इंदौर के कर्मचारी राज्य बीमा निगम हॉस्पिटल में गर्भवती महिला को एक साल पहले एक्सपायर दवाई दे दी, शिकायत करने पर डॉक्टर ने डपटा
इंदौर। मध्यप्रदेश में इंदौर रेड जोन में बना हुआ। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा पूरे प्रदेश में कोरोना के लिए इंदौर को जिम्मेदार ठहरा चुके है। पूर्व की कमलनाथ सरकार तो ठीकरा फोड़ने को है ही। पर कोरोना के अलावा स्वास्थ विभाग जो बीमारियां फैली हुई है, उसे भी देखिये मंत्री जी। प्रदेश में दूसरी बीमारियों के सैकड़ों लोगों को वक्त पर इलाज नहीं मिल रहा। सरकारी अस्पताल तो जानलेवा हो गए। इंदौर के इस हॉस्पिटल की कहानी देखेंगे तो आपको लगेगा पूरी व्यवस्था ही एक्सपायर्ड हो चुकी है।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) इंदौर में एक गर्भवती महिला को हॉस्पिटल ने पिछले साल एक्सपायर हो चुकी टेबलेट दे दी। टेबलेट मई मैं ही एक्सपायर गई है ये शिकायत दो दिन बाद पति ने ड्यूटी डॉक्टर से के। डॉक्टर ने पति को डपटा और एक गोली पत्ते में से निकालकर खुद खा ली। बोला गोली भूसे के बनी होती है, एक महीने की देरी से क्या बिगड़ता है।
जब पीड़ित ने बोला ये मई 2019 में एक्सपायर हुई है, तो डॉक्टर के होश उड़े। तत्काल बोले स्टोर से बदल लो। सवाल ये है कि इस अस्पताल में ज्यादातर मरीज कम पढ़े आते हैं, उन्हें क्या अस्पताल इसी तरह दवा पकड़ा कर जान से खिलवाड़ करता है। दूसरी बात ये कि एक साल पुरानी दवाई अभी तक स्टोर में कैसे रखी हुई है।
स्कीम-114 निवासी दीपेंद्र राठौर पत्नी कविता को टिटनेस के टीके के लिए 1 जून को ईएसआईसी हॉस्पिटल गए थे। टीका लगा। जांच नहीं हुई। बाद में उन्हें तीन तरह की 15-15 टेबलेट दे दी गई। राठौर दंपत्ति घर चले गए। शाम को जब कविता गोली खाने लगी तब देखा तो तीन दवाओं में से एक मेथिकल टेब्लेट की जो स्ट्रीप थी उस पर मेन्युफेक्चरिंग दिसंबर 2017 लिखा था। दवा एक्सपायर हो चुकी थी मई 2019 में।
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