पद,धन और बाहुबल से कांग्रेस ने बनाया था इंदौर में अपना महापौर !

Share Politics Wala News

1994 का दौर। इंदौर में कुल 69 वार्ड। चुनाव हुए। भाजपा के 34 प्रत्याशी जीते। कांग्रेस समर्थित 33, बची दो सीटों पर एक कामरेड एक निर्दलीय। बहुमत के लिए कुल 35 की दरकार। भाजपा के पास 1 कम, कांग्रेस को दो के जरुरत। प्रदेश में दिग्विजय की सत्ता। जाहिर है धनबल, बाहुबल सत्ता के पास।

#पॉलिटिक्सवाला रिपोर्ट

सन 2000 के पहले तक मध्यप्रदेश में जनता महापौर नहीं चुनती थे। महापौर पार्षद चुनते थे। पार्षद जब महापौर चुनते तो साम,दाम,दंड, सब खुलकर चलता। ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थकों के साथ भाजपा में जाने और शिवराज सरकार बनाने के बहुत पहले से ही ऐसा होता रहा है। इंदौर में तो खुद कांग्रेस ने ऐसा किया।

1994 का दौर। इंदौर में कुल 69 वार्ड। चुनाव हुए। भाजपा के 34 प्रत्याशी जीते। कांग्रेस समर्थित 33, बची दो सीटों पर एक कामरेड एक निर्दलीय। बहुमत के लिए कुल 35 की दरकार।

भाजपा के पास 1 कम, कांग्रेस को दो के जरुरत। प्रदेश में दिग्विजय की सत्ता। जाहिर है धनबल, बाहुबल सत्ता के पास।

दो अन्य जीतने वालों में कामरेड सोहनलाल शिंदे। वे कुलकर्णी भट्टा से जीते। दूसरे भाजपा के बागी नंदानगर के वार्ड से जीते रमेश गागरे। माना जा रहा था
कि गागरे भाजपा के साथ जाएंगे। पर गागरे अब बन चुके थे किंग मेकर। जो राजा चुनेगा उसकी खातिरदारी भी जरुरी।

कुल मिलाकर ‘खातिरदारी’ में कांग्रेस आगे निकले। गागरे ने कांग्रेस का साथ दिया। कामरेड सोहनलाल शिंदे कांग्रेस के साथ आये। क्योंकि आज की तरह उस वक्त भी कामरेड भाजपा से दूरी ही रखते थे। इस गुणाभाग में रमेश गागरे को हासिल हुआ उप महापौर का पद।

दो ‘मधु’ के बीच मुकाबला, पान वाले जीते

कांग्रेस की तरफ से चंद्रभागा वार्ड से जीते मधु वर्मा महापौर के प्रत्याशी थे तो भाजपा से उनके अपने मधु वर्मा। वोटिंग हुई। गागरे और सोहनलाल शिंदे के
वोट से कांग्रेस की सरकार बनी और मधु वर्मा (पान वाले ) बन गए महापौर।

कांग्रेस के प्रत्याशी की थी राजबाड़ा पर ‘पान दुकान’

इंदौर के महापौर चुने गए मधु वर्मा की राजबाडा पर पान की दुकान थी। राजबाड़ा के चौराहे पर दो पान दुकानें थी। एक मधु भइया की दूसरी अन्ना भइया की।
मधु भैया की दूकान आडा बाजार के कोने पर तो रोड के ठीक उस तरफ अन्ना भैया। दोनों दुकाने अब भी है। महापौर बनने के पहले मधु वर्मा इस दुकान पर शाम को बैठा करते थे।

दिग्विजय ने सबको लड़ाया, जो जीता वो हमारा

दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद कांग्रेस में पार्षद चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों की बाढ़ आ गई। किसी को भी नाराज करने के बजाय दिग्विजय ने कहा सब लड़ो।

जो जीतेगा वो कोंग्रेसी। किसी को कांग्रेस का चुनाव चिन्ह नहीं मिला। इसे ही ‘फ्री फॉर ऑल’ कहा गया। इसमें जो जीता वो कांग्रेस का सिकंदर बन गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *