PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिका के टैरिफ फैसले पर बिना नाम लिए सख्त प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने साफ कहा कि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी भी समझौता नहीं करेगा।
भले ही इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े।
मोदी ने यह बात नई दिल्ली में आयोजित एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में कही।
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारत पर दो चरणों में कुल 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
किसानों के हितों की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता
पीएम मोदी ने कहा, मेरे लिए किसानों, पशुपालकों और मछुआरों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है। भारत कभी उनके साथ समझौता नहीं करेगा।
मुझे मालूम है कि इसकी मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार का लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना, खेती पर खर्च कम करना और नई आय के स्रोत तैयार करना है।
सरकार की योजनाएं सिर्फ मदद देने के लिए नहीं, बल्कि किसानों में आत्मबल जगाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए हैं।
दरअसल, हाल ही में अमेरिका ने भारत से भेजे जाने वाले सामानों पर कुल 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।
25% टैरिफ 7 अगस्त यानी आज से ही लागू हो गया है और बढ़ा हुआ से 25% टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा।
इससे भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग घट सकती है।
इसका असर भारत के एक्सपोर्टर्स पर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिकी इंपोर्टर्स अब अन्य देशों से सामान मंगाने पर विचार कर सकते हैं।
अमेरिका की यह सख्ती दरअसल कृषि और डेयरी सेक्टर से जुड़ी मांगों पर भारत के इनकार के कारण आई है।
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किसानों के लिए मोदी सरकार की योजनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में सरकार की कुछ प्रमुख योजनाओं का भी उल्लेख किया, जैसे:
- पीएम किसान सम्मान निधि – किसानों को सीधी नकद सहायता
- पीएम फसल बीमा योजना – फसल क्षति की स्थिति में बीमा सुरक्षा
- पीएम कृषि सिंचाई योजना – सिंचाई सुविधाओं का विस्तार
- 10 हजार FPOs – किसानों को संगठित कर उनकी सौदेबाजी की ताकत बढ़ाना
- e-NAM पोर्टल – कृषि उपज की बिक्री में सुविधा
- किसान सम्पदा योजना – फूड प्रोसेसिंग यूनिट और भंडारण क्षमता में वृद्धि
अमेरिका की मांग पर भारत का विरोध क्यों?
अमेरिका चाहता था कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी डेयरी और एग्रीकल्चर उत्पादों के लिए खोले। इसके लिए उसने निम्नलिखित मांगें की थीं:
1. डेयरी उत्पादों को अनुमति मिले – जैसे दूध, पनीर, घी आदि। अमेरिकी कंपनियों का दावा था कि उनका दूध स्वच्छ और सस्ता है।
2. कम टैरिफ पर कृषि उत्पादों की एंट्री – जैसे गेहूं, चावल, सोयाबीन, मक्का, सेब, अंगूर आदि।
3. GMO फसलों की बिक्री की इजाजत – अमेरिका चाहता था कि भारत जैव-प्रौद्योगिकी (Genetically Modified) फसलों को स्वीकार करे।
4. भारत की इम्पोर्ट ड्यूटी कम की जाए, ताकि अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में सस्ते हो सकें।
5. धार्मिक संवेदनशीलता की अनदेखी – भारत में लोग शुद्ध शाकाहारी डेयरी उत्पाद पसंद करते हैं, जबकि अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स में कई बार जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम का इस्तेमाल होता है, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज किया।
इधर भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। देश में करीब 8 करोड़ से ज्यादा छोटे किसान डेयरी सेक्टर से जुड़े हैं।
यदि अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट्स भारतीय बाजार में सस्ते दाम पर आ जाते हैं, तो इससे इन स्थानीय किसानों की आजीविका पर गहरा असर पड़ सकता है।
अमेरिका की GMO फसलों पर भारत के किसान संगठन और सरकार दोनों ही लंबे समय से आपत्ति जताते आ रहे हैं। इन फसलों को लेकर स्वास्थ्य, पर्यावरण और जैव विविधता से जुड़े कई सवाल खड़े होते हैं।
भारत ने अमेरिका को दूसरे क्षेत्रों जैसे रक्षा और औद्योगिक उत्पादों में रियायत दी, लेकिन कृषि और डेयरी सेक्टर को लेकर झुकने से इनकार कर दिया। इसके बाद अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाने का फैसला किया।
फिलहाल, टैरिफ विवाद के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है।
अमेरिका खुद भी चिंतित है, क्योंकि वह केवल चीन के साथ ही डील फाइनल कर पाया है, भारत से नहीं।
अमेरिका का एक दल 24 अगस्त को भारत आएगा, जो छठे दौर की बातचीत में भाग लेगा।
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