आत्मनिर्भर भारत के भ्रम और सच पढ़िए !

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हिन्दुस्तानियों के लिए मोदी सरकार के दिए आत्मनिर्भर के मन्त्र पर तीखा प्रहार करते हुए अपने अंदाज में इसके मायने और उसकी गाइडलाइन बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग 

1- नागरिक अपने सभी कष्टों के लिए अब स्वयं ही ज़िम्मेदार होंगे।हर क़िस्म की पूछताछ भी अब नागरिकों को स्वयं से ही करनी पड़ेगी।

2-हाल के उत्साहवर्धक परिणामों को देखते हुए नागरिकों को लम्बी-लम्बी पैदल यात्राएँ करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

3– जो नागरिक घरेलू चिकित्सा के ज़रिए महामारियों से अपनी जानें बचा लेंगे उन्हें सरकारों द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

4-नागरिकों को ध्यान रखना होगा कि केवल ‘लोकल’ को ही ‘ग्लोबल’ बनाना है ,उल्टा नहीं होने देना है।वैवाहिक सम्बन्धों को छोड़कर।
5-आत्मनिर्भर होने का अर्थ यह नहीं होगा कि राजनीतिक फ़ैसले भी नागरिक ही लेने लगेंगे।इस सम्बंध में व्यवस्था पूर्ववत जारी रहेगी।

6- ‘लोकल’ को प्रोत्साहन का मतलब विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार नहीं माना जाएगा।पनडुब्बियों, विमानों, आदि का आयात जारी रहेगा।

7-राष्ट्र अगर ‘आत्मनिर्भर’ नहीं हो पाता है तो उसे नागरिकों की ही असफलता माना जाएगा ।शासकों की विफलता नहीं बताया जाएगा।

8- ‘आत्म निर्भरता’ का मूल मंत्र ‘संकट’ को ‘अवसर’ में बदलना है।यह लड़ाई चूँकि जनता की है, इस बार उसे ही उसका नायक बनाया जा रहा है।

9-आत्मनिर्भरता का मतलब आपस में मिलकर काम करना नहीं होगा।जो दूरियाँ आपस में बढ़ा दी गई है, उसमें और भी वृद्धि करते जाना है।

10-  धीरे-धीरे इसी सोच पर पहुँचा होगा कि ‘लॉक डाउन’ केवल एक मानसिक स्थिति है।इससे आगे आने वाले सभी संकट अच्छे से बर्दाश्त कर सकेंगे।

11-अंत में यह कि महामारी चाहे ‘ग्लोबल’ हो और उससे निपटने में चाहे दुनिया लगी हो ,नागरिकों को तो उससे ‘लोकल’ मानकर ही निपटना है।

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