आखिर विजय शाह को गुस्सा क्यों आया ?

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प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनी के टेंडर को लेकर विजय शाह की सक्रियता के पीछे की कहानी बेहद लम्बी है, ये बिज़नेस से ज्यादा राजनीतिक रसूख की लड़ाई भी है

दर्शक

इंदौर। पूर्व मंत्री विजय शाह इस वक्त चर्चा में हैं। मंत्रिमंडल में नाम को लेकर नहीं। विद्युत वितरण कंपनियों के टेंडर को लेकर शाह ने दिल्ली, भोपाल एक कर दिया है। पहली नजर में लगा शाह समाजसेवा कर रहे हैं। बड़े घोटाले को उजागर करना चाह रहे हैं। पन्ने पलटाने पर समाज नहीं निजी हित सामने आया। पूरा मामला सिर्फ पुत्रमोह का है। प्रवीण कक्कड़ पर राजनीतिक रसूख से बेटे को टेंडर दिलवाने का आरोप है तो शाह की पीड़ा ये है कि भाजपा की सत्ता आने के बाद भी उनके करीबी की फर्म को काम नहीं मिला।

बड़ा सवाल ये है कि शाह ने कुल 936 करोड़ के टेंडर में सिर्फ 25 फीसदी हिस्सेदारी वाले सलिल कक्कड़ की कंपनी पर ही सवाल क्यों उठाया ? बाकी 21 कंपनियों पर वो कुछ नहीं बोले क्यों ? कारण साफ़ है कि राजनीतिक रंग देने और भाजपा-कांग्रेस जोड़कर ही वो टेंडर को निरस्त करवा सकते हैं। शाह का गुस्सा कक्कड़ के बेटे पर कम शिवराज सिंह चौहान के टेंडर में मदद न करने की पीड़ा ज्यादा दिखता है।

अब पूरी कहानी समझते हैं। विजय शाह वर्ल्ड क्लास सर्विसेज के लिए ये लड़ाई लड़ रहे हैं। देवेंद्र अरोरा की यह कंपनी 2017 में ब्लैक लिस्ट हो चुकी है। ये कंपनी विद्युत वितरण निगम के काम करती रही है। पर कंपनी का परफॉरमेंस ठीक न होने व नियमानुसार काम न करने के कारण इसे ब्लैक लिस्ट किया गया।

ये कंपनी भोपाल और जबलपुर की विद्युत वितरण कंपनियों के टेंडर हासिल कर चुकी है। 2017 में ब्लैक लिस्ट होने के कारण कंपनी इंदौर के टेंडर में शामिल नहीं हो सकी। आखिर एक ब्लैक लिस्ट कंपनी में पूर्व मंत्री की इतनी रूचि क्यों ? अरोरा कई मौके पर शाह से अपनी बिज़नेस निकटता को गिनाते भी रहे हैं।

आखिर कहाँ पिछड़ गई वर्ल्ड क्लास कंपनी

राजनीतिक रसूख के चलते देवेंद्र अरोरा की वर्ल्ड क्लास कंपनी ब्लैक लिस्ट सूची से बाहर हो गई। विद्युत वितरण कम्पनियों के टेंडर सात साल में एक बार होते हैं। इस बार कमलनाथ सरकार ने राष्ट्रिय स्तर पर टेंडर बुलवाये। इसमें पहली पांच कंपनियों में देवेंद्र अरोरा की कंपनी जगह नहीं बना पाई। इस टेंडर प्रक्रिया में मुंबई, चंडीगढ़, मध्यप्रदेश की 23 कंपनियों ने भाग लिया। इसमें से 22 मापदंडों पर खरी उतरी। नए टेंडर में जगह न बना पाने और पुराने ब्लैकलिस्ट वाले रिकॉर्ड से वर्ल्ड क्लास कंपनी को पहले से चल रहे कामों से भी बाहर होने का खतरा लगने लगा। कंपनी को इस मामले को राजनीतिक रंग देकर खुद के बने रहने का रास्ता दिखा।

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शाह की रूचि इतनी क्यों ?

इस वर्ल्ड क्लास कंपनी को लेकर पूर्व मंत्री विजय शाह की इतनी रूचि क्यों ? इसका जवाब शाह और देवन्द्र अरोरा की व्यावसायिक निकटता भी है। पूर्व में अरोरा की कंपनी के कई कामों में डमी भागीदारी की बात उठती रही है। इसके अलावा विजय शाह के बेटे दिव्यादित्त शाह वर्ल्ड क्लास सर्विसेज के प्रमुख देवेंद्र अरोरा की कई दूसरी कंपनियों में भागीदार है।

 

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