पूरी पड़ताल – पूर्व मुख्यमंत्री #कमलनाथ के ओएसडी रहे #प्रवीण ककक्ड़ के बेटे की कंपनी को #936 करोड़ के टेंडर की बात पूरी झूठ कक्कड़ के बेटे ने कांग्रेस सरकार के आने पर रातों रात कंपनी नहीं बनाई उनकी कंपनी 2009 से ये काम कर रही है
इंदौर। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ के बेटे की कंपनी इस वक्त चर्चा में है। बताया जा रहा है कि कक्कड़ के बेटे को राजनीतिक रसूख के चलते 938 करोड़ का टेंडर कांग्रेस सरकार ने दिया। मीडिया भी यही चला रहा है। इस पूरे मामले को उठाया है, पूर्व मंत्री विजय शाह ने।
पड़ताल ये कहती है कि जो 938 करोड़ का टेंडर प्रवीण कक्कड़ के बेटे सलिल की कंपनी के नाम बताया जा रहा है। दरअसल उसमे सलिल की हिस्सेदारी 25 फीसदी की ही है। अलग-अलग वितरण कंपनियों के हिसाब से देखे तो पूरा बिज़नेस 15 कंपनियों में बंटेगा। कमलनाथ से नजदीकी के कारण टेंडर मिलने की बात भी
प्रारंभिक तौर पर ही ख़ारिज होती दिखती है, क्योंकि सलिल की ये कंपनी 2009 से विद्युत वितरण कम्पनियों के लिए मेनपावर सप्लाई का काम करती है। यानी कमलनाथ सरकार के पहले 2009 से 8 सालों तक भाजपा के शासन में भी ये कंपनी काम कर रही थी। इस साल के टेंडर जमा भले फरवरी में हुए, पर जब ये टेंडर मई में खोले गए तब शिवराज सिंह चौहान सत्ता में आ चुके थे।
ऐसे में सवाल यही है कि सिर्फ राजनीतिक विद्वेष के चलते प्रदेश के एक युवा द्वारा संचालित 11 साल पुरानी कंपनी को निशाना बनाया जा रहा है ? प्रवीण कक्कड़ के बेटे ने कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद न तो कंपनी बनाई न उसके बाद काम शुरू किया, वे पहले से ही इस बिज़नेस में हैं। खुद प्रवीण कक्कड़ का कहना है कि बिज़नेस करना गलत नहीं है, वे संबंधितों पर मानहानि का दावा करेंगे।
सोशल मीडिया पर मत जाइये, विद्युत वितरण कंपनियों के रु 936 करोड़ के टेंडर का सच ये है –
1… मध्य प्रदेश के तीनो विद्युत् वितरण कम्पनियों ने Man Power Out Sourcing के अलग अलग टेंडर निकाले।
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2.. हर वितरण कम्पनी ने क़रीब रु 300 करोड़ का काम निकाला।
3… अंकों के आधार पर हर वितरण कम्पनी के टेंडर में प्राप्त अंको के आधार पर प्रथम ५ कम्पनियों में यह 300 करोड़ का बिज़नेस बराबर देने का प्रावधान था। यानी यह काम 15 कम्पनियों में बांटा जाता।
सच … अकेले किसी एक कंपनी को 936 करोड़ नहीं मिलना थे (मीडिया में यही प्रचारित हो रहा है ))
4… यह टेंडर पिछले 7 वर्षों से हर तीन वर्षों में निकाला जाता है
सच… यानी कांग्रेस सरकार के आने के बाद कक्कड़ को लाभ पहुंचाने को कोई नई व्यवस्था शुरू नहीं की गई है
5..जिस कम्पनी के नाम से समाचार पत्रों मैं प्रवीण कक्कड़ का नाम लिया जा रहा है, इस कम्पनी मैं उनका पुत्र सिर्फ़ 25% का भागीदार हैं।
सच … 936 करोड़ का टेंडर सलिल कक्कड़ को मिलने की बाद भी पूरी तरह झूठ है
6….उक्त कम्पनी मध्य प्रदेश के विद्युत वितरण कम्पनियों के साथ 2009 से manpower का काम कर रही है
सच…यानी कक्कड़ के बेटे की कंपनी कॉग्रेस सरकार आने के बाद रातोरात खड़ी नहीं हुई है
7.. वितरण कंपनियों के सितम्बर 2019 में लोकल टेंडर ना करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर यह टेंडर बुलाया गया था.
8... टेंडर की शर्तों को 2017 के मुक़ाबले और कड़ा बनाया गया ताकि देश की बड़ी कम्पनियाँ भाग ले एवं वितरण कम्पनियों को उनके प्रबंधन कौशल का लाभ मिले. (जैसा कि विद्युत वितरण कम्पनियों के अधिकारियों ने बताया).
9… टेंडर जमा करने की अंतिम तिथि फ़रवरी 2020 में थी
सच…उस वक्त कमलनाथ सत्ता में थे
10… मई 2020 के अंत में खोले techno commercial में इस टेंडर में भाग लेने वाली की 23 में से 22 कम्पनियाँ सफल रही
सच… जब ये टेंडर जारी किये गए, उस वक्त भाजपा सत्ता में रही, यानी ये टेंडर कमलनाथ ने नहीं शिवराज सरकार ने जारी किये
11… यह 22 कंपनियाँ भारत के अलग अलग राज्यों से है
सच..यानी कड़ी प्रतिस्पर्धा रही, पूरे नियमों का पालन हुआ
12… 2017 से कार्यरत सभी कम्पनियाँ जिन्होंने टेंडर में भाग लिया उन कम्पनियों ने 22 कम्पनियों में अपनी जगह बनायी है.
13.. उक्त टेंडरों के परिणाम अभी तक घोषित नहीं किए गए है, इस कारण हर संभाग मैं किन 5 कम्पनियों को काम मिलेगा यह तय ही नहीं हुआ है
सच…यानी अभी पूरी तरह से अंतिम फैसला नहीं हुआ, इसका मतलब सिर्फ हवा में तीर मारे जा रहे हैं
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