अजित और शरद पवार की मुलाकातें गरमा रहीं राजनीतिक माहौल

अजित और शरद पवार की मुलाकातें गरमा रहीं राजनीतिक माहौल

पॉवर खिचड़ी … चाचा-भतीजे ने फिर चढ़ाई महाराष्ट्र में हांडी !

Share Politics Wala News

#politicswala report

-सुप्रिया सुले के अच्छे रिश्ते वाले बयान से एकता की अटकलें

-उद्धव और राज के बाद अब पवार फैमिली में एकता की चर्चा

-राउत बोले- पहले ही एक हैं दोनों पवार

Ajit-Sharad Pawar meetings-उद्धव और राज ठाकरे के बयानों और मुलाकातों को लेकर सियासी गलियारों में खुसुर-पुसुर और बयानों का दौर अभी थमा नहीं था कि पवार परिवार की मुलाकातों ने फिर से राजनितिक हलचल को तेज कर दिया है। शरद और अजित पवार में यूँ तो बेहद करीबी पारिवारिक रिश्ता है लेकिन राजनैतिक हसरतें भी छुपी नहीं हैं। इसी के चलते दोनों के बीच पिछले 15 दिन में हुए 3 मुलाकातें कई अटकलों को जन्म देती हैं।   कौन सी खिचड़ी पका रहे पवार चाचा-भतीजे, 15 दिन में 3 मुलाकातें

चाचा-भतीजे भले ही इन मुलाकातों की कोई और वजह दर्शा रहे हैं लेकिन सियासत में जिस तरह सुई के गिरने पर भी शोर होता है जाहिर है 3 -3 घंटे चली इन मुलाकातों को सियासी रंग दिया जाने लगा है। परिवार में पावर की जंग कम हुई और एकता स्थापित होती है तो फिर यह बड़ा उलटफेर होगा। इस उलटफेर को यूं भी बल मिला है क्योंकि सुप्रिया सुले का कहना है कि परिवार के तौर पर हमारे रिश्ते कभी खराब नहीं रहे। सुप्रिया सुले के इस अच्छे रिश्तों वाले बयान से भी एकता की अटकलें लग रही हैं।

बीते 15 दिनों में शरद पवार और अजित पवार तीन बार मुलाकात कर चुके हैं और मंच साझा किया है। दोनों नेताओं के बीच पहले जैसी तल्खी भी नहीं दिखी। इससे महाराष्ट्र की राजनीति में कयास फिर से तेज हैं कि दोनों नेता साथ आ सकते हैं। ये चर्चाएं ऐसे दौर में शुरू हुई हैं, जब शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और मनसे लीडर राज ठाकरे के भी एकजुट होने के कयास लग रहे हैं।
ऐसे में यदि पवार परिवार में पावर की जंग कम हुई और एकता स्थापित होती है तो फिर यह बड़ा उलटफेर होगा। इस उलटफेर को यूं भी बल मिला है क्योंकि सुप्रिया सुले का कहना है कि भले ही हमने राजनीतिक रूप से अलग राहें अपना ली हैं, लेकिन परिवार के तौर पर हमारे रिश्ते कभी खराब नहीं रहे। सुप्रिया सुले के इस अच्छे रिश्तों वाले बयान से भी एकता की अटकलें लग रही हैं।

शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख हैं, महाराष्ट्र में प्रतिद्वंद्वी गठबंधन का हिस्सा हैं, क्योंकि अजित पवार ने 2023 में अपने चाचा के खिलाफ विद्रोह किया था और तत्कालीन भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे। अजित पवार ने हाल ही में सतारा में रयत शिक्षण संस्था में उनकी संयुक्त उपस्थिति पर भी टिप्पणी की, जहां उनके चाचा अध्यक्ष हैं और वह एक ट्रस्टी हैं।

यही नहीं इस बीच उद्धव सेना के एक नेता का कहना है कि यदि शरद पवार और अजित पवार साथ भी आ जाएं तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। यही नहीं उद्धव सेना के लीडर ने कहा कि चाचा और भतीजे तो पहले ही साथ आ चुके हैं। शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट का कहना है कि यदि कुछ दिनों में शरद पवार और अजित पवार हाथ मिला लें तो फिर कोई हैरानी की बात नहीं होगी। सोमवार को शरद पवार और अजित पवार जब साथ आए तो तेजी से कयास लगने लगे। दोनों नेता ऐग्रिकल्चर और शुगर इंडस्ट्री में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। पुणे में आयोजित इस आयोजन को लेकर जब बात हुई तो अजित पवार ने ज्यादा चर्चा नहीं की। इतना ही कहा कि परिवार हमेशा साथ रहता है और हमारी मुलाकातों पर कयास नहीं लगाने चाहिए।

हालांकि इन कयासों के बीच राजनीतिक तंज भी शुरू हो चुके हैं। उद्धव सेना के लीडर संजय राउत ने तो साफ कहा कि ऐसा लगता है कि वे साथ आ गए हैं। संजय राउत ने कहा, ‘दोनों पवार पहले ही साथ आ चुके हैं। क्या आपने कभी हमें एकनाथ शिंदे के साथ मंच पर देखा है? हम उनसे नहीं मिलते और न मिलेंगे।’ बता दें कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने भी अलग-अलग बयानों में साथ आने के संकेत दिए थे। दोनों का कहना था कि उनके लिए महाराष्ट्र और मराठी का हित पहले है। उद्धव ठाकरे का कहना था कि हम महाराष्ट्र के हित में साथ काम करने के लिए तैयार हैं।

हाल के हफ्तों में शरद पवार के साथ अजित पवार की तीसरी मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर, जिसकी शुरुआत उनके बेटे जय की सगाई से हुई थी, उपमुख्यमंत्री ने इन बैठकों के राजनीतिक महत्व को कमतर आंकते हुए कहा कि सगाई जैसे अवसरों पर परिवार एक साथ आते हैं, और उन्हें किसी अन्य परिप्रेक्ष्य से व्याख्या करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सीपीआई सांसद डी राजा ने कहा कि जब यह महाराष्ट्र के हित में है, तो वे दो अलग-अलग खेमों में क्यों हैं। उन्हें महाराष्ट्र के लोगों को यह बताना चाहिए कि वे वास्तव में क्या करने की कोशिश कर रहे हैं।

दोनों साथ आएं तो अच्छा होगा- अमोल मिटकरी

एनसीपी के विधान परिषद सदस्य मिटकरी ने कहा, ‘‘हम सभी साहेब (शरद पवार) का सम्मान करते हैं। वह 50 साल से अधिक के अनुभव वाले वरिष्ठ नेता हैं. वह कई नेताओं से मिलते हैं। कुछ लोगों को लगता है कि दोनों पार्टियों को एकसाथ नहीं आना चाहिए. लेकिन, अगर ऐसा (दोनों नेताओं का एकसाथ आना) होता है, तो यह बहुत अच्छा होगा। ’’

मिटकरी ने कहा- ‘‘दोनों नेताओं के पास महाराष्ट्र के विकास के लिए एक दृष्टिकोण है। इस बैठक के पीछे कोई राजनीतिक मकसद देखने की जरूरत नहीं है। ’’ उन्होंने कहा कि अगर दोनों नेता एकसाथ आते हैं तो एनसीपी और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के कार्यकर्ता बहुत खुश होंगे।

वहीं शिवसेना (UBT) ने सोमवार को कहा कि चाचा-भतीजा पहले ही साथ आ चुके हैं। अटकलों पर प्रतिक्रिया जताते हुए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) घटक कांग्रेस ने कहा कि ऐसी बैठकें सार्वजनिक हित में आयोजित की जा सकती हैं, जरूरी नहीं कि राजनीतिक कारणों से. राज्य के सत्तारूढ़ खेमे की ओर से शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा यदि शरद पवार और अजित पवार अपने मतभेद भुलाकर हाथ मिला लें। शिरसाट ने कहा कि अगर पवार फिर से एक हो जाते हैं तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा।

पहले ही साथ आ चुके हैं दोनों पवार-संजय राउत

शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा, ‘‘दोनों पवार (शरद पवार और अजित पवार) पहले ही साथ आ चुके हैं। क्या आपने हमें एकनाथ शिंदे से बात करते या उनके साथ सार्वजनिक मंच साझा करते देखा है? हम मुलाकात नहीं करेंगे। ’’ एनसीपी नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए राउत ने कहा, ‘‘हमारे पास शिक्षा और चीनी संस्थान नहीं हैं। हमारे पास वसंतदादा शूगर इंस्टीट्यूट, रयत शिक्षण संस्था, विद्या प्रतिष्ठान आदि (शरद पवार द्वारा संचालित) नहीं हैं। ’’

वहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि शरद पवार और अजित पवार सोच रहे होंगे कि चूंकि दो चचेरे भाईयों के एकसाथ आने की चर्चा है, तो चाचा-भतीजे के फिर से मिलने में क्या बुराई है? उनका इशारा परोक्ष तौर पर चचेरे भाइयों उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के हालिया बयानों से शुरू हुई राजनीतिक मेल-मिलाप की अटकलों की ओर था।

जनहित में हो सकती हैं मुलाकातें-छगन भुजबल

शरद और अजित पवार के बीच ताजा बैठक के बारे में पूछे जाने पर वडेट्टीवार ने कहा, “ऐसी मुलाकातें जनहित में हो सकती हैं और जरूरी नहीं कि राजनीतिक कारणों से हों। ” एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि पार्टी प्रमुख अजित पवार और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार के बीच सहकारी और शैक्षिक क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए विभिन्न संस्थानों में बैठकें होती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *