जांच एजेंसी की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा .. पापी सरकार
शिवराज सरकार के लिए प्रदेश की जनता बकरी, घोड़े, भेड़, गाय, भैंस और मुर्गी के समान
कोरोना त्रासदी के दौर में प्रदेश में जानवरों के खाने लायक अनाज गरीबों को बांटा गया
सत्ता की पशुता .…
क्या प्रदेश की शिवराज सरकार ने गरीबों, दलितों, आदिवासियों को पशु ही समझ लिया है ?
क्या विधायक तोडकर सरकार बनाने के फॉर्मूले के बाद जनता की जरुरत नहीं भाजपा को ?
पंकज मुकाती (राजनीतिक विश्लेषक )
‘इंदौर। धर्मवीर भारती के उपन्यास का शीर्षक ‘गुनाहों का देवता’ आज शिवराज सरकार पर भी एक दम फिट बैठ रहा है। मध्यप्रदेश में हजारों परिवारों को जानवरों के खाने से भी बदतर राशन बांटने का मामला सामने आया है। कोरोना संक्रमण के दौर में मध्यप्रदेश के बालाघाट, सिवनी, मंडला में गरीब परिवारों को जो अनाज बांटा गया वो जानवरों के खाने लायक भी नहीं है। कुत्ते और बकरी भी ऐसे गेंहू से बनी रोटियां नहीं खा रहे। पुराने, ख़राब अनाज को ठिकाने लगाकर सरकार ने आपदा को अवसर में बदल लिया। ख़राब अनाज की आपूर्ति अप्रैल से जुलाई के बीच हुई।
केंद्रीय जांच टीम की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ। टीम ने 30 जुलाई से 2 अगस्त के बीच बालाघाट और मंडला के गोदामों से 32 सैंपल लिए। दिल्ली की लैब में इन सैंपलों की जांच में जो सामने आया वो मानवता के लिए शर्मनाक है। जो गेंहू और चावल गरीबों को बांटा गया, वो पशुओं के खाने लायक था। रिपोर्ट के मुताबिक ये अनाज बकरी, भेड़, घोड़े, गाय, भैंस और मुर्गियों के खाने लायक है। तो क्या प्रदेश सरकार गरीबों को पशु मानती है ?
जिन इलाकों में ये अनाज बांटा गया उसमे बड़ी आबादी दलित और आदिवासी समुदाय की है। क्या सरकार ने दलित और आदिवासी समुदाय पर ध्यान देना बिलकुल छोड़ दिया है। प्रदेश में हाल के कुछ महीनो में दलितों के साथ सरकारी क्रूरता के कई मामले सामने आये हैं। प्रदेश के बड़े राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब आप विधायक तोड़कर सरकार बनाने का फॉर्मूला अपना लेते हैं, तो शायद आपको जनता की जरुरत महसूस नहीं होती। दूसरा शिवराज सरकार सिंधिया और भाजपा में ही इतनी उलझ चुकी है कि जनता के मुद्दों के लिए उसके पास वक्त नहीं है।
जांच एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी गोदामों में जो अनाज है वो करीब 6200 परिवारों को बांटा जाना था। बालाघाट के लोगों का कहना है कि इस अनाज में से बदबू आ रही है। केरोसिन मिला अनाज मिलने की भी जानकारी सामने आई है। लोगों ने बताया कि बदबू इतनी थी कि जानवरों ने भी इसे देखकरमुंह मोड़ लिया।
आखिर इस तरह के भ्र्ष्टाचार प्रदेश में कैसे बिना सरकार की सरपरस्ती के चल सकते हैं। या तो सरकार के मंत्री तक इसका हिस्सा है, या शिवराज और उनके मंत्रियों की अफसरशाही पर पकड़ नहीं रह गई।
रिपोर्ट के मुताबिक कुल 34 लाख 80 हजार किलो चावल ऐसा है जो बकरी, भेड़ और घोड़े को खिलाने लायक है। इसी तरह एक लाख 13 हजार किलो अनाज ऐसा है जो सिर्फ गाय और भैंस को खिलाया जा सकता है। 28 हजार किलो अनाज ऐसा है जो मुर्गियों को दाना खिलाने के काम आ सकता है।
ये सिर्फ दो गोदामों के सैंपल की कहानी है पता नहीं पूरे प्रदेश में इस कोरोना के संक्रमण के दौर में जनता को कितना घटिया अनाज ये सरकार बांट चुकी होगी।
मध्यप्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ इस तरह की पशुता वाली हरकत के लिए मुख्यमंत्री को माफ़ी मांगनी चाहिए। साथ ही खाद्य और आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह से इस्तीफा भी लेना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि शिवराज सरकार सिर्फ अपने ख़रीदे विधायकों के सौदे की वसूली में लगी है उसे जनता की कोई फ़िक्र नहीं।
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