अभिषेक कानूनगो
बेशक एक रात ही सियासत में बड़ा उलटफेर करने के लिए काफी हैं और शायद कल वह रात आ भी गई थी लेकिन पत्ते वैसे नहीं गिरे जैसे भाजपा ने सोचे थे और इसका पूरा फायदा प्रदेश सरकार के युवा मंत्री जीतू पटवारी ले उड़े, दरअसल 74 बंगला में डी 13 वह नंबर है जहां से भोपाल में मंत्री जीतू पटवारी की सियासत शुरू हुई थी और अब यही विधायक कुणाल चौधरी का भी ठिकाना है कल के सियासी उठापटक में जो मजबूती पटवारी को मिली है वह तो शायद अपनी लाज बचा लेने वाली कमलनाथ सरकार को भी नहीं मिल पाई, कमलनाथ के दूत बनकर कर मंत्री जयवर्धन के साथ जीतू पटवारी दिल्ली के लिए रवाना हुए और तभी उन्हें पता था कि यह सब आसान नहीं होगा लेकिन जैसे ही गुड़गांव के आलीशान रिसोर्ट में पटवारी पहुंचे, और वहां से बसपा की विधायक रामाबाई को लेकर वापस लौटे, सुबह होते-होते तो कई नेता इस सियासी हलचल में कूद पड़े थे लेकिन रात की जंग मंत्री जीतू पटवारी ने जयवर्धन को साथ लेकर ही जीत ली थी इस सियासी उलटफेर का फैसला उसी वक्त हो गया था जब पटवारी के सख्त रवैया को देखते हुए जो लोग विधायक रामा बाई को रिसोर्ट में रोकने की कोशिश कर रहे थे उनके हौसले पस्त हो गए थे जिस मोड में मंत्री पटवारी को दिल्ली भेजा गया था उनका वही मुस्तैदी वाला चुस्त-दुरुस्त रवेया सुबह भी जारी रहा बाकी विधायकों को सीएम हाउस तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी पटवारी को सौंपी गई थी अब इसमें विधायक कुणाल चौधरी भी बराबर साथ निभाने के लिए दिल्ली पहुंच गए थे जीतू ने सभी विधायकों को संपर्क कर उन्हें कमलनाथ के साथ होने वाली बैठक के लिए अरेंज किया और उन्हें कमलनाथ के ही निजी विमान से लेकर भोपाल के लिए रवाना हो गए हालांकि तब तक मंत्री तरुण भनोट भी वहां पहुंच गए थे लेकिन सियासी जंग से जो ताकत पटवारी को मिलना थी वह तब तक मिल चुकी थी लगातार युवा प्रदेश अध्यक्ष की मांग भी कांग्रेस के कई नेता कर चुके हैं जिसके लिए मंत्री पटवारी सबसे मुफीद चेहरा नजर आते हैं और कल जिस तरह से उनकी समझदारी ने सरकार को नई ताकत दी है उससे पटवारी का यह रास्ता भी साफ होता नजर आ रहा है बीते एक बरस से उनके बंगले पर समर्थकों का ताता दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है वह ऑपरेशन लोटस के बाद असीमित होने की पूरी संभावना नजर आ रही है, बीते दिनों राऊ में हुए जय किसान ऋण माफी योजना के बड़े मजमे में मंत्री पटवारी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को ताकत दी थी और कमलनाथ ने भी कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी कि इस इलाके को मुख्यमंत्री कि नहीं पटवारी की जरूरत है हालांकि पटवारी ने तो मुख्यमंत्री को तभी कमा लिया था जब सज्जन वर्मा ने किचन केबिनेट वाला बयान देकर मुख्यमंत्री के यहां खुद को कमजोर कर लिया था तभी से मंत्री पटवारी मुख्यमंत्री कमलनाथ की आंखों का तारा बन गए थे क्योंकि इंदौर और आसपास के इलाके में तुलसी सिलावट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की छाप लगी है और सज्जन वर्मा से इन दिनों कमलनाथ के रिश्ते कुछ बेहतर नहीं चल रहे हालांकि पटवारी ने सज्जन वर्मा के किचन केबिनेट वाले बयान को भी बेहतर ढंग से भरोसा था।
जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे तो सुरेंद्र सिंह शेरा को बुरहानपुर से भोपाल ले जाने की जिम्मेदारी भी पटवारी को ही सौंपी गई थी तभी से मुख्यमंत्री कमलनाथ इस तरह के चुनौती वाले काम पटवारी को सौंपते रहे हैं हालांकि अभी सारे नाराज विधायक भोपाल नहीं पहुंचे हैं हरप्रीत सिंह डंग और बसाहू लाल सिंह का मुख्यमंत्री के शरण में पहुंचना बाकी है लेकिन उसकी बिसाद भी पटवारी खेमा पहले ही बिछा चुका है डंग लगातार उनसे संपर्क में है और शाम होते-होते पटवारी यह बयान भी दे गए कि सभी विधायक देर रात तक भोपाल पहुंच जाएंगे, देर रात जिस तरह से गुड़गांव के उस रिसोर्ट के वीडियो जारी हुए उसके बाद से ही सभी की निगाहें इस पर थी कि कब मंत्री जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी मीडिया के सामने आकर पूरा घटनाक्रम बताएंगे लेकिन जब तक यह दोनों सबके सामने आते तब तक तस्वीर साफ हो चुकी थी और इसका फायदा कमलनाथ सरकार के साथ इन मंत्रियों को मिल चुका था।
जिस तरह से रामा बाई को संभालने की जिम्मेदारी भोपाल पहुंचने के बाद भी विधायक कुणाल चौधरी के पास रही उससे लगातार पटवारी गुट की मजबूती को देखा जा सकता था स्टेट हैंगर तक छोड़ने भी उन्हें चौधरी ही गए और युवा कांग्रेस के चुनाव भी नजदीकी हैं जिसमें इन दोनों का खासा दखल हमेशा से रहा है अब संगठन में जिस मजबूती की दरकार पटवारी और उनके विधायकों को थी वह ऑपरेशन लोटस के बाद मिल गई है अब जल्दी प्रदेश के नए मुखिया का फैसला होना है ऐसे में पटवारी पर पहला विचार होना लाजमी है