पंकज मुकाती (संपादक #politicswala )
भोपाल। समरथ को दोष नहीं गुसाई। तुलसीदास जी ये पंक्ति बिलकुल सही है। खासकर राजनीति में। सत्ता में। और यदि समरथ आदमी नेता हो मंत्री हो आदिवासी हो और कुंवर भी हो तो फिर तो सारे दोष खुद ही किनारे हो जाते हैं।
ऐसे ही समरथ मंत्री है विजय शाह। देश के कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन बताने वाले इस शहंशाह मंत्री को अभयदान मिला हुआ है। सरकार चुप। नेशन फर्स्ट वाली भाजपा पीछे। सुप्रीम कोर्ट भी उनके आगे मजाक बना हुआ है।
उनके विवादित बयान की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम बनी। तीन आईपीएस उसमे रखे गए। टीम क्या कर रही है। किसी को नहीं पता। शाह क्या कर रहे हैं? सबको पता। शाह खुलेआम कैबिनेट में शामिल हो रहे हैं। सीना तानकर भाजपा की सुधार ट्रेनिंग में घूम रहे हैं। सलीका वे सीखेंगे इसके कोई गारंटी नहीं ले सकता।
एसआईटी को देखिये महीना बीतने के बाद भी उस बयान को जांचने में लगी है जो सरेआम दिया गया। जिस बयान को सबने सुना। जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शाह को गन्दा आदमी तक कह दिया। उनके बयान को अशालीन और बेशर्मी भरा बताया। पर एसआईटी है कि इस छोटे से वीडियो को नहीं जांच पा रही। वो वीडियो जो कोई सामान्य सा हवलदार जांच ले। उसी वीडियो को तीन वरिष्ठ आईपीएस की एसआईटी नहीं जांच पा रही।
एसआईटी के समझ और नीयत दोनों पर सवाल है। पहले तो शाह का वीडियो गलत लेब में वॉइस सैंपल टेस्ट के लिए भेज दिया। फिर नई लैब में भेजकर क्या
किया किसी को नहीं पता।
सबसे चौकाने वाली बात ये है कि एसआईटी ने इस मामले के प्रधान आरोपी मंत्रीजी से अभी एक एक लाइन की पूछताछ नहीं की है। जब मंत्रीजी का वॉइस सैंपल लिया ही नहीं गया तो उनके बयान से उनका मिलान कैसे होगा .
अब सब कहेंगे शाहजी के सैकड़ों वीडियो पब्लिक डोमिन में हैं किसी से भी जाँच कर लेंगे। तो फिर लैब की क्या जरुरत जांच कर लीजिये।
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में 28 मई को मामले की सुनवाई के दौरान स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम, यानी SIT ने जांच के लिए वक्त मांगा था। कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए जुलाई के पहले हफ्ते तक दूसरी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। SIT की तरफ से एक स्टेटस रिपोर्ट 28 तारीख को पेश की जा चुकी है।
कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने 11 मई को महू के रायकुंडा में कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित बयान दिया था। शाह ने कहा था कि ‘उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा।’
इस बयान पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए शाह के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे तो सुप्रीम कोर्ट ने भी 19 मई को सुनवाई करते हुए शाह को फटकार लगाई थी। साथ ही SIT को जांच के निर्देश दिए थे।
एसआईटी ने 125 लोगों के बयान लिए सिर्फ शाह को छोड़कर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 19 मई को देर शाम को ही तीन सदस्यीय SIT का गठन किया गया था। सागर रेंज के तत्कालीन IG प्रमोद वर्मा के साथ तत्कालीन SAF DIG कल्याण चक्रवर्ती और डिंडोरी SP वाहिनी सिंह को शामिल किया गया। प्रमोद वर्मा अब जबलपुर रेंज के IG हैं। वहीं कल्याण चक्रवर्ती अब छिंदवाड़ा रेंज के DIG हैं।
SIT ने विजय शाह केस की 20 मई को जांच शुरू की। 22 मई को SIT ने बेस कैंप में बयान दर्ज करना शुरू किए। कार्यक्रम में शामिल 125 से ज्यादा लोगों को बुलाया। ये सिलसिला 5 दिन तक चला। इसमें वीडियो बनाने वाले पत्रकार से लेकर पूर्व मंत्री और स्टूडेंट से लेकर कुलपति तक के बयान दर्ज किए गए।
SIT ने हर किसी से तीन सवाल पूछे
मंत्री जी के भाषण को आप कैसे मानते हैं?
भाषण के पीछे मंत्री जी के क्या मंसूबे थे?
कार्यक्रम क्या था और मंत्री जी किस विषय पर बोल रहे थे?
बहरहाल एसआईटी अपनी रफ़्तार से चल रही है और विजय शाह अपनी मस्ती मार रहे हैं। नेशन फर्स्ट पीछे छूट गया है। मध्यप्रदेश का नया नारा है – politics फर्स्ट
You may also like
-
नीतीश सरकार गिराने की साजिश का पर्दाफाश: इंजीनियर सुनील सिंह से EOU ने की पूछताछ
-
शशि थरूर बोले- मैं भाजपा में नहीं जा रहा लेकिन मोदीजी भारत का ‘प्राइम एसेट’
-
ईरान-इजराइल युद्ध: मिडिल-ईस्ट देशों में एयरस्पेस बंद, भारत में अब तक 60 से ज्यादा उड़ानें रद्द
-
बार-बार क्यों गायब हो रहे हैं राहुल गांधी? भाजपा के सवालों का कांग्रेस ने दिया जवाब
-
25वीं सेंट्रल जोनल काउंसिल की मीटिंग: काशी में अमित शाह का 4 राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ मंथन