नमस्ते ट्रम्प,अहमदाबाद में कोरोना की खबर है आपको !

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नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में खूब भीड़ जुटी, ट्रम्प के चुनाव अभियान के इस दौरे के बाद से आज अहमदाबाद भी अमेरिका की तरह ही कोरोना से जूझ रहा है, राहुल गांधी का उस वक्त मजाक उड़ाने वाल फिर से सोचे

कोरोना दुनिया में छलांग लगाकर आगे बढ़ रहा है। जहां घट गया था, उस जापान में समंदर की लहर की तरह वह लौटकर आया। वहां के प्रधानमंत्री को कहना पड़ा है कि महिलाएं सामान खरीदने सुपरमार्केट ना जाएं क्योंकि वे अधिक बारीकी से देखकर, तुलना करके खरीदती हैं। आदमियों को भेजें जो कि तेजी से खरीदते हैं। बाजार से भीड़ को घटाने ऐसी तरकीबें सोचनी पड़ रही हैं। जिन लोगों को लग रहा है कि कोरोना खत्म होने को है उन्हें दुनिया के बड़े-बड़े कई विशेषज्ञों की भी सुनना चाहिए। यह अभी साल-दो साल भी चल सकता है। अभी बहुत फिक्र की खबर है कि हिंदुस्तान के गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में कोरोना देश में सबसे तेज बढ़ रहा है।

जब देश में पहला कोरोना मरीज मिल चुका था, उसके तीन हफ्ते बाद इसी शहर में ‘नमस्ते ट्रम्प’ हुआ था। ऐतिहासिक भीड़ जुटी। हजारों अमरीकी लोग भी आये। शायद ही किसी की कोरोना जांच हुई थी। आज हालात ये है कि इसी अहमदाबाद में हर 4 दिन में कोरोना पॉजिटिव दो गुने हो रहे हैं। पूरे गुजरात के मुकाबले इसी शहर में सबसे अधिक हैं। वहां की भाजपा सरकार के निगम कमिश्नर ने कहा है कि अगर इसी रफ्तार से कोरोना पॉजिटिव बढ़े तो मई के आखिर तक अहमदाबाद में 8 लाख लोग कोरोनाग्रस्त हो सकते हैं। अब तक करीब पौने 3 हजार कोरोनाग्रस्त में से रविवार तक सवा सौ से अधिक मारे जा चुके हैं।

क्या अभी यह याद दिलाना गलत होगा कि राहुल गांधी ने 12 फरवरी को कोरोना के खतरे के बारे में ट्वीट करके मीडिया के एक हिस्से में अपना मखौल बनवा लिया था। मीडिया के कुछ लोग उनकी खिल्ली उड़ाते हुए अतिसक्रिय हो गए थे। अब राहुल की ही बात सही साबित हुई है, और नमस्ते ट्रम्प के बाद के ये खतरनाक नतीजे अहमदाबाद को अमरीका बनाकर छोड़ रहे हैं। इस पर चर्चा जरूरी इसलिए है कि आज अलग-अलग हिन्दुस्तानी राज्य अपने-अपने हिसाब से कोरोना से लड़ रहे हैं। जिस उत्तर प्रदेश से सीएम योगी केरल को इलाज सिखा रहे थे। वह केरल देश में कोरोना-मोर्चे पर अव्वल कामयाब साबित हो रहा है।

 

छत्तीसगढ़ ने खूब अच्छी तरह काबू किया है, लेकिन गुजरात अब तक ट्रम्प को ढो रहा है। इसी से सबक मिलता है कि नेता को एक वैज्ञानिक खतरे के वक्त तो अपने राजनीतिक फैसलों को अलग रखकर विशेषज्ञों को अपना काम करने देना चाहिए। नमस्ते ट्रम्प डोनाल्ड ट्रम्प का चुनाव अभियान तो था, लेकिन हिंदुस्तान से नमकीन ढोकला खाकर गए ट्रम्प ने हिंदुस्तान को धमकी देने में वक्त नहीं लगाया था। इसलिए मेडिकल खतरे के वक्त तो इस देश के नेता राजनीति, अपनी जिद, और अपने दम्भ दूर रखें तो ही उनकी आबादी बच पाएगी।

गुजरात में कोरोना के भयानक खतरे को नेताओं के मनमाने फैसलों पर छोडऩा भयानक होगा। हर नेता के नमस्ते ट्रम्प जैसे गलत फैसले हो सकते हैं, जिनकी कीमत आम जनता जान देकर चुकाएगी। 12 बरस की एक मजदूर बच्ची तेलंगाना से छत्तीसगढ़ के रास्ते दम तोड़ ही चुकी है, वह तानाशाह लॉकडाउन की शहीद रही। आगे नेताओं की मनमानी के चलते जाने क्या होगा, कितने और शहीद होंगे।

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