नई दिल्ली। दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली के बजाय उद्योग और परिवहन बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन राजनीति पराली पर सिमट गई है। भाजपा ने बुधवार को दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि अगर पराली से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है तो फिर उस पंजाब और हरियाणा में प्रदूषण कम क्यों है जहां इसे जलाया जा रहा है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने पराली के नाम पर राजनीति की। जहां ध्यान देने की जरूरत थी, वहां ध्यान नहीं दिया गया इसीलिए दिल्ली सबसे प्रदूषित है।
संबित पात्रा ने यह भी आरोप लगाया कि पराली के नाम पर यहां केवल प्रचार किया गया है। पराली प्रबंधन के लिए दिल्ली सरकार ने 40 हजार का केमिकल खरीदा लेकिन प्रचार पर कई हजार गुना खर्च किए।
भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि गुरुवार को भाजपा 40 हजार रुपये का चेक मुख्यमंत्री को देगी ताकि प्रदूषण और कम हो। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि बिना राजनीति के सभी मिलकर प्रदूषण को कम करेंगे।
आदेश गुप्ता की मौजूदगी में केंद्रीय कार्यालय से पात्रा ने कहा कि वह मनगढ़ंत आरोप नहीं लगा रहे हैं। खुद दिल्ली सरकार ने विधानसभा में माना है।
पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी दिल्ली सरकार से नाराजगी जता चुका है कि वह दूसरों के सिर आरोप मढ़ने का काम न करे और बताए कि खुद क्या किया। मालूम हो कि 2018 में दिल्ली सरकार ने ग्रीन बजट पेश किया था जिसमें दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने का दावा किया गया था, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं दिख रहा है।
दरअसल राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया है, उसमें वायु प्रदूषण रोकने के लिए सभी ने बड़े-बड़े दावे किए हैं। पंजाब ने तो पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले कमी का दावा किया है।
साथ ही बताया है कि पिछले साल प्रदेश में धान के रोपे गए कुल क्षेत्रफल में से करीब 54 प्रतिशत क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट हुई थीं, जबकि इस साल 37 प्रतिशत क्षेत्रफल में ही पराली जलने की घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। हरियाणा ने कोर्ट को सौंपे अपने शपथ-पत्र में पराली जलाने की घटनाओं पर पूरी तरह से चुप्पी साधे रखी है।
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