लखनऊ। मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़, राजस्थान की हार ने बीजेपी को सतर्क कर दिया है। उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी बेहद फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। सभी 80 सीटों का रिपोर्ट कार्ड बनवाया जा रहा है। एक-एक सीट और सांसद की रिपोर्ट बनाई जा रही है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद अंतिम फैसला करेंगे। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने बीजेपी की राह बेहद मुश्किल कर दी है। इसीलिए प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मौजूदा सांसदों का टिकट अमित शाह के सर्वे के फीडबैक से फाइनल होगा। गठबंधन उम्मीदवारों के बदले जाने की एक बड़ी वजह होगी। कहा जा रहा है कि वेस्ट यूपी के कई मौजूदा सांसद पार्टी के पैमाने पर खरे नहीं उतरे हैं। ऐसे सांसदों की जगह नए चेहरों को मौका दिए जाने की उम्मीद ज्यादा है।
बीजेपी ने 2014 में उत्तर प्रदेश में 71 और उनके सहयोगी दलों ने दो यानी एनडीए ने कुल 73 सीटें जीती थीं। पांच सीटें समाजवादी पार्टी और दो कांग्रेस को मिली थीं। वेस्ट यूपी में गैर-बीजेपी दलों का खाता भी नहीं खुला था। बीजेपी ने इस बार एसपी-बीएसपी और आरएलडी गठबंधन को मात देने के लिए 74 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी को अपने सांसदों के कामकाज को लेकर कराए सर्वे ने चौंका दिया हैं। पार्टी को फीडबैक मिला है कि उनके सांसदों की सक्रियता कम रही और जनता से दूरी ज्यादा रही। इसलिए कई सांसदों को दोबारा टिकट देने से पार्टी को नुकसान हो सकता है। इसलिए नए चेहरों को मौका देने की राय उभरी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, संगठन के साथ हाईकमान द्वारा प्राइवेट एजेंसी से कराए सर्वे में भी कुछ इसी तरह की वजह सामने आई है।