15 साल पहले बिजली की कमी के कारण सरकार गंवा देने वाली कांग्रेस
इस बार बेहद सख्त है, कमलनाथ ने पहली ही बैठक में सख्ती दिखाई
भोपाल। कहते हैं, दूध का जला छांछ भी फ़ूंककर पीता है। यह बात मध्यप्रदेश की नई सरकार पर पूरी तरह लागू होती दिख रही है। पंद्रह साल पहले बिजली की कमी के कारण सरकार गंवाने वाली कांग्रेस इस बार बिजली से इतनी डरी हुई है, कि कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी पहली कैबिनेट में मंत्रियों और अधिकारियों को अपने कड़े तेवर दिखा दिए। उन्होंने बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए जिला स्तर पर ऊर्जा समितियों को भंग करने के निर्देश दिए। सीएम ने तय समय मे खराब ट्रांसफॉर्मर बदलने के भी आदेश दिए। इसके अलावा उन्होंने मंत्रियों से साफ तौर पर कहा कि विभाग की पूरी जिम्मेदारी मंत्रियों की रहेगी। बीजेपी भी लोगों को कहती रही है कि कांग्रेस आएगी तो अंधेरा छा जाएगा। इसलिए बिजली के झटके से सरकार दूर ही रहना चाहती है।
कैबिनेट की पहली बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। उन्होंने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वय की जिम्मेदारी अधिकारियों की रहेगी। अधिकारी याद रखे कि जो काम नहीं करेगा उन अधिकारियों को बदल दिया जाएगा। कमलनाथ बिजली व्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा गंभीर दिखे। बिजली सप्लाई व्यवस्थित और निर्बाध बनाने के लिए उन्होंने बिजली कंपनी के अधिकारियों को हर कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को हर कैबिनेट में बिजली व्यवस्था के अपडेट को लेकर एक प्रेजेंटेशन देने को कहा है। ये पूरी कवायद बिजली बिल हाफ करने के लिए की जा रही है।