दिग्विजय संकटदाता या संकट मोचक !

Share Politics Wala News
  • मध्यप्रदेश के ताज़ा सियासी संकट का खुलासा और निपटान दोनों दिग्विजय
  • ने किया,  सवाल यही कि शिवराज और कमलनाथ उलझ गए या उलझाए गए

पंकज मुकाती (राजनीतिक विश्लेषक)

दिग्विजय यानी विजय का दिग्गज। एक ऐसा नेता जिसे निरापद रहना सुहाता ही नहीं। हर बार कांग्रेस के संकटमोचक दिग्विजय ही बनते हैं। दूसरी बात हर बार संकट की आहट भी सबसे पहले दिग्विजय के पास ही पहुंचती है। ये संयोग है या प्रयोग। दिग्विजय अबूझ हैं, और रहेंगे। मध्यप्रदेश सरकार के सामने जो ताज़ा संकट खड़ा दिख रहा है, उसका खुलासा भी ‘राजा’ ने ही किया, और उसके संकट मोचक भी वही दिखाई दे रहे हैं। ये बात भी सही है कि दिग्विजय दोस्त और भेदिये (भेड़िये भी पढ़ सकते हैं ) बनाने में माहिर है।

निश्चित ही कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों में भी उनके चाहनेवालों की संख्या बहुत बड़ी है। प्रशासनिक गलियारों में आज भी अफसर उनके नाम को सुनकर मुस्कुरा उठते हैं। पब्लिक की निगाह में भले वे मिस्टर बंटाढार हो पर अफसरों की निगाह में वे चतुर और लम्बे समय तक साथ निभाने वाले खिलाडी है। बीजेपी में भी उनके मुरीद कम नहीं, बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ उनकी कानाफूसी और ठहाके तो राजनीतिक गलियांरों में खूब चर्चा में हैं। दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाली दोस्ती तो नहीं निबाह रहे दोनों।

अब यहां एक बात गौर करिये। कैलाश विजयवर्गीय और दिग्विजयसिंह दोनों की उनकी अपनी पार्टियों में भूमिका बेहद कमतर है। कैलाश को शिवराज का सत्तासीन होना पसंद नहीं, तो दिग्विजय को शायद अब कमलनाथ का कद रास नहीं आ रहा। कुछ महीनो पहले तक खुद शैडो सीएम पर मुस्कुराने वाले दिग्विजय इनदिनों प्रदेश की राजनीति में एक छाया बनकर रह गए हैं। छाया का अपना कोई वजूद नहीं होता।

शायद इस छाया में प्राण फूंकने को दिग्विजय बेताब हैं। कुछ सवाल बड़े जरुरी है। दिग्विजय ने खुलासे के लिए दिल्ली को ही क्यों चुना ? वे लगातार दिल्ली में क्यों जमे हुए हैं? उनको बीजेपी की पूरे योजना की खबर किसने दी ? गुरुग्राम के होटल में विधायकों को छुड़ाने का जिम्मा दिगिवजय के खास जीतू पटवारी और उनके बेटे जयवर्धन सिंह के हिस्से ही क्यों आया ? क्या ये दोनों नेता कमलनाथ से पूछकर गुरुग्राम पहुंचे थे?

दूसरी बड़ी बात जो चार विधायक अभी भी बीजेपी के साथ हैं, उनमे से तीन कांग्रेसी हैं। दिग्विजय और इन विधायकों की निकटता और निर्दलीय से उनके कुनबे की बातचीत और पिछले कुछ समय का घटनाक्रम क्या कमलनाथ दिखवाएंगे। बीजेपी पहले ही दिन से ये क्यों कह रही है कि राज्यसभा जाने के लिए दिग्विजय ने खुद ये ड्रामा रचा। क्या दिग्विजय के ड्रामे में खुद शिवराज उलझ गए, या शिवराज का कद  कम  करने बीजेपी के भीतर से ही पूरी साजिश रची और कमजोर की गई। हाँ, एक बात और ये चार विधायक यदि राज्यसभा में खिलाफ वोटिंग भी करते हैं तो इनकी सदस्यता बनी रहेगी, क्योंकि राजयसभा में पार्टी व्हिप लागू नहीं होता।

ये कहना और समझना बहुत कठिन है कि दिग्विजय संकट मोचक या संकट दाता ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *