देवास जिले की हर सीट पर पार्टी प्रत्याशी का विरोध
कहीं पूर्व और वर्तमान विधायक मैदान में,
कहीं टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं ने ठोंकी ताल
दीपक विश्वकर्मा
देवास. टिकटों की घोषणा होते ही कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही प्रदेश के कई इलाकों से विरोध के स्वर सामने आए हैं। आम तौर पर टिकट मिलने के बाद शांत रहने वाले देवास जिले में इस बार अप्रत्याशित रूप से भाजपा के अंदर भारी विरोध गूंज रहा है। जिले की पांचों सीटों पर पार्टी के प्रत्याशियों का विरोध होने की स्थिति है। कहीं पूर्व और वर्तमान विधायक मैदान में हैं, तो कहीं टिकट की दौड़ में शामिल नेता ताल ठोंक रहे हैं।
भाजपा के लिए देवास जिले की सबसे आसान मानी जाने वाली देवास विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व महापौर जयसिंह ठाकुर को टिकट देकर मुकाबले को रोचक करने की कोशिश की है। हालांकि देवास सीट पैलेस का गढ़ है और यहां से 1990 के बाद से कभी कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। सूत्रों की मानें तो पैलेस से इस बार हर कार्यकर्ता को ज्यादा से ज्यादा वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए काम करने के निर्देश लगातार दिए जा रहे हैं। वोटिंग प्रतिशत पर जोर इसलिए भी है कि यदि यह बढ़ता है तो उम्मीद की जाती है कि सीधा-सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा। देवास सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी का अंदरखानों में जरूर विरोध है, लेकिन टिकट की घोषणा के बाद से किसी ने विरोध नहीं जताया है। वहीं भाजपा प्रत्याशी और राजमाता गायत्रीराजे पवार की मुश्किलें बढ़ाने के लिए पार्षद दिलीप बांगर ने निर्दलीय के रूप में मैदान संभाल लिया है। बांगर का मराठा समाज में अच्छा होल्ड माना जाता है। साथ ही इटावा क्षेत्र के मतदाताओं में उनकी गहरी पैठ है।
पूर्व विधायक बिगाड़ेंगे गणित
हाटपिपल्या से भाजपा के टिकट पर फिर मंत्री दीपक जोशी मैदान में हैं। हालांकि उनकी मुश्किलें बढ़ाने के लिए यहां पार्टी के ही पूर्व विधायक और संेधव समाज से ताल्लुक रखने वाले कद्दावर नेता तेजसिंह सेंधव निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल कर चुके हैं। सेंधव के मैदान में होने से दीपक जोशी को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। यदि सेंधव मैदान में डटे रहे तो भाजपा के वोट कटेंगे और कांग्रेस को सीधे तौर पर फायदा होगा।
टिकट कटा तो विधायक उतरे मैदान में
बागली सीट पर भाजपा ने दो बार के आदिवासी विधायक चम्पालाल देवड़ा का टिकट स्वास्थ्य कारण बताकर काट दिया। यहां सरकारी सेवा से वीआरएस लेकर पहुंचे पहाड़सिंह कन्नौजे को टिकट दिया। टिकट की घोषणा होते ही चम्पालाल देवड़ा सामने आए और साफ किया कि उनकी तबीयत ठीक है और टिकट कटने से उनकी नाराजगी भी दिखाई दी। राजनीति में नए नवेले आए कन्नौजे को देवड़ा से कड़ी चुनौती मिल सकती है।
खातेगांव से भोपाल तक विरोध
खातेगांव में वर्तमान विधायक आशीष शर्मा को भाजपा ने फिर से टिकट दिया है। टिकट के पहले से ही यहां उनका विरोध करने वालों की भारी भीड़ जमा होने लगी है। पार्टी के ही पूर्व विधायक सहित अन्य कई नेता भोपाल तक जाकर दम दिखा चुके हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार मंत्री दीपक जोशी भी विरोध करने वालों के साथ दिखाई दिए हैं। टिकट होने के बाद भी लगातार विरोध जारी है और यह विरोध चुनाव में आशीष शर्मा को परेशान जरूर करेगा।
सोनकच्छ में सज्जन से टक्कर
सोनकच्छ विधानसभा सीट पर भाजपा के वर्तमान विधायक का भारी विरोध बताया जा रहा है। विरोध को देखते हुए टिकट के कई अन्य दावेदार नेता पिछले कई दिनों से मैदान में सक्रिय हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद सज्जन वर्मा मैदान में हैं। सज्जन वर्मा इस क्षेत्र से पहले भी विधायक रहे हैं और उनके समर्थकों की संख्या भी यहां काफी ज्यादा है। साथ ही पिछले चुनाव में अर्जुन वर्मा के सामने विधायक राजेंद्र वर्मा की जीत का आंकड़ा भी काफी कम था। राजेंद्र वर्मा के लिए बड़ी मुसीबत चुनाव के दौरान सबोटेज होने की आशंका भी है। कुल मिलाकर देवास को छोड़कर बाकी चारों सीटों पर भाजपा को कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा।
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