया कि हमारे कार्यो से उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा.”उन्होंने कहा, “यह कहते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि हमारी सरकार के काम के सभी पहलुओं में गरीबी हटाने और समृद्धि लाने के बारे में विचार किया जा रहा है.

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