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भोपाल। आयकर विभाग ने 18 दिसंबर को राजधानी भोपाल के प्रमुख बिल्डरों के ठिकानों पर छापेमारी की, जिससे ब्लैक मनी और बेनामी संपत्तियों से जुड़ी बड़ी जानकारी सामने आई है। छापेमारी के दौरान, भोपाल के रातीबड़, नीलबड़, मेंडोरी, मेंडोरा जैसे इलाकों में करोड़ों रुपये की कैश लेन-देन और नियमों को ताक पर रखकर की गई जमीनों की खरीद-फरोख्त का खुलासा हुआ है।
आयकर विभाग ने त्रिशूल कंस्ट्रक्शन, क्वालिटी ग्रुप और ईशान ग्रुप सहित 52 स्थानों पर छापे मारे। जांच में अब तक 10 करोड़ रुपये की नकद राशि, 25 लॉकर और कई भूमि सौदों से जुड़ी दस्तावेजों का पता चला है। इस कार्रवाई के तहत पूर्व और वर्तमान प्रशासनिक अधिकारियों, व्यापारियों, नेताओं और फिल्मी सितारों के नाम भी सामने आए हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
जमीन सौदों में बड़ा कैश फ्लो
आयकर विभाग की जांच से यह खुलासा हुआ है कि भोपाल के ग्रामीण क्षेत्रों जैसे रातीबड़, नीलबड़, मेंडोरी, चंदनपुरा और बीलखेड़ा में बड़े पैमाने पर कैश ट्रांजैक्शंस हुए हैं। विशेष रूप से, त्रिशूल कंस्ट्रक्शन के बिल्डर राजेश शर्मा के जरिए करोड़ों रुपये की ब्लैक मनी का निवेश किया गया है। इसके अलावा, विभाग को कुछ मोबाइल रिकॉर्डिंग भी मिली हैं, जिनमें कैश लेन-देन की बातचीत हो रही है।
पूर्व मुख्य सचिव और परिवार का नाम जुड़ा
खास तौर पर, आयकर विभाग ने पूर्व मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और उनकी पत्नी के नाम पर की गई भूमि खरीदारी के दस्तावेज भी बरामद किए हैं। राजेश शर्मा और उनके सहयोगियों के माध्यम से इनकी संपत्ति की खरीद-फरोख्त की गई। इसके अलावा, विभाग ने अन्य अधिकारियों और व्यापारियों से जुड़ी संपत्तियों की भी जांच शुरू कर दी है।
आगे की कार्रवाई
आयकर विभाग ने उन सभी व्यक्तियों को नोटिस भेजने की तैयारी की है, जिनका नाम इन बिल्डरों से जुड़ी भूमि सौदों में सामने आया है। इसके अलावा, विभाग ने कुछ बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की भी योजना बनाई है, जिनमें प्रदीप अग्रवाल और कुणाल अग्रवाल जैसे नाम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा- मैने बंद किया भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।यह छापेमारी और जांच प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में एक नई हलचल पैदा कर रही है, जिससे कई महत्वपूर्ण सवाल उठ रहे हैं और सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह इस मामले में जल्द कार्रवाई करें।
निष्कर्ष
आयकर विभाग की इस छापेमारी ने भोपाल के बिल्डरों और अधिकारियों के बीच के काले धन के गहरे नेटवर्क को उजागर किया है। अब यह देखना होगा कि इस मामले में कितनी और गहरी जांच की जाती है और कौन-कौन से बड़े नाम इसकी गिरफ्त में आते हैं।
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