भोपाल. कांग्रेस मध्यप्रदेश में पूरे 15 साल बाद सत्ता में लौटी है। कमलनाथ की ताजपोशी के करीब 9 दिन बाद मंत्रिमंडल शपथ लेने जा रहा है। इतने विलम्ब के बावजूद सीधे सीधे एकजुटता नहीं दिखाई दे रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को मंत्री बनाये जाने और उनके विभागों को लेकर आक्रामक तेवर अपनाये हुए हैं। शपथ के ठीक पहले दिग्विजय के करीबी केपी सिंह नाराज हो गए हैं। उनका नाम संभावित मंत्रियों की सूचि में ना होने से उनके समर्थकों ने राजधानी में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। केपी सिंह अकेले नहीं है, विभागों के बंटवारे, कमलनाथ, सिंधिया और दिग्विजय के बीच की खाई और गहरी हो सकती है। कई विश्लेषकों का मानना है कि इस सरकार में अलग-अलग गुटों के मंत्री अपनी मनमानी करेंगे। इसका असर पूरी वयवस्था पर पड़ सकता है।
इस मंत्रिमंडल में सबसे बड़ी बात ये है कि पूरे चुनाव में प्रदेश के दूर रखे गए दिग्विजय सिंह अब सबसे बड़े रणनीतिकार के तौर के उभरे हैं। ये नहीं पता कि ये जिम्मेदारी उन्हें पार्टी ने सौंपी हैं, या वे खुद ही स्वयंभू सलाहकार बन गए हैं। कई बड़े कद्दावर नेताओं के नाम को छोड़कर दिग्विजय के बेटे जयवर्धन को मंत्री बनाये जाने से भी बड़ी नाराजगी उभरी है. सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय के भाई लक्षमण सिंह से इस फैसले से नाराज है. सांसद और वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सिंह अपने जूनियर भतीजे को मंत्री बनते कितना सहन कर पाएंगे ये भी देखने लायक होगा। जयस अध्यक्ष अलावा ने भी चेतावनी दे रखी है। अभी विभागों के बंटवारे के बाद कांग्रेस में ये घमासान और बढ़ेगा, केपी सिंह के पीछे एक कतार लग सकती हैं। बहुत संभव है कि ये सरकार दो महीने भी न चले …
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