सिंधिया के मंत्री तय, भाजपा नहीं साध पा रही अपने नेता

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सिंधिया को दस मंत्री मिलना तय पर बचे हुए पद में से भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है वरिष्ठों को साधना,पिछली कैबिनेट के चेहरों को दरकिनार करने से बगावत का डर

अभिषेक कानूनगो।
इंदौर। शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए 50 दिन होने जा रहे हैं। इसमें से आधे दिन वे अकेले ही प्रदेश चलाते रहे। बाद में पांच मंत्री बनाये। मंत्रिमंडल अभी भी अधूरा है। कारण ? ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा के कोटे को साधना आसान नहीं। मंत्रिमंडल पूरा न होने से कई फैसले अटके हैं। पांच जो मंत्री बनाये गए हैं, उसमे से सिंधिया गट से दो मंत्री हैं, आठ और मंत्री इस खेमे से बनने हैं। सिंधिया ने तो अपने कोटे के दस मंत्रियों के नाम तय कर दिए हैं, पर भाजपा के सामने अपने विधायकों और वरिष्ठों के बीच में तालमेल की दिक्कत आ रही है। किसे मंत्री बनायें और किसे छोड़े।

सिंधिया खेमे से जो आठ मंत्री बनना है इसमें पिछली बार के चार और हरदीप डंग,राजवर्धन सिंह ,रघुराम कंसाना और मुन्ना लाल गोयल के नाम आगे किए गए हैं शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि बीजेपी के पुराने लोगों को मौका दिया जाए। दस मंत्री सिंधिया को देने के बाद अब शिवराज के पास 24 मंत्री की क्षमता है। भाजपा से विजय शाह,गोपाल भार्गव, गायत्री राजे, यशोधरा राजे जैसे कई बड़े नामों को लेकर पार्टी पसोपेश में है।

भाजपा में जिस तरह से नए और युवा चेहरों को आगे करने का मामला दिख रहा है। कुछ नए मंत्री भी बनाने का आलाकमान से दबाव है। ऐसे में पुराने और वरिष्ठों को कैसे मनाया जाए ये बड़ा संकट शिवराज के सामने है। मध्यप्रदेश में सरकार जिस तरह से अभी भी बड़े बहुमत में नहीं है, बगावत का खतरा भाजपा में भी कम नहीं।

मामूली बहुमत और उपचुनाव की लड़ाई के चलते भाजपा पर दबाव है कि वो सिंधिया गट से कोई वादा खिलाफी न करे। ऐसे होने पर बागी तो नाराज़ होंगे ही भाजपा पर दूसरे राज्यों में भी कोई भरोसा नहीं करेगा। राजस्थान में भी भाजप मध्यप्रदेश जैसी रणनीति पर काम कर रही है।

शिवराज सिंह चौहान निगम मंडल के जरिये भी सिंधिया समर्थकों को साधने की चर्चा में जुटे हैं। इसके तहत हाटपिपलिया के पूर्व विधायक मनोज चौधरी और बदनावर के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को सहकारिता के बड़े पद से नवाजा जा सकता है। बड़ी चुनौती नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव और दूसरे वरिष्ठ को साधना है।

गोविंद सिंह राजपूत को सागर जिले से मौका मिल गया है ऐसे में भूपेंद्र सिंह का दावा कमजोर होता नजर आ रहा है पिछली शिवराज सरकार में वह गृह मंत्री थे। उपचुनाव वाली 24 सीटों में से 16 सीटों पर सिंधिया खासा प्रभाव रखते हैं। उन इलाकों से प्रद्युमन सिंह तोमर, इमरती देवी,रघुराम कंसाना को मंत्री बनाया जाना है।

राजवर्धन सिंह और हरदीप डंग को समझाने की जिम्मेदारी भी सिंधिया को दी जा सकती है। ग्वालियर -चंबल संभाग की 16 सीटों पर भाजपा और सिंधिया दोनों कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। भाजपा को आने वाले समय में बहुमत मिलने की उम्मीद यही से है।

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