नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट के लिए # पहुंच गए हैं। दो दिन तक चलने वाले इस समिट में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने होने वाले समिट में कई बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। भारत की दृष्टि से ब्रिक्स समिट काफी अहम रहने वाला है। समिट में मुख्य रूप से संगठन के विस्तार और मुद्रा के रूप में डॉलर के वर्चस्व को तोड़ने और अपनी मुद्रा में लेनदेन को बढ़ावा दिए जाने पर बातचीत की जाएगी। भारत पिछले काफी समय से अपनी मुद्रा में कारोबार किए जाने की बात करता रहा है। ब्रिक्स बैठक में इस मुद्दे पर कोई निर्णय लिया जा सकता है।
ब्रिक्स पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है। जिनके नाम के पहले अक्षरों को मिलाकर इस समिट का नामकरण ब्रिक्स किया गया है। ब्रिक्स में पहले अक्षर बी से ब्राजील, आर से रूस, आई से इंडिया, सी से चीन और एस से साउथ अफ्रीका है। 2001 में सबसे पहले एक रिसर्च पेपर में ब्रिक्स शब्द का प्रयोग किया गया था। उस समय एस अक्षर उसमें नहीं लगता, क्योंकि तब दक्षिण अफ्रीका समिट के साथ नहीं जुड़ा था। दक्षिण अफ्रीका सन 2010 में इस संगठन का हिस्सा बना, तभी से इसे ब्रिक्स नाम दिया गया। साल 2006 में सबसे पहले ब्रिक्स ने अपनी बैठक की थी। उस साल चारों देशों के विदेश मंत्रियों की भी एक अहम बैठक हुई थी। उसके बाद से लगातार साल में एक बार ब्रिक्स की बैठक होती है। समिट में सभी सदस्य देशों के राष्ट्रप्रमुख हिस्सा लेते हैं और पूर्व निर्धारित विषयों पर चर्चा करते हैं।
इस बार ब्रिक्स समिट में दो मुद्दे पर विशेष रूप से विचार किए जाने की संभावना है। पहला मुद्दा तो ब्रिक्स के विस्तार को लेकर है। वर्तमान में कई देश ब्रिक्स की सदस्यता चाहते हैं, ऐसे में उन्हें कब तक शामिल किया जाएगा, इस पर चर्चा की जा सकती है। इस बार के ब्रिक्स समिट का दूसरा एजेंडा अपनी करेंसी में कारोबार करने को लेकर है। इस समय डॉलर पूरी दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी बना हुआ है। डालर का दबदबा इतना बढ़ चुका है। उसका दबदबा इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि कई देश इससे परेशान हैं। इसी वजह से सभी देश अपनी करेंसी में कारोबार करने के लिए जोर दे रहे है।
अब ये दो वे एजेंडे हैं जो सभी पांच देशों के लिए समिट के दौरान अहम रहने वाले हैं। इसके अलावा भारत के लिहाज से ये समिट इसलिए खास है क्योंकि इसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात हो सकती है। हालांकि इसका अब तक कोई औचारिक ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन सीमा विवाद पर जिस तरह से दोनों सेनाओं द्वारा लगातार चर्चा की जा रही है, दोनों नेता ब्रिक्स से इतर इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा कर सकते हैं।
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