- कल से सांसद ओवैसी मुसलमानों के लिए अलग प्रदेश की मांग करने लगे तो?
- लालवानी की ये मांग हिन्दुओं और सिंधियों के बीच एक बड़ी दरार पैदा करेगी ?
कीर्ति राणा
संसद में पहली बार सिंधी भाषा में संबोधित कर शंकर लालवानी ने कीर्तिमान तो बना ही लिया। साथ ही लालवानी ने अलग सिंधी राज्य की मांग भी कर डाली। इस मांग के पीछे उनका तर्क है कि सिंध प्रदेश पाकिस्तान में रह गया है। देश भर से मेरे पास मांग आती है कि हिंदुस्तान में एक सिंधी प्रदेश बनना चाहिए।
सांसद जरा बताएं तो सही बिना सिंधी प्रदेश के क्या भारत में सिंधी समाज असुरक्षित हैं? उनकी तरक्की के रास्ते बंद हैं? क्या उन्हें मुसलमानों की तरह शंका की नजर से देखा जाता है? अलग से सिंधी समाज की मांग करने से पहले यह तो याद रख लेते कि वे सिंधियों के बलबूते पर ही चुनाव नहीं जीते हैं।
इंदौर के मतदाताओं ने साढ़े पांच लाख से अधिक मतों से जिता कर कहीं गलती तो नहीं कर दी। ठीक है अपने समाज-भाषा-जाति के प्रति गौरव का भाव होना ही चाहिए लेकिन ऐसी मांग तो कुंठित मानसिकता का प्रतीक ही है।
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पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में भारत आकर बसे और इस देश की दूध जैसी संस्कृति में मिश्रीकी तरह घुल गए सिंधी समाज का भी देश की आर्थिक तरक्की में योगदान है लेकिन जिस समाज के दिमाग में आज तक ऐसी सोच नहीं आई उस समाज का बेटा ऐसी मांग करते हुए यह भी भूल गया कि उसे इंदौर के सभी मतदाताओं ने संसद में पहुंचाया है।
ऐसी मांग पहली बार सांसद के ही श्रीमुख से संसद में सुनने को मिली है। इतने साल की पत्रकारिता और सिंधी समाज के समारोह कवर करने के दौरान किसी कार्यक्रम में न तो ऐसा प्रस्ताव पारित होते और न ही सिंधी समाज द्वारा सांसद के सम्मान समारोह में ऐसी मांग उठते देखी।
आठ बार की सांसद-लोकसभा स्पीकर रही सुमित्रा महाजन से भी कभी शंकर लालवानी ऐसी मांग करते हुए मिले हों, यह ताई को भी याद नहीं होगा।
शरणार्थी के रूप में पाक से भारत आए सिंधियों को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय संविधान की मूल भावना के अनुरूप देश के विभिन्न हिस्सों में न सिर्फ बसाया बल्कि राज्य सरकारों को उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी भी सौंपी थी।
भाजपा सांसद शंकर लालवानी की इस मांग से प्रेरित होकर कल से ऑलइंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादु मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी प्रमुख-सांसद असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग कर दे तो उन्हें तो भाजपा विघटनकारी-अबसान फरामोश, गद्दार, देशद्रोही और न जाने क्या क्या कहने लग जाए।
आडवाणी ने भी नहीं की कभी ऐसी मांग फिर शंकर ?
सांसद लालवानी को इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी से ही सीख ले लेनी थी। लगता है सांसद लालवानी ऐसी मांग कर के आडवानीजी से भी आगे निकलने और सिंधी समाज के सर्वमान्य नेता बनने की शातिर राजनीति खेल रहे हैं।सांसद यह भी सोचें कि उनकी यह मांग हिंदू-सिंधू के बीच दरार का कारण ना बन जाए। अभी ऐसा कुछ नहीं है लेकिन अलग सिंधी राज्य की मांग जोर पकड़ने लगेगी तो बाकी समाज भी यही तय करेंगे कि फिर हमारे मोहल्ले-कॉलोनी में रहते, व्यापार धंधा करने वाले सिंधी परिवारों को यहां क्यों रहना चाहिए जाएं, अपने अलग राज्य में या सिंध ही चले जाएं।