बड़ा फैसला- मक्का से आब-ए-जमजम लाने पर लगी रोक

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सरकार ने हज यात्रियों के आब-ए -जमजम लाने पर रोक लगा दी है। इसे मुस्लिम समुदाय में पवित्र जल माना जाता है। पहले हाजियों को दस लीटर जल ले जाने की इजाजत थी, बाद में  घटाकर 5 लीटर कर दिया गया था।

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दिल्ली। सऊदी अरब सरकार ने मुस्लिमों की धार्मिक भावना के खिलाफ एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने हज यात्रियों के आब-ए -जमजम लाने पर रोक लगा दी है। इसे मुस्लिम समुदाय में पवित्र जल माना जाता है। पहले हाजियों को दस लीटर जल ले जाने की इजाजत थी, बाद में इसे घटाकर 5 लीटर कर दिया गया था।

सरकार ने इस बारे में नोटिफिकेशन बुधवार को जारी किया। नोटिफिकेशन में यह नहीं बताया गया है कि इस पवित्र जल को लाने पर रोक क्यों लगाई गई है। एयरलाइन कंपनियों से कहा गया है कि वो आब-ए-जमजम पर बैन के फैसले का सख्ती से पालन कराएं। ऐसा नहीं होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

ये है आदेश
सऊदी जनरल एविएशन अथॉरिटी (SGAA) ने इस बारे में ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि श्रद्धालू और यात्री एयरपोर्ट से डिपार्चर के वक्त चेक-इन लगेज में यह पवित्र जल नहीं ले जा सकेंगे।

नियम का पालन सभी कमर्शियल और प्राईवेट एयरलाइन कंपनियों को करना होगा। आदेश के मुताबिक, लगेज में किसी भी तरह का लिक्विड (आब-ए-जमजम समेत) नहीं ले जाया जा सकेगा।

बोतल की जांच सख्त
नोटिफिकेशन के मुताबिक, जेद्दा और सऊदी अरब के बाकी तमाम एयरपोर्ट्स पर मौजूद स्टाफ सख्ती से जांच करेगा कि किसी पैसेंजर के लगेज में इस पवित्र जल की बॉटल तो नहीं है। एयरलाइंस कंपनियों को इस बारे में स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर्स यानी भी जारी कर दिए गए हैं।

आब-ए-जमजम की मान्यता

मक्का की पवित्र मस्जिद अल-हरम से करीब 66 फीट दूरी पर एक कुआं है। इसे जमजम कहा जाता है। अरबी में आब का मतलब पानी है। कुल मिलाकर इस कुएं से निकले पानी को ही आब-ए-जमजम कहा जाता है। मुस्लिम इसे सबसे पवित्र जल मानते हैं। कहा जाता है कि यह कुआं करीब चार हजार साल पुराना है। उमरा और हज करने वाले यात्री इस जल को साथ ले जाते हैं। वतन लौटकर ये लोग इसे अपने रिश्तेदारों में भी बांटते हैं। इसे पवित्र तोहफा भी माना जाता है।

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