कोई भी युद्ध ढीला पायजामा पहनकर नहीं लड़ा जाता

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दिव्य चिंतन

हरीश मिश्र

कोई भी युद्ध ढीला पायजामा पहनकर नहीं लड़ा जाता-महाभारत की एक कथा है। कर्ण ने झूठ का सहारा लिया और स्वयं को ब्राह्मण बताकर परशुराम जी से दुर्लभ दिव्यास्त्रों की विद्या सीखी।
कर्ण साधना में निपुण, निष्ठावान और समर्पित शिष्य थे। एक दिन परशुराम जी उनकी गोद में सिर रखकर विश्राम कर रहे थे। तभी एक कीड़ा आया और कर्ण की जांघ को काटने लगा। असह्य पीड़ा हुई, पर कर्ण टस से मस नहीं हुए — गुरु की नींद में विघ्न न पड़े, यही भावना मन में थी।

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नींद खुलने पर परशुराम ने देखा कि कर्ण की जांघ से रक्त बह रहा है। उन्हें शंका हुई। उन्होंने कर्ण से सच्चाई पूछी। कर्ण ने स्वीकार किया कि वह शूद्रपुत्र है।
परशुराम का हृदय टूट गया। झूठ से वे घृणा करते थे। उन्होंने क्रोध में कर्ण को श्राप दे डाला —
“जिस क्षण तुम्हें अपने जीवन में सबसे अधिक दिव्यास्त्रों की आवश्यकता होगी, उसी क्षण तुम उन्हें भूल जाओगे।”
यह श्राप कुरुक्षेत्र की रणभूमि में सत्य सिद्ध हुआ। अर्जुन के साथ निर्णायक युद्ध के समय कर्ण का रथ धरती में धंसा और वह दिव्यास्त्रों का प्रयोग करना चाहता था — परंतु दिव्यास्त्रों की विद्या उसकी स्मृति से लुप्त हो चुकी थी।
अब इसी पौराणिक गूंज की प्रतिध्वनि समकालीन भारत-पाकिस्तान संघर्ष में सुनाई देती है।
पाकिस्तान ने अमेरिका से 397 मिलियन डॉलर में F-16 फाइटर जेट खरीदे थे। सौदे के दौरान ‘एंड-यूज़ मॉनिटरिंग एग्रीमेंट’ हुआ — जिसमें स्पष्ट शर्त थी कि इन फाइटर जेट्स का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं किया जाएगा। ये फाइटर जेट केवल आतंकवाद-निरोधी और आंतरिक सुरक्षा अभियानों तक सीमित रहेंगे।
यानी अमेरिका ने पाकिस्तान को आधुनिक फाइटर जेट दिए — पर एक ऐसा अनुबंधित ‘अभिशाप’ भी साथ दे दिया कि जब पाकिस्तान को इनकी सबसे अधिक आवश्यकता होगी, तब वह उनका उपयोग नहीं कर सकेगा।
कल पाकिस्तान ने इन फाइटर जेट्स का प्रयोग भारत के विरुद्ध किया। अमेरिका अब ‘एंड-यूज़ मॉनिटरिंग एग्रीमेंट’ के तहत पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करेगा।
कुल मिलाकर अमेरिका ने पाकिस्तान को टोपी और पायजामा बेचा है — पायजामे में नाड़ा नहीं है।
अब पाकिस्तान टोपी पहनता है तो पायजामा सरक जाता है, और पायजामा पकड़ता है तो टोपी गिर जाती है।
अमेरिका ने बुद्धिमत्ता का उपयोग करते हुए हथियार भी बेच दिए और डॉलर भी कमा लिए।
परशुराम और अमेरिका में एक विलक्षण समानता है — परशुराम ने कर्ण को दिव्यास्त्र दिए, पर साथ ही श्राप भी। अमेरिका ने पाकिस्तान को फाइटर जेट दिए, पर साथ ही शर्तें भी। दुनिया का कोई भी युद्ध ढीला पायजामा पहनकर नहीं लड़ा जा सकता, जबकि चतुर चालाक अमेरिका ने पाकिस्तान को पायजामा बेच दिया और नाड़ा अपने पास रख लिया।
अमेरिका एक पूंजीवादी, स्वार्थी राष्ट्र है, जो अपनी चिलम भरने के लिए भिखारियों के झोंपड़े जलाता है — फिर चाहे ताइवान हो, यूक्रेन हो या पाकिस्तान।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं 

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