जबलपुर हाईकोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विजय शाह के
बयान कोअत्यंत आपत्तिजनक, सेना का अपमान करने वाला
और महिला गरिमा के खिलाफ” करार दिया।
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Instructions for FIR against Vijay Shah-जबलपुर HC के जस्टिस अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान कोर्ट ने सरकार को चार घंटे के अंदर (6:00 बजे तक) मंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।
मामला शाह के उस बयान से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने महू में कर्नल सोफिया को “आतंकवादियों की बहन” और “पाकिस्तानियों की बहन” कहकर अपमानित किया था। इस आदेश ने न केवल शाह की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि बीजेपी सरकार के लिए भी नया सियासी संकट खड़ा कर दिया है। कर्नल सोफिया पर विवादित टिप्पणी का मामला- HC ने लिया स्वत: संज्ञान, विजय शाह के खिलाफ FIR के दिए निर्देश
हाईकोर्ट का सख्त रुख 4 घंटे में FIR
जबलपुर हाईकोर्ट ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर विजय शाह के बयान को “अत्यंत आपत्तिजनक, सेना का अपमान करने वाला, और महिला गरिमा के खिलाफ” करार दिया। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए माना कि यह बयान न केवल मानहानि (IPC धारा 499/500) और महिला की गरिमा का अपमान (IPC धारा 509) का मामला है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला भी है। कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि शाह के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज की जाए, जिसमें निम्नलिखित धाराएं शामिल हों:
IPC धारा 499/500: मानहानि।
IPC धारा 509: महिला की गरिमा का अपमान।
IPC धारा 153A: धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना।
BNS (भारतीय न्याय संहिता) की प्रासंगिक धाराएं: राष्ट्रीय सम्मान और एकता के खिलाफ अपराध।
कोर्ट ने आदेश में कहा, “यह बयान भारतीय सेना की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी के सम्मान पर हमला है, जो देश की शान हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पुलिस 4 घंटे के भीतर FIR दर्ज करे और अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट पेश करे।
MP Minister Vijay Shah: विवाद का केंद्र, शाह का बयान
विजय शाह ने 12 मई 2025 को महू में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” और “पाकिस्तानियों की बहन” कहा था। यह बयान सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर वायरल हो गया, जिसके बाद देशभर में आक्रोश फैल गया। कर्नल सोफिया, जिन्होंने 2016 में फोर्स 18 जैसे बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारत का नेतृत्व किया और ऑपरेशन सिंदूर में वीरता दिखाई, देश की शान मानी जाती हैं। उनके परिवार की तीन पीढ़ियां सेना की सेवा में रही हैं।
शाह के बयान की कांग्रेस, सेना के पूर्व अधिकारियों, और सामाजिक संगठनों ने तीखी निंदा की। कांग्रेस ने शाह की तत्काल बर्खास्तगी और FIR की मांग की, जबकि बीजेपी ने शाह को फटकार लगाकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की।
शाह ने खेद जताते हुए कहा, “मेरा इरादा गलत नहीं था। जोश में गलत शब्द निकल गए। मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं।” लेकिन उनकी सफाई ने जनता और कोर्ट का गुस्सा शांत नहीं किया।
हाईकोर्ट का स्वत, संज्ञान जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर एक असामान्य लेकिन सख्त कदम उठाया।
जस्टिस अतुल श्रीधरन ने कहा, “सेना और देश की बेटियों का अपमान करने वाले बयान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह मामला राष्ट्रीय गौरव और महिला सम्मान से जुड़ा है।” कोर्ट ने नोट किया कि शाह का बयान न केवल व्यक्तिगत अपमान है, बल्कि यह सेना और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ एक खतरनाक संदेश देता है।
पुलिस की कार्रवाई:
FIR की प्रक्रिया शुरू हाईकोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी। सूत्रों के अनुसार, भोपाल के हबीबगंज थाने में शाह के खिलाफ FIR दर्ज करने की प्रक्रिया रात 2 बजे तक शुरू हो गई थी।
संबंधित थानों को निर्देश दिए गए हैं कि कोर्ट के आदेश का पालन तुरंत किया जाए। पुलिस ने IPC और BNS की उक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, और शाह से पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि शाह को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा, क्योंकि मंत्रिमंडल में उनकी स्थिति और बीजेपी का समर्थन इस मामले को जटिल बना सकता है।
पुलिस ने कोर्ट को अगली सुनवाई में प्रगति रिपोर्ट सौंपने की बात कही है।
विजय शाह का विवादों से पुराना नाता
2013: साधना सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी, इस्तीफा देना पड़ा।
2023: झाबुआ में छात्राओं के सामने विवादित बयान, मुख्यमंत्री शिवराज ने इस्तीफा मांगा।
2024: खंडवा में “चिकन पार्टी” टिप्पणी से हंगामा।
जनवरी 2025: ग्वालियर में एक और बयान पर विवाद।
बीजेपी पर दबाव हाईकोर्ट के आदेश ने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है। कांग्रेस ने इस मामले को हाथों-हाथ लिया और शाह की बर्खास्तगी के साथ-साथ बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाए।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “बीजेपी की चुप्पी उनकी सहमति को दर्शाती है। अगर शाह को अब भी नहीं हटाया गया, तो यह सेना और देश की बेटियों का अपमान होगा।” बीजेपी की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रही है। मुख्यमंत्री मोहन यादव पर शाह को मंत्रिमंडल से हटाने का दबाव बढ़ रहा है। कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि शाह का बयान “जोश में गलती” था, लेकिन कोर्ट का आदेश इसे गंभीर बना देता है।
कानूनी और नैतिक पहलू कानूनी स्थिति:
हाईकोर्ट का आदेश स्पष्ट है कि शाह के खिलाफ FIR दर्ज हो। अगर पुलिस कार्रवाई में देरी करती है, तो कोर्ट अवमानना का मामला शुरू कर सकता है।
शाह पर मानहानि और अन्य धाराओं में सजा हो सकती है, जिसमें 2 से 7 साल तक की जेल संभव है।
नैतिक सवाल: एक मंत्री का ऐसा बयान क्या मध्यप्रदेश सरकार की छवि को धूमिल करता है? बीजेपी की चुप्पी क्या उनकी सहमति को दर्शाती है?
सेना का सम्मान: कर्नल सोफिया और सेना के प्रति देश की भावनाएं इस मामले को और संवेदनशील बनाती हैं।
कांग्रेस का दबाव: कांग्रेस इस मामले को विधानसभा और सड़कों पर उठाएगी। भोपाल और इंदौर में प्रदर्शन की योजना बन रही है।
सामाजिक प्रतिक्रिया: सेना के पूर्व अधिकारी और महिला संगठन शाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
शाह का बयान, सरकार की अग्निपरीक्षा विजय शाह का कर्नल सोफिया पर दिया गया बयान अब उनकी राजनीतिक और कानूनी मुसीबत बन गया है। अगले कुछ दिन मध्यप्रदेश की सियासत और न्याय व्यवस्था के लिए निर्णायक होंगे। फिलहाल, विजय शाह की कुर्सी और साख दोनों दांव पर हैं।
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