63 साल बाद उपचुनाव देखेगा बदनावर, सिंधिया के प्रति निजी आस्था वाले राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के प्रति इस बार जनता का आशीर्वाद रहेगा? कांग्रेस के उम्मीदवार का इंतज़ार
कमलेश गुरु
इंदौर। मध्यप्रदेश की 23 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। धार जिले की बदनावर इस वक्त सबसे चर्चित सीट है। पिछले चुनाव में यहां मुकाबला भाजपा के भंवरसिंह शेखावत और कांग्रेस के राज्यवर्धन सिंह दत्तीगावं के बीच हुआ। इस मुकाबले में भाजपा से बगावत करके राजेश अग्रवाल मैदान में उतरे। अग्रवाल ने 35000 से ज्यादा वोट हासिल किया।
उनके मैदान में उतरते ही भाजपा की हार तय सी दिख रही थी। अब खुद राज्यवर्धन सिंह दत्त्तीगांव भाजपा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले चुनाव के बागी राजेश अग्रवाल को फिर से भाजपा में शामिल कर लिया। इससे तमतमाए भंवरसिंह शेखावत ने कैलाश और पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राजेश अग्रवाल को उनके खिलाफ कैलाश विजयवर्गीय ने ही खड़ा किया था। बदनावर से चुनाव लड़ने वाले राज्यवर्धन सिह अब शिवराज सरकार के मंत्री भी है। भाजपा का साथ है, ऐसे में अभी उनका पलड़ा भारी दिख रहा है।
में कांग्रेस के बागी 22 बागियों में बदनावर विधायक के भी शामिल होने के चलते धार जिले की यह सीट भी विधायकविहीन हो गई। 1957 में यहां पहली बार उपचुनाव हुआ था इसके बाद कभी भी उपचुनाव नहीं हुआ। राजपूतों के बाहुल्य वाले इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले तीन दशक से जातिवाद हावी रहा है। जातिगत समीकरणों को चलते ही दोनों दल प्रत्याशियों को टिकट देते रहे हैं।
बदनावर में राजपूत समाज के 28000 से अधिक मतदाता हैं। यहां से केवल एक बार पाटीदार समाज के भाजपा प्रत्याशी खेमराज पाटीदार जीते हैं। समाज के करीब 24 हजार मतदाता हैं। 6 बार राजपूत, 3 बार ब्राह्मण, 2 बार वैश्य, 1 बार कायस्थ समाज के प्रत्याशियों ने बाजी मारी है। यहां सवर्ण हमेशा ही पाला बदलते रहे हैं। हालांकि इस बार हालात इतने बदले हुए हैं कि कांग्रेस से दल बदलकर गए नेता ही अब भाजपा का ओर झंडा उठाएंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्यवर्धनसिंह दत्तीगांव ज्योतिरादित्य के कट्टर समर्थक हैं और उनका एक इशारा होते ही पार्टी और पद दोनों ही त्याग दिए। उनकी इस स्वामी भक्ति ने बदनावर को उपचुनाव के रण में धकेल दिया है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि दत्तीगांव अब दलबदलू बनकर भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरेंगे तो क्या उनके पुराने कांग्रेसी साथी और कांग्रेसी मतदाता उन्हें भाजपा की ओर से चुनेंगे।
अजयसिंह पर दांव लगा सकती है कांग्रेस
राजपूत वोटों का गणित परिणामों को प्रभावित करते रहे हैं इस कारण से कांग्रेस इस बार वरिष्ठ नेता अजयसिंह पर दांव लगा सकती है। हालांकि कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। लेकिन इतना जरूर तय है कि जाति को ही आधार बनाकर सीट जीतने की रणनीति कांग्रेस भी बनाएगी। हालांकि भंवर सिंह शेखावत भी भाजपा में आए बाहरी उम्मीदवार को टिकट देने को लेकर विरोध जता चुके हैं। वे यहां तक धमकी दे चुके हैं कि यदि दलबदलू को टिकट दिया गया तो वे सामने से चुनाव में उतरेंगे।
1998 से बदनावर के पूरक रहे हैं दत्तीगांव
दत्तीगांव ने बदनावर विधानसभा से पांच बार चुनाव लड़ा है। इसमें पहली बार 1998 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के रूप में लड़े और पहले ही प्रयास में दत्तीगांव ने करीब 30 हजार वोट हासिल किए। हालांकि इसके बाद हुए 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने दत्तीगांव को टिकट दिया। इसमें भी विजयी हुए। इसके बाद लगातार दूसरी बार 2008 में भी विधायक चुने गए। 2013 में उन्हें भाजपा के भंवरसिंह शेखावत ने पराजित किया। 2018 में दत्तीगांव ने अपनी हार का बदला लेते हुए शेखावत को ही 41 हजार मतों के अंतर से हराया।
–
बदनावर विधानसभा —
97877 पुरुष
96810 महिलाएं
कुल 194687 मतदाता
–कब कौन रहा विधायक–
1957 मनोहरसिंह मेहता कांग्रेस
1962 गोवर्धन जेएस
1967 गोवर्धन बीजेएस
1972 चिरंजीलाल अलावा कांग्रेस
1977 गोवर्धन शर्मा जेएनपी
1980 रघुनाथ सिंह कांग्रेस
1985 रमेश चंद्र सिंह बीजेपी
1990 प्रेम सिंह दौलत सिंह कांग्रेस
1993 रमेश चंद्र सिंह राठौर पुरुष बीजेपी
1998 खेमराज पाटीदार बीजेपी
2003 राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस
2008 राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस
2013 भंवर सिंह शेखावत बीजेपी
2018 राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस
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