गज़ब का अन्याय .. मंत्री विजय शाह ने ‘दुश्मनी’ में रद्द करवा दी नियुक्ति

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भोपाल। मध्यप्रदेश में मंत्री निचले स्तर तक की नियुक्तियों में दखल देते हैं। मंत्री जी विरोधी परिवार यदि कोई है तो उसकी नियुक्ति होकर भी रोक दी जाती है क्योंकि मंत्री को ये चेहरा पसंद नहीं है। ऐसे ही एक मामले में मध्यप्रदेश सरकार के जनजातीय कार्य विभाग मंत्री विजय शाह की एक नोटशीट पर राजभवन सचिवालय की जनजातीय सेल में हुई विधि सलाहकार की नियुक्ति 7 दिन में रद्द हो गई।

यह नियुक्ति सिर्फ इसलिए रद्द हुई क्योकि नियुक्त विधि सलाहकार मंत्री के विरोधी परिवार से हैं। वह इंदौर संभाग की रहने वाली हैं। जब शुक्रवार को उनकी नियुक्ति रद्द करने का आदेश जारी हुआ तो इस मामले का खुलासा हुआ । आदेश के तुरंत बाद राजभवन सहित अन्य सभी संबंधित विभागों को इसकी सूचना भेज दी गई।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, मौजूदा विधि सलाहकार विक्रांत सिंह कुमरे का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसी कारण राजभवन के प्रस्ताव पर 21 मार्च को सोनल दरबार की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए थे।

यह नियुक्ति 8 अप्रैल से प्रभावी होती। इसकी जानकारी मिलते ही मंत्री शाह ने उच्चस्तर पर नोटशीट भेजी।

इस नोटशीट को संबंधित विभाग में भेज दिया। सूत्रों के अनुसार, नोटशीट में लिखे तथ्यों के आधार पर सोनल दरबार की नियुक्ति स्थगित कर दी गई। बताया गया कि सोनल इंदौर में वकील हैं।

यह लिखा है नोटशीट में नोटशीट में मंत्री -शाह ने लिखा कि ‘रजूर (खालवा) की रहने वाली सोनल दरबार मेरे विरोधी परिवार से है। इंदौर संभाग की रहने वाली है। पूर्व से ही इंदौर संभाग की एक महिला सदस्य जनजातीय सेल में काम कर रही है

जनजातीय सेल में पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व हो सके, इसलिए जरूरी है कि जबलपुर संभाग से किसी जनजातीय महिला को नियुक्त किया जाए।’

 

दीपमाला रावत का कार्यकाल बढ़ाया

इधर, खांडेकर का कार्यकाल एक साल और बढ़ाया… पूर्व अपर मुख्य सचिव व राजभवन के जनजातीय सेल के अध्यक्ष दीपक खांडेकर का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। यह आदेश भी 21 मार्च 2025 को ही निकला। इसके साथ ही सेल में विषय विशेषज्ञ के तौर पर दीपमाला रावत का कार्यकाल बढ़ाया गया है। खांडेकर की 2022 में इस सेल में नियुक्ति हुई थी।

राजभवन के अपर मुख्य सचिव केसी गुप्ता ने बताया कि जनजातीय सेल के लिए तीन नाम के प्रस्ताव राजभवन से जीएडी को भेजे थे। दो में कार्यकाल वृद्धि हो गई। सोनल दरबार के मामले में आदेश स्थगित हुआ है। इस नाम में परिवर्तन संभावित है।

 

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