कांग्रेस के वचन पत्र में आरएसएस के नाम पर बवाल
दीपक विश्वकर्मा
इंदौर. देश के पांच राज्यों में हो रहे चुनाव के बीच कांग्रेस अपनी परंपरा पर कायम है। हर चुनाव में कांग्रेस कोई न कोई ऐसा मुद्दा जरूर लाती है, जिसको लेकर विरोधी दल को मौका मिलता है और जब विरोधी भाजपा हो तो कहना ही क्या। भाजपा ने कांग्रेस के वचन पत्र को ही इस बार निशाना बनाया है और जाहिर है आरएसएस का नाम वचन पत्र में आने को मुद्दा बनाया गया है। आरएसएस का नाम कांग्रेस के वचन पत्र में क्यों है यह तो कांग्रेस के नीति निर्धारकों को ही विचार करना है, लेकिन इस नाम से भाजपा को ऐसा मौका मिल गया है, जो उसे एंटी इंकंबेंसी के भूत को भगाने में कारगर साबित हो सकता है। आरएसएस की शाखाएं सरकारी परिसरों में नहीं लगने देने की बात वचन पत्र में दिखते ही भाजपा आक्रामक हो गई और इस मुद्दे को सीधे-सीधे हिंदू अस्मिता से जोड़ दिया। राम मंदिर के मुद्दे को फिर से अपने हक में भुनाने की कोशिश में लगी भाजपा को कांग्रेस के वचन पत्र ने एक नया मुद्दा दे दिया है और अब भाजपा के नेता कांग्रेस को हिंदू विरोधी दिखाने में कोई कसर छोड़ने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसकी शुरूआत भी राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश के टीवी चैनलों की डिबेट में बैठकर भाजपा के नेता कर चुके हैं। हर चैनल की डिबेट में कांग्रेस के वचन पत्र के सिर्फ इसी हिस्से को टारगेट किया जा रहा है। भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इंदौर में इस संबंध में कड़ा बयान दे चुके हैं। कई कांग्रेसी भी मानते हैं कि वचन पत्र में आरएसएस का नाम जोड़ा जाना ठीक नहीं रहा। प्रदेश में सरकार बनाने की स्थिति में दिख रही कांग्रेस को आरएसएस का नाम उछालने से नुकसान हो सकता है। अब इस मुद्दे पर भाजपा के नेता कांग्रेस को किस तरह घेर पाते हैं, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह बात जरूर है कि कांग्रेस ने खुद ही एक ऐसा मुद्दा उनको दे दिया है, जिसपर पार्टी को घेरा जा सकता है।
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