दुर्भाग्यपूर्ण सवाल पूछा जाना लाजिमी ही है कि क्या मान वाकई होश में थे, जो उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया? पता नहीं, फैसला लेते समय उनके कदम कितने डगमगाए होंगे
जयजीत अकलेचा (वरिष्ठ पत्रकार )
कुछ अरसा पहले तक भगवंत मान पर हर समय शराब के नशे में रहने के आरोप लगते आए हैं। टेंडर्स में एक या दो प्रतिशत का कमीशन खाने की बात पुख्ता होने पर अपने मंत्री को कैबिनेट से बर्खास्त ही नहीं, गिरफ्तार भी करवाने से इस आरोप की पुष्टि भी हो जाती है!
आखिर आज की राजनीति में ऐसा कौन मुख्यमंत्री होगा जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात ही न करें, उस पर अमल भी कर दिखाएं! तो यह दुर्भाग्यपूर्ण सवाल पूछा जाना लाजिमी ही है कि क्या मान वाकई होश में थे, जो उन्होंने इतना बड़ा कदम उठा लिया? पता नहीं, फैसला लेते समय उनके कदम कितने डगमगाए होंगे!
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात सभी नेता करते हैं। मैं जिस राज्य में रहता हूं, वहां के भी मुख्यमंत्री लगातार यही बात करते आ रहे हैं। यह अलग बात है कि मेरे शहर में करोड़ों में बनी सड़क अगले ही दिन उखड़ने लगती है।
दरअसल, हम सब मान चुके हैं कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात पर अमल असंभव है। हम सब चुनावी राजनीति को अक्सर यह कहकर बेनिफिट आफ डाउट दे देते हैं कि चुनाव जीतने के लिए पैसे जरूरी हैं और करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की रणनीति से तो पैसा आएगा नहीं।
लेकिन अगर कोई राजनीतिक दल करप्शन पर भगवंत मान जैसा निर्णय लें तो फिर चुनाव जीतने के लिए पैसों की जरूरत कहां रह जाती है? यकीन मानिए, जनता ही ऐसे राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव लड़ लेगी।
करप्शन फ्री का मतलब है – बेहतर सड़कें, बेहतर हॉस्पिटल, बेहतर शिक्षा, सबकुछ बेहतर। और शायद सस्ता भी। कुछ साल पहले मेरे एक परिचित बिल्डर ने मुझसे जो कहा था, वह बात आज फिर याद आ गई। उसने कहा था कि अगर हमें कदम-कदम पर सरकारी मुलाजिमों को पैसे न देने पड़े तो हम मकान 20 फीसदी तक सस्ता दे सकते हैं।
अब से थोड़ी देर पहले एक मित्र से बात हो रही थी जो अघोषित तौर पर मोदी के प्रशंसक रहे हैं। भगवंत मान के निर्णय को लेकर उन्होंने एक ही लाइन कही- ये लोग कुछ तो अलग हैं।
कुछ अलग ही लोग चाहिए सिस्टम में लगे घुन को दूर करने के लिए। लेकिन सिस्टम में घुन के साथ-साथ जो जिन्न व पिशाच टाइप के लोग बैठे हुए हैं, उनसे ये ‘कुछ अलग लोग’ कैसे मुकाबला कर पाएंगे या ये अलग लोग खुद भी प्रेत-पिचाशों में शामिल हो जाएंगे, यह देखने के लिए हमें इंतजार करना होगा।
उम्मीद करते हैं कि आगे भी भगवंत मान के कदम कम से कम भ्रष्टाचार पर वार करते समय तो नहीं डगमगाएंगे। और अगर नहीं डगमगाए, तो बाकी डगमगाते कदमों को सौ-सौ बार बेनिफिट ऑफ डाउट!!