देहरादून | उत्तराखंड विधानसभा चुनाव-2022 में इस बार पोस्टल बैलेट मतदाता निर्णायक साबित होने जा रहे हैं।
सर्विस वोटर के साथ ही दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाताओं को पोस्टल बैलेट के जरिए मतदान की सुविधा मिलने के कारण इस बार कुल पोस्टल बैलेट की संख्या चार प्रतिशत तक पहुंच रही है। इस कारण सियासी दलों को अपनी रणनीति नए सिरे से तय करनी पड़ सकती है।
दो नवंबर को जारी वोटर लिस्ट के अनुसार प्रदेश में सर्विस वोटर की कुल संख्या 93,978 है। अब तक सर्विस वोटर ही पोस्टल बैलेट से मतदान करते थे, लेकिन अब चुनाव आयोग ने 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और सभी दिव्यांग मतदाताओं को भी पोस्टल बैलेट की सुविधा प्रदान कर दी है।
प्रदेश में 80 साल से अधिक उम्र के मतदाताओं की संख्या 1,65,113 और दिव्यांग वोटर की संख्या 53,900 है। इस तरह कुल पोस्टल बैलेट की संख्या 312,991 तक पहुंच गई है जो कुल मतदाता संख्या 79,39,978 लाख के करीब 3.9 प्रतिशत बैठती है।
निर्वाचन ड्यूटी करने वाले कर्मचारी और मतदान के दौरान कोविड संक्रमित मतदाता भी पोस्टल बैलेट से मतदान
करते हैं।
पोस्टल बैलेट की अधिकतता के चलते इस बार मतगणना में भी अतिरिक्त समय लगना तय है। सर्विस वोटर पर आयोग बार कोड की व्यवस्था करता है, इस कारण इलेक्ट्रानिक माध्यम से बार कोड पढ़ने के बाद ही वोटर दर्ज किया जाता है। जिसमें अतिरिक्त समय लगता है।
हालांकि दिव्यांग और बुजुर्ग मतदाता के पोस्टल बैलेट पर इलेक्ट्रानिक बार कोडिंग नहीं होगी, लेकिन कुल ढाई लाख से अधिक वोट गिनने में ज्यादा समय लगेगा।
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एसडीसी फाउंडेशन ने डेटा विश्लेषण शुरू कर दिया है। एसडीसी के संस्थापक अनूप नौटियाल के मुताबिक पोस्टल बैलेट बढ़ने से मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा।
बहुत सारे लोग लोग उम्र या दिव्यांगता संबंधित मुश्किलों के चलते मतदान नहीं कर पाते थे, अब घर पर ही मतदान करेंगे।
इससे कुल मत प्रतिशत तीन से चार प्रतिशत तक बढ़ सकता है। दूसरी तरफ कुछ सीटों पर जीत हार का अंतर काफी कम रह सकता है।
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